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ऑक्टोपस अनुशासन बनाए रखने के लिये मछलियों को मुक्का मारते हैं

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ऑक्टोपस अनुशासन बनाए रखने के लिये मछलियों को मुक्का मारते हैं

यह एक तरह का ‘‘संचार‘‘ है, जो दर्शाता है कि वे सिर्फ शिकार नहीं करते, बल्कि अपने सहयोगियों के साथ बातचीत भी करते हैं...

ऑक्टोपस अनुशासन बनाए रखने के लिये मछलियों को मुक्का मारते हैं

TidBits
ट्रीटेक नेटवर्क 
एक वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि ऑक्टोपस कभी-कभी मछलियों को मुक्का मारते हैं, लेकिन यह हमेशा शरारत या द्वेष से नहीं होता। यह शिकार के दौरान सहयोग को बनाए रखने, गैर-योगदान करने वाली मछलियों को दंडित करने, या कभी-कभी बिना किसी स्पष्ट कारण के भी हो सकता है, जिसे शोधकर्ता ‘‘यादृच्छिक‘‘ या ‘‘अचानक‘‘ व्यवहार मानते हैं, जो उनके जटिल सामाजिक व्यवहार को दर्शाता है। जब ऑक्टोपस मछलियों के साथ मिलकर शिकार करते हैं, तो वे उन मछलियों को मुक्का मार सकते हैं जो शिकार में योगदान नहीं करतीं या भाग जाती हैं, उन्हें सही जगह पर रहने या शिकार से दूर रहने का संकेत देती हैं। यह मछली को भगाने या उन्हें ऑक्टोपस के भोजन से दूर रखने का एक तरीका हो सकता है, जो एक प्रकार की सजा है। कुछ मामलों में, कोई स्पष्ट कारण नहीं होता, यह बस एक अचानक, यादृच्छिक क्रिया हो सकती है, जो उनके अजीब और बुद्धिमान स्वभाव का हिस्सा है। यह दिखाता है कि ऑक्टोपस कितने बुद्धिमान और जटिल सामाजिक प्राणी हैं, जो समूह में भूमिकाओं और नियमों को लागू करते हैं। यह एक तरह का ‘‘संचार‘‘ है, जो दर्शाता है कि वे सिर्फ शिकार नहीं करते, बल्कि अपने सहयोगियों के साथ बातचीत भी करते हैं। संक्षेप में, ऑक्टोपस मछलियों को मुक्का मारते हैं, लेकिन यह अक्सर शिकार के दौरान अनुशासन बनाए रखने या किसी नियम को लागू करने का एक तरीका है, और कभी-कभी यह बस एक अनोखी, अप्रत्याशित हरकत होती है।
जुगनू की हर चमक एक संदेश है
जुगनू की हर चमक एक संदेश है, जो मुख्य रूप से साथी को आकर्षित करने (प्रणय निवेदन), प्रजाति की पहचान कराने, और शिकारियों से बचने (चेतावनी) के लिए होती है, क्योंकि वे एक जटिल प्रकाश-संकेत के जरिए संवाद करते हैं जो हर प्रजाति के लिए अलग होता है, जैसे ‘‘मैं यहाँ हूँ‘‘ कहना या ‘‘मैं जहरीला हूँ‘‘। नर जुगनू एक विशेष पैटर्न में चमकते हुए उड़ते हैं और मादाएँ अपने कोड के अनुसार जवाब देती हैं जिससे वे एक-दूसरे को रात के अंधेरे में ढूंढ पाते हैं। यह एक तरह की ‘‘प्रेम भाषा‘‘ है, जहाँ वे अपनी प्रजाति के नर या मादा को आकर्षित करते हैं। कुछ जुगनू पीले, कुछ हरे और कुछ एम्बर, रंग में चमकते हैं जिससे उन्हें पहचानना आसान हो जाता है। मादाएं नर के चमकने के बाद एक निश्चित अंतराल पर प्रतिक्रिया करती हैं, जो हर प्रजाति में अलग होता है। जुगनू के लार्वा और कुछ वयस्क जहरीले या बेस्वाद होते हैं और उनकी चमक शिकारियों (जैसे पक्षियों और मेंढकों) को यह बताने के लिए एक चेतावनी संकेत है कि ‘‘मैं खाने लायक नहीं हूँ, दूर रहो!‘‘ हर प्रजाति का अपना एक खास चमकने का क्रम (कोड) होता है, जिससे वे अपनी प्रजाति के साथी को पहचानते हैं। कुछ प्रजातियाँ दूसरों को धोखा देने के लिए भी चमकती हैं। जुगनू अपने पेट के निचले हिस्से में रासायनिक प्रतिक्रिया (बायोल्यूमिनेसेंस) द्वारा ठंडी रोशनी पैदा करते हैं जिसमें लूसिफेरिन और लूसिफेरेज नामक रसायन शामिल होते हैं, जो ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर चमकते हैं। इस तरह, जुगनू की हर टिमटिमाहट न सिर्फ मनमोहक होती है, बल्कि उनके जीवन-मरण और प्रजनन से जुड़े महत्वपूर्ण संदेश भी देती है।
हमिंगबर्ड छोटे आकार के भयंकर योद्धा होते हैं 
हमिंगबर्ड (गुंजन पक्षी) अपने छोटे आकार के बावजूद बहुत भयंकर और लड़ाकू योद्धा होते हैं, जो अपने क्षेत्र और भोजन के लिए बड़ी आक्रामकता दिखाते हैं। वे बाज और कौवे जैसे बड़े पक्षियों पर भी हमला करते हैं और अपने नुकीले पंजों व चोंच का इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि एज्टेक सभ्यता में उन्हें योद्धाओं का प्रतीक माना जाता था। वे अपने पसंदीदा फूलों और भोजन स्रोतों के लिए बहुत आक्रामक होते हैं और दूसरे हमिंगबर्ड्स को दूर भगाते हैं, भले ही वे बड़े हों। वे बाज, कौवे और उल्लू जैसे बड़े शिकारी पक्षियों को भी अपनी चोंच मार कर या परेशान करके भगा देते हैं। उनकी चोंच, खासकर कुछ प्रजातियों की, बेहद नुकीली और हथियार जैसी होती है, जिसका वे लड़ाई में इस्तेमाल करते हैं। एज्टेक लोग उन्हें युद्ध के देवता मानते थे और मानते थे कि युद्ध में मारे गए योद्धा हमिंगबर्ड के रूप में पुनर्जन्म लेते हैं। उनकी अविश्वसनीय उड़ान क्षमता (आगे, पीछे, और उल्टा उड़ना) उन्हें युद्ध में भी बहुत कुशल बनाती है, जैसा कि उनके तेज पंखों की फड़फड़ाहट से पता चलता है। संक्षेप में, हमिंगबर्ड अपने आकार के विपरीत, पृथ्वी पर सबसे खतरनाक और निडर प्राणियों में से एक हैं, खासकर अपने क्षेत्र के मामले में। रात में हमिंगबर्ड खुद को ‘स्लो-मोशन‘ मोड में डाल लेते हैंः हमिंगबर्ड रात में अपनी ऊर्जा बचाने और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए ‘टॉरपोर‘ नामक गहरी, नींद जैसी अवस्था में चले जाते हैं, जिसमें उनका शरीर का तापमान और हृदय गति बहुत कम हो जाती है, जिससे वे ठंड और भोजन की कमी से बच पाते हैं और हाइबरनेशन जैसा काम करते हैं। टॉरपोर हाइबरनेशन (शीतनिद्रा) के समान है, लेकिन हमिंगबर्ड इसे हर रात या ठंडी अवधि के दौरान करते हैं, जबकि हाइबरनेशन महीनों तक चल सकता है। हमिंगबर्ड को बहुत अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है, और रात में भोजन की कमी होती है। टॉरपोर उन्हें ऊर्जा बचाने में मदद करता है, क्योंकि इतने छोटे शरीर को गर्म रखना मुश्किल होता है। रात में शरीर का तापमान सामान्य दिन के समय से काफी कम -तीन डिग्री सेल्सियस तक- हो जाता है। हृदय गति दिन में 1,200 बीट प्रति मिनट तक से घटकर रात में 50 बीट प्रति मिनट तक आ सकती है।
अंजीर शाकाहारी है कि मांसाहारी? 
अंजीर मुख्य रूप से शाकाहारी फल है, लेकिन इसकी परागण प्रक्रिया के कारण कुछ लोग, खासकर सख्त शाकाहारी या वीगन, इसे नॉन-वेज मानते हैं क्योंकि मादा ततैया अंजीर के अंदर अंडे देती है, जिसमें से कुछ मर जाती हैं और अंजीर द्वारा प्राकृतिक रूप से टूट जाती हैं, हालांकि अधिकांश वैज्ञानिक और पोषण विशेषज्ञ इसे पूरी तरह शाकाहारी मानते हैं क्योंकि यह फल का हिस्सा नहीं बनतीं और प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं, और बाजार में मिलने वाले अंजीर में ततैया के अवशेष नहीं होते। अंजीर का फूल फल के अंदर होता है। एक मादा ततैया एक छोटे छेद से अंदर जाती है, अंडे देती है, और पराग फैलाती है। इस प्रक्रिया में, ततैया मर जाती है और अंजीर के एंजाइम उसे तोड़ देते हैं, जो फल का हिस्सा बन जाता है। वैज्ञानिक और खाद्य एजेंसियां इसे शाकाहारी मानती हैं क्योंकि यह प्राकृतिक चक्र है, और फल के पकने तक ततैया का कोई पहचान योग्य हिस्सा नहीं बचता। जैन धर्म जैसे कुछ सख्त शाकाहारी समुदायों में, इस प्रक्रिया के कारण अंजीर से परहेज किया जाता है, क्योंकि इसमें एक जानवर का जीवन चक्र शामिल होता है। ेअगर आप धार्मिक या नैतिक कारणों से किसी भी तरह के जानवर के अंश से बचना चाहते हैं, तो आप इससे परहेज कर सकते हैं, पर यह वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है।
 

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