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डॉ. मोनिका रघुवंशी
सचिव (एन.वाई.पी.आई.), अधिकारी (एन.आर.जे.के.एस.एस.) डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी (ग्रीन मार्केटिंग), एम.बी.ए.(ट्रिपल विशेषज्ञता- मार्केटिंग, फाइनेंस व बैंकिंग), प्रमाणित कंप्यूटर, फ्रेंच और उपभोक्ता संरक्षण कोर्स प्राप्त, 300 प्रमाणित अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लिया, 65 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिका लेख प्रकाशित, राष्ट्रीय समाचार पत्रों में सक्रिय लेखक (700 लेख प्रकाशित), 15 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, 30 ऑनलाइन और ऑफलाइन एन.जी.ओ. कार्यक्रम आयोजक।
जांच ने भारत के डेयरी उद्योग की कठोर वास्तविकता को उजागर किया। गायों और भैंसों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता है, जहां पशु कारखाने पशु कल्याण पर लाभ को प्राथमिकता देते हैं।
भैंसें घुटनों तक गोबर में खड़ी
दिल्ली की मुख्य डेयरी सुविधा में पाया, भैंसें घुटनों तक गोबर में खड़ी रहती हैं, जिससे त्वचा के संक्रमण और बीमारियों का सामना करना पड़ता है। खराब स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं की कमी से समस्या और बढ़ जाती है।
जन्म के तुरंत बाद आधे बछड़े मर जाते हैं
मुंबई में, बछड़ों को बांध दिया जाता है, जिससे वे अपनी माताओं तक नहीं पहुंच पाते, जिससे दम घुटने और मृत्यु हो जाती है। एक डेयरी मालिक ने स्वीकार किया कि जन्म के तुरंत बाद आधे बछड़े मर जाते हैं, जो उद्योग की पशु कल्याण की उपेक्षा को उजागर करता है।
पिटायी और कृत्रिम गर्भाधान
डेयरी उद्योग गायों को क्रूरता का सामना करने के लिए मजबूर करता है। उन्हें पीटा जाता है और कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है, अक्सर अस्वच्छ परिस्थितियों में, जिससे संक्रमण हो सकता है।
इंजेक्शन से दूध उत्पादन
गायें अधिकांश समय तंग और अस्वच्छ बाड़ों में बिताती हैं, ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन से दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे गंभीर पेट दर्द होता है। बार-बार गर्भाधान से गायें शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित होती हैं। असावधानी और अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण गायों में मैस्टिटिस और रूमेन एसिडोसिस जैसी बीमारियाँ आम हैं।
मानवीय और स्थायी तरीकों की आवश्यकता
कुछ डेयरी फार्म पशु कल्याण को प्राथमिकता देते हैं, बेहतर जीवन स्थितियों और अधिक मानवीय उपचार प्रदान करते हैं। हालांकि, ये फार्म अभी तक आदर्श नहीं हैं, और उद्योग को अपने पशु उपचार के लिए आलोचना का सामना करना पड़ता है। डेयरी उद्योग की प्रथाएं विकसित हो रही हैं, और पशु कल्याण और स्थिरता के लिए अधिक मानवीय और स्थायी तरीकों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ रही है।
पौधे-आधारित दूध विकल्प लोकप्रिय
उपभोक्ता तेजी से पशु कल्याण को प्राथमिकता देने वाले खेतों से डेयरी उत्पादों की तलाश कर रहे हैं, और पौधे-आधारित दूध विकल्प लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि लोग गहन डेयरी खेती के लिए अपने समर्थन को कम करने के तरीके ढूंढते हैं। अंततः, डेयरी उद्योग में गायों का उपचार एक जटिल मुद्दा है, और कोई सरल समाधान नहीं है। हालांकि, मुद्दों को समझने और अधिक मानवीय और स्थायी प्रथाओं का समर्थन करके, हम एक अधिक दयालु और पर्यावरण के अनुकूल खाद्य प्रणाली की दिशा में काम कर सकते हैं।
प्लांट-बेस्ड दूध
वीगन दूध, जिसे प्लांट-बेस्ड दूध भी कहा जाता है, एक ऐसा पेय है जो पशुओं के बजाय पौधों से प्राप्त किया जाता है। यह दूध नट्स, बीज, अनाज या दालों से बनाया जाता है और आजकल यह पारंपरिक डेयरी दूध का एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है।
इतिहास और विकास
हालाँकि पौधों से बना दूध कोई नई अवधारणा नहीं है - चीन में 14वीं शताब्दी से सोया दूध का सेवन किया जाता रहा है, और मध्ययुग में बादाम दूध यूरोप और मध्य पूर्व में अत्यंत लोकप्रिय था कृ लेकिन 21वीं शताब्दी में यह वैश्विक आंदोलन बन गया है। लोगों का पर्यावरण के प्रति जागरूक होना, पशु अधिकारों की समझ और स्वास्थ्य-संबंधी जागरूकता के कारण इसका उपयोग तेजी से बढ़ा है।
वीगन दूध के प्रकार
1. सोया दूध (पोषक तत्वों के लिहाज से यह गाय के दूध के समान): यह सोयाबीन और पानी से तैयार किया जाता है और प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन डी का उत्कृष्ट स्रोत है। पोषक तत्वों के लिहाज से यह गाय के दूध के समान है। इसमें मौजूद फाइटोएस्ट्रोजेन्स महिलाओं के हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं।
2. बादाम दूध (त्वचा और हृदय स्वास्थ्य)ः बादाम और पानी से बना यह दूध हल्का, सुगंधित और कम कैलोरी वाला होता है। इसमें विटामिन ई, मैग्नीशियम और कैल्शियम पाया जाता है, जो त्वचा और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
3. ओट-जव दूध (कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक): यह ओट्स से तैयार होता है और क्रीमी बनावट के कारण कॉफी और स्मूदी के लिए उपयुक्त होता है। इसमें बीटा-ग्लूकान्स पाए जाते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक हैं।
4. नारियल दूध (शरीर की ऊर्जा बढ़ाते हैं): नारियल के गूदे से निकाला गया यह दूध स्वादिष्ट और गाढ़ा होता है। इसमें मीडियम-चेन ट्राइग्लिसराइड्स होते हैं जो शरीर की ऊर्जा बढ़ाते हैं और मेटाबॉलिज्म सुधारते हैं।
5. राइस-चावल मिल्क (एलर्जी से परेशान लोगों के लिए आदर्श): यह भूरे या सफेद चावल को पीसकर बनाया जाता है और एलर्जी से परेशान लोगों के लिए आदर्श माना जाता है। यह कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है और शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
6. काजू दूध (हृदय के लिए लाभकारी): स्वाद में मीठा और बनावट में मलाईदार, काजू दूध में जिंक और मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह हृदय के लिए लाभकारी और कॉफी या मिठाइयों के लिए उपयुक्त है।
7. हैम्प दूध (शरीर में सूजन कम): यह भांग के बीजों से बनाया जाता है और इसमें ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड पाए जाते हैं। यह दूध शरीर में सूजन कम करने और दिमागी कार्य को बेहतर करने में सहायक होता है।
भारत में सबसे तेजी से बढ़ रहे प्लांट-आधारित दूध
सोया दूधः भारत में सबसे तेजी से बढ़ रहे प्लांट-आधारित दूध की किस्मों में सोया दूध और हेजलनट दूध मुख्य हैं। सोया दूध 2024 में लगभग 65.4ः बाजार हिस्सा रखता है, जिसका कारण देश में सोयाबीन की मजबूत घरेलू पैदावार, पारंपरिक डेयरी दूध के मुकाबले किफायती दाम और प्रोटीन की उच्च मात्रा है। सोया दूध अपने बहुपयोगी होने के कारण खासतौर से सस्ता विकल्प होने के कारण कई उपभोक्ताओं में लोकप्रिय है।
हेजलनट दूधः वहीं, हेजलनट दूध, जो वर्तमान में बाजार में छोटा है, 2030 तक लगभग 19.3ः वार्षिक वृद्धि दर से सबसे तेजी से बढ़ने वाला वर्ग है। इसका लोकप्रिय होना विशेष रूप से उन स्वास्थ्य-सचेत और धनवान उपभोक्ताओं के कारण है, जो इसके अनोखे स्वाद और प्रीमियम क्वालिटी को अहमियत देते हैं।
बादाम, ओट और नारियल दूधः इसके अलावा, बादाम, ओट और नारियल जैसे अन्य प्लांट-आधारित दूध भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। खासकर शहरी क्षेत्रों में ओट दूध अपनी मलाईदार बनावट और पर्यावरण मित्र होने के कारण बढ़ रहा है। बादाम दूध अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए पसंद किया जाता है, जबकि नारियल दूध कुछ क्षेत्रीय और व्यंजन संबंधी उपयोगों में लोकप्रिय बना हुआ है।
स्वास्थ्य संबंधी लाभ
1. लैक्टोज फ्रीः जो लोग लैक्टोज असहिष्णु हैं, उनके लिए वीगन दूध उत्कृष्ट विकल्प है।
2. हृदय स्वास्थ्य में सहायकः इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल कम होता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
3. पाचन के लिए आसानः इसमें कोई पशु प्रोटीन नहीं होता, जिससे पेट हल्का रहता है।
4. हड्डियों को मजबूत बनाता हैः अधिकांश वीगन दूध कैल्शियम और विटामिन क् से समृद्ध किए जाते हैं।
5. वजन नियंत्रणः कम कैलोरी होने के कारण यह वजन घटाने में मदद करता है।
6. सूजन रोधी प्रभावः पौधों से प्राप्त एंटीऑक्सीडेंट और फैटी एसिड शरीर में सूजन कम करते हैं।
सीमाएँ और विवाद
वीगन दूध को लेकर मुख्य विवाद इसका नाम है। कई देशों में ‘‘मिल्क‘‘ शब्द केवल पशु-आधारित दूध के लिए कानूनी रूप से मान्य है। इसके अलावा, शिशुओं या कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए वीगन दूध संतुलित विकल्प नहीं माना जाता क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से इम्यून बूस्टिंग पदार्थ नहीं होते। इसके साथ ही, नट्स या सोया से एलर्जी वाले लोग इन विकल्पों का सेवन नहीं कर सकते।
2030 तक वीगन दूध बाजार का आकार दोगुना
भविष्य में खाद्य प्रौद्योगिकी वीगन दूध को और बेहतर बनाने की दिशा में अग्रसर है। कंपनियाँ फोर्टिफिकेशन द्वारा इसमें विटामिन और प्रोटीन जोड़ रही हैं ताकि यह पोषण के मामले में डेयरी दूध के करीब आ सके। ओट्स और नट्स के संयोजन से नए स्वाद और टेक्सचर पेश किए जा रहे हैं। वैश्विक रिपोर्टों के अनुसार, 2030 तक वीगन दूध बाजार का आकार दोगुना हो सकता है।
स्वास्थ्य, पर्यावरण और नैतिकता के बीच संतुलन
वीगन दूध केवल एक खाद्य विकल्प नहीं बल्कि एक जागरूक जीवनशैली का प्रतीक है। यह स्वास्थ्य, पर्यावरण और नैतिकता कृ तीनों के बीच संतुलन प्रस्तुत करता है। यद्यपि यह पारंपरिक डेयरी दूध की पूरी तरह जगह नहीं ले सकता, फिर भी इसके पोषण, हल्केपन और पर्यावरणीय लाभ इसे आधुनिक युग के लिए आदर्श बना देते हैं। बढ़ती नवाचार, फोर्टिफिकेशन और जन-जागरूकता के साथ, भविष्य में वीगन दूध वैश्विक खाद्य प्रणाली का स्थायी और संवेदनशील भाग बन सकता है। ([email protected])
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Tree TakeNov 16, 2025 11:34 AM
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