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चमकते पेड़ बिजली की स्ट्रीट लाइटों का एक प्राकृतिक, ऊर्जा-मुक्त विकल्प प्रदान कर सकते हैं, जो काफी मात्रा में बिजली की खपत करती हैं और कार्बन उत्सर्जन में योगदान करती हैं। इस तकनीक का उपयोग स्व-प्रकाशमान पार्क और रास्ते बनाने के लिए किया जा सकता है, जिससे देखने में आकर्षक और पर्यावरण-अनुकूल शहर बन सकते हैं। चमकते पेड़ ग्रामीण या ऑफ-ग्रिड समुदायों के लिए प्रकाश व्यवस्था का एक समाधान प्रदान कर सकते हैं। जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से चमकते पेड़ों का विकास किया जा रहा है, हालाँकि वे अभी व्यापक रूप से प्रचलित नहीं हैं। वैज्ञानिक जैव-प्रकाश उत्सर्जक कवक और अन्य चमकते जीवों के जीन का उपयोग करके ऐसी लकड़ी बना रहे हैं जो प्राकृतिक रूप से चमकती है और एक दिन बिजली की स्ट्रीट लाइटों की जगह ले सकती है। लेकिन इसके लिए कुछ सालों का इंतजार करना पड़ेगा। लंदन के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में कुछ चमकने वाले पौधे तैयार किए हैं। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, एमआरसी लंदन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और प्लांटा नाम की एक कंपनी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इन पौधों को तैयार किया है। वैज्ञानिक डॉ. केरेन सरकिस्यां का कहना है कि “हमने मशरूम के जीन्स से चमकने वाले पौधों को तैयार किया है, अभी इनकी चमक और रोशनी थोड़ी कम है, आगे चलकर हम इन पौधों में और बदलाव करेंगे ताकि कुछ सालों में ये तेज रोशनी पैदा करने लगें। फिलहाल इन पौधों का उपयोग घरों में नाइट लैंप की तरह किया जा सकता है”। आपको बता दें कि दुनिया में कई ऐसे जीव-जंतु और पेड़-पौधे हैं जो रोशनी से चमकते हैं। ऐसा इनके शरीर में होने वाली ‘बायोल्यूमिनिसेंस’ प्रक्रिया की वजह से होता है, जो इन जीवों के शरीर में मौजूद होता है। जुगनू, जेली फिश और कुछ बैक्टीरिया के शरीर के अंदर भी यही रासायनिक प्रक्रिया होती है जिससे उनके शरीर में चमक पैदा होती है। इस तरह की चमक पैदा करने की प्रक्रिया को ही बायोल्यूमिनिसेंस कहते हैं। पौधों में चमक पैदा करने वाले जीन को ‘लूसीफेरिंस’ कहते हैं। हालांकि, पौधों में यह रसायन कम मात्रा में पाया जाता है इसलिए वैज्ञानिक मिलकर इस रसायन को पौधों में बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसे पौधों के डीएनए में डालने में काफी खर्च आता है। अभी तक ऐसा पौधा नहीं बनाया जा सका है जो खुद से रासायनिक प्रक्रिया करके चमकता रहे। इन पौधों की अन्य विशेषताओं को बताते हुए डॉ. केरेन कहती हैं कि ये पौधे दिन में हवा को साफ करेंगे और रात में रोशनी देंगे। यह सब वे प्राकृतिक स्रोतों से ऊर्जा लेकर करेंगे। यदि प्रयोग सफल रहे तो जल्द ही दुनिया की सड़कों पर बिजली के खंभों की जगह रोशनी देने वाले पौधे नजर आएंगे। कुछ शाहबलूत के पेड़ों को भी चमकाया जा सकता है। उनकी छाल में मौजूद यौगिक एस्कुलिन प्रतिदीप्तिशील होता है, अर्थात यह पराबैंगनी प्रकाश को अवशोषित करता है और उसे दृश्य प्रकाश के रूप में पुनः उत्सर्जित करता है, जिससे जिस पानी में यह स्थित होता है वह पराबैंगनी प्रकाश में चमकने लगता है।
अंटार्कटिका में बर्फ के नीचे हैं 100 ज्वालामुखी, फटे तो दुनियाभर में आएगा समुद्री प्रलय
अंटार्कटिका पर हुए एक अध्ययन में पता चला है कि वहां नीचे सैकड़ों ज्वालामुखी दबे हैं। वहां की बर्फ के पिघले के पूर्वानुमान लगाने की जगह वैज्ञानिक यह पता लगाने का प्रयास कोशिश कर रहे हैं कि बर्फ के नीचे दबे सैकड़ों में से कितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं। उन्होंने खास तौर पर यह जानने की कोशिश की है कि उनमें से कितने फट सकते हैं। धरती के सबसे दक्षिण में स्थित अंटार्कटिका महाद्वीप 100 से ज्यादा ज्वालामुखी का घर है। ये ज्वालामुखी बर्फ की मोटी परत के नीचे छिपे हुए हैं। कम लोग जानते हैं कि महाद्वीप को ढकने वाली पश्चिमी बर्फ की चादर को पृथ्वी पर मौजूद सबसे बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र माना जाता है, जिसमें लगभग 138 ज्वालामुखी हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इन ज्वालामुखी में विस्फोट हो सकता है जिससे दुनियाभर के समुद्र में जलस्तर बढ़ सकता है। यह चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब हाल ही में वैज्ञानिकों ने धरती के सबसे बड़े ज्वालामुखी क्षेत्र का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अंटार्कटिका महाद्वीप के पश्चिमी तरफ बर्फ की मोटी चादर के दो किमी नीचे ये ज्वालामुखी मौजूद हैं। इनमें से एक ज्वालामुखी तो करीब 4 हजार मीटर ऊंचा है। ब्रिटेन के एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के एक दल ने साल 2017 में इन ज्वालामुखी की खोज की थी। अब इस दल ने दावा किया है कि यह अंटार्कटिका का पूरा इलाका पूर्वी अफ्रीका के ज्वालामुखी क्षेत्र को भी पीछे छोड़ सकता है। पूर्वी अफ्रीका के ज्वालामुखी क्षेत्र को दुनिया में ज्वालामुखी का सबसे घना क्षेत्र माना जाता है। वर्तमान समय में केवल दो सक्रिय ज्वालामुखी अंटार्कटिका पर हैं। इनका नाम माउंट इरेबस और डिसेप्शन आइलैंड। ये अपनी भूगर्भीय बनावट के आधार पर बहुत खास हैं और दुनिया के अन्य ज्वालामुखी से पूरी तरह से अलग हैं। अंटारकटिका पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इन ज्वालामुखी के जल्द फटने का खतरा बहुत कम है। भूवैज्ञानिकों ने उनमें से 91 की खोज एक अध्ययन के हिस्से के रूप में की थी जो 2017 में किया गया था और जर्नल जियोलॉजिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुआ था। ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उसके आंतरिक भाग से निकलने वाले गर्म पदार्थ की अभिव्यक्ति के रूप में अस्तित्व में आते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ लिसेस्टर में ज्वालामुखी के विशेषज्ञ प्रफेसर जॉन स्मेली ने कुछ समय पहले कहा था कि कभी भी ये ज्वालामुखी काफी ज्यादा पानी पिघला सकते हैं। यह पानी धीरे-धीरे पिघलेगा और फिर वह समुद्र में मिल जाएगा जिससे जलस्तर बहुत बढ़ जाएगा। बता दें कि धरती का 80 फीसदी ताजा पानी अंटार्कटिका पर है। अगर यह पिघल जाए तो समुद्र का जलस्तर विश्वभर में 60 मीटर तक बढ़ जाएगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक इससे हमारी धरती इंसानों के रहने लायक नहीं रह जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्वालामुखी में विस्फोट इस पूरी प्रक्रिया को गति दे सकता है।
100 सालों में केवल एक बार ही खिलता है यह दुर्लभ और विशाल पौधा
प्रकृति में कई ऐसे पेड़ और पौधे पाए जाते हैं जो बहुत ही अनोखे होते हैं। आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताएंगे जिसे धरती पर सबसे अजीब पौधों में से एक बताया जाता है, जिसका नाम पुया रायमोंडी है। इस पौधे में कई खूबियां हैं जिन्हें जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। पुया रायमोंडी एक दुर्लभ और विशाल पौधा है जो शताब्दी में एक बार ही खिलता है, इसलिए अधिकांश लोगों के लिए इस दुर्लभ लुप्तप्राय पौधे को खिलते हुए देखने का मौका जीवनकाल में केवल एक बार ही आएगा। इस पौधे को एंडीज की रानी के रूप में भी जाना जाता है। यह केवल तभी खिलता है जब पौधा लगभग 80 से 100 साल की आयु तक पहुंच जाता है। ऊंचाई वाली जगहों पर उगता पुया रायमोंडी आमतौर पर कैक्टस से मिलता-जुलता लगता है। यह साऊथ अमेरिका में 12,000 फुट की ऊंचाई पर उगता है। बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के बॉटनिकल गार्डन के निदेशक पॉल लिच्ट ने बताया कि यह पौधा खराब मिट्टी के साथ ठंडी और शुष्क परिस्थितियों में भी उग सकता है। पुया रायमोंडी दुनिया का सबसे बड़ा ब्रोमेलियाड है। साथ ही यह दुनिया का सबसे ऊंचा फ्लॉवर स्पाइक भी है। पौधे को परिपक्व होने में कितना समय लगता है, यह बहस का विषय रहा है। जब इस पर फूल खिलते हैं, तो यह देखने में बड़ा ही सुंदर लगता है। इस पर हजारों की संख्या में सफेद फूल खिलते हैं, जिनमें लाखों बीज होते हैं। एक बार फूल आने के बाद ये पौधा मुरझा जाता और फिर मर जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पर 8 हजार से लेकर 20 हजार तक फूल खिल सकते हैं।
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Tree TakeNov 16, 2025 12:16 PM
जल्द सड़कों पर नजर आ सकते हैं रात में बल्ब की तरह चमकने वाले पेड़-पौधे
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