A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

Support Us
   
Magazine Subcription

’स्वच्छ पर्यावरण के लिए पशु-पक्षियों का संरक्षण जरूरी’

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

’स्वच्छ पर्यावरण के लिए पशु-पक्षियों का संरक्षण जरूरी’

कई दशक पहले गावों में पक्षियों की भरमार रहती थी, लेकिन लगातार प्राकृतिक छेड़छाड़ के कारण इनकी संख्या लागातार घटती जा रही है...

’स्वच्छ पर्यावरण के लिए पशु-पक्षियों का संरक्षण जरूरी’

Green Update

उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन एवं बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा प्राकृतिक जलस्रोत जैसे-नदी, तालाब, पोखर आदि में मानव के लगातार बढ़ते हस्तक्षेप के कारण जलचर एवं पशु-पक्षी कम होते जा रहे हैं। पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए पोखर एवं तालाबों को पुनर्जीवित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कई दशक पहले गावों में पक्षियों की भरमार रहती थी, लेकिन लगातार प्राकृतिक छेड़छाड़ के कारण इनकी संख्या लागातार घटती जा रही है। मनुष्य के अस्तित्व के लिए प्राकृतिक संरक्षण जरूरी है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ स्थित वन विभाग के अरण्य भवन के सभागार में बर्ड फेस्टिवल के ‘लोगो’ के अनावरण एवं उसके थीम के बारे में मीडिया को जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव काल के दौरान राज्य सरकार प्राकृतिक संरक्षण के लिए गांव में स्थित तालाबों का सौन्दर्यीकरण एवं संरक्षण करा रही है। पर्यटन मंत्री ने कहा कि पक्षियों के संरक्षण के लिए एनजीटी और पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गाइड लाइन्स जारी की गई है। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के प्रयोग एवं बढ़ते प्रदूषण के कारण पक्षियों की कई दुलर्भ प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर पहुंच गयीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ लोगों का जुड़ाव हो सके, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा एवं मुख्यमंत्री जी के कुशल निर्देशन में प्रकृतिक क्षेत्रों को क्षति पहुंचाये बगैर इको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इको टूरिज्म बोर्ड का गठन किया गया है। इस बोर्ड में 10 विभागों को जोड़कर पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई गई है। उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक वातावरण सृजित कर पंचकर्म (आयुष) के साथ जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि केरल की भांति उत्तर प्रदेश में भी पंचकर्म को बढ़ावा दिया जायेगा।

Trees Outside Forests in India का शुभारंभ

लखनऊ में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं भारत सरकार के संयुक्त साझेदारी में प्रारम्भ किये जा रहे Trees Outside Forests in India Programका शुभारंभ प्रदेश के वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 अरुण कुमार सक्सेना तथा राज्यमंत्री के0पी0 मलिक ने किया। डॉ0 अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि प्रदेश में अभिलिखित वनों में जैविक दबाव के दृष्टिगत पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदेशवासियों की वनाधारित उत्पादों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वन क्षेत्र के बाहर अधिकाधिक वृक्षारोपण किया जाने की आवश्यकता है। इस दिशा में कृषि वानिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अन्तर विभागीय समन्वय एवं व्यापक जनसहभागगिता से वृक्षारोपण जन अभियान द्वारा आगामी पांच वर्षों में प्रदेश का वनावरण एवं वृक्षावरण विस्तार कर 9.23 प्रतिशत से बढ़ा कर अगले पांच वर्षों में 15.00 प्रतिशत तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। टी0ओ0एफ0आई0 कार्यक्रम प्रारम्भ करने के लिए धन्यवाद, देते हुए डॉ0 सक्सेना ने कहा कि योजना वृक्षाधारित उद्योगों एवं कृषकों सहित समस्त स्टेक होल्डर को शामिल करते हुए किसानों की आय, आजीविका सुरक्षा, उपयुक्त वृक्ष प्रजातियों का चयन एवं पर्यावरणीय सेवाओं की निरंतरता बनाये रखने में सहायक सिद्ध होगी। ‘‘ट्रीज आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया (टी0ओ0एफ0आई0) कार्यक्रम के तहत कृषकों, राज्य संस्थानों, कम्पनियों, व्यापारी संगठनों तथा अन्य निजी संस्थानों को एक मंच पर लाकर राज्य में पारंपरिक वन क्षेत्र के बाहर वृक्षावरण में वृद्धि कर कृषि पारिस्थितिकी तन्त्र को मजबूत किया जायेगा। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका, रोजगार एवं आय में वृद्धि, कृषि वानिकी उत्पाद आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (एस-जीडीपी) को 1 ट्रिलियन डालर इकोनॉमी बनाने में सहयोग प्राप्त होने के साथ ही कार्बन अवशोषण द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव न्यून करने, कार्बन अवशोषण के 2.5 बिलियन टन कार्बन अवशोषण एन0डी0सी0 के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा राज्य की हरियाली को 9.23 प्रतिशत से 15 प्रतिशत करने में सहयोग प्राप्त होगा।

वन एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में निवेश के अवसर’ पर सत्र                           

उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिति-2023 में उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विभाग डाॅ अरूण कुमार सक्सेना ने ‘वन एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में निवेश के अवसर’ विषयवस्तु पर आधारित सत्र का शुभारम्भ करने के उपरान्त निवेशकों व प्रतिभागियों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर डाॅ सक्सेना ने कहा कि आधारभूत संरचना का विकास, बिजली की सतत् आपूर्ति एवं कानून व्यवस्था मेें सुधार के फलस्वरूप विगत 6 वर्षो मेें उत्तर प्रदेश की स्थिति में परिवर्तन दृष्टिगोचर होने से उद्यमी प्रदेश में निवेश हेतु उत्सुक है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से प्रदेश बीमारू राज्यों की श्रेणी से निकल कर उत्तम प्रदेश बन गया है तथा सर्वोत्तम प्रदेश बनने की दिशा मेें अग्रसर है। डाॅ अरूण कुमार सक्सेना ने व्यापरियों व उद्यमियों से प्रदेश में  निवेश करने का अनुरोध करते हेतु कहा कि निवेशकों को प्रदेश सरकार द्वारा पूर्ण सम्मान, सहयोग व सुरक्षा प्रदान की जायेगी। कोई भी समस्या उत्पन्न होने पर उसके निराकरण हेतु विभागीय प्रशासन व शासन के अधिकारी सदैव तत्पर हैं। सत्र के विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री, पर्यावरण, वन जन्तु उद्यान के0पी0 मलिक ने देश व विदेश से आए निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा कि बढ़ते व चमकते प्रदेश में निवेश कर निवेशक गौरवन्वित अनुभव करेंगे। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश निवेश हेतु सबसे अच्छा गन्तव्य है। मलिक ने कहा कि वर्ष 2027 तक सर्वोत्तम प्रदेश बनाने हेतु सबके सहयोग की आवश्यकता के दृष्टिगत मिलजुल कर काम करंे सरकार सहयोग हेतु सदैव आपके साथ है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष ममता संजीव दूबे ने कहा कि परम्परागत रूप से पाॅपलर, यूकेलिप्टस, शीशम व सागौन प्रकाष्ठ का वाणिज्यिक उपयोग किया जा रहा था किन्तु उद्योगों की पहल व तकनीक के आगमन से अन्य प्रजातियों के प्रकाष्ठ व बांस का भी वाणिज्यिक उपयोग बढ़ रहा है। दूबे ने बांस के विभिन्न उत्पादों व ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि ईको पर्यटन व कार्बन क्रेडिट विपणन साहित विभिन्न वानिकी गतिविधियों में निवेश की सम्भावनाएं बढ़ रही हंै। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि विभाग उद्योगों की ओर सहयोग का हाथ बढा रहा है तथा हमारी इच्छा है कि निवेशक वनाधारित उद्योगों में निवेश, पारिस्थितिकी संतुलन में सुधार व प्रदेश को हरा-भरा करने हेतु सहयोग प्रदान करें। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तर प्रदेश सुनील चैधरी ने इको पर्यटन की आवश्यकता व आधार, इको पर्यटन के विभिन्न सर्किट, उत्तर प्रदेश इको डेवलपमेण्ट बोर्ड का गठन, पारिस्थितिकी मित्र कार्य, वन्यजीव आधारित पर्यटन की संभावनाएं, अवसर व क्षमता एवं प्रदेश के महत्वपूर्ण  इको पर्यटन स्थलों का विस्तार से उल्लेख करते हुए प्रदेश में इको पर्यटन की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत इको पर्यटन क्षेत्र में निवेश हेतु निवेशकों को आमन्त्रित किया। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षकध्राज्य स्तरीय समिति प्रकाष्ठ आधारित उद्योग अनुपम गुप्ता ने समस्त अभ्यागतों का स्वागत करते हुए कहा कि वानिकी क्षेत्र में प्रमाणित प्रकाष्ठ, प्रकाष्ठ आधारित उद्योग, इको पर्यटन, पल्प व कागज, बांस आधारित हैण्डीक्राफ्ट, फर्नीचर उद्योग सहित विभिन्न वानिकी आधारित इकाईयों में निवेश की असीमित संभावनाएं हैं। गुप्ता ने कहा कि वन विभाग को वानिकी क्षेत्र में निवेश का लक्ष्य प्रथम बार आवंटित किया गया। उन्होने विभाग को आवंटित लक्ष्य रू0 15000 करोड़ के सापेक्ष रू0 20000 करोड़ से अधिक के एम.ओ0यू0 होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते निवेशको को आभार व्यक्त किया। अध्यक्ष एम0डी0एफ0 व पार्टिकल बोर्ड अशोक अग्रवाल ने कहा कि वन क्षेत्र के बाहर कृषि भूमि पर आवस्थित वृक्षों के पातन व अभिवाहन पर प्रतिबन्ध हटाने से निवेशक उद्योग लगाने हेतु आगे आएगे जिससे प्रकाष्ठ अन्य प्रदेश में न जाकर प्रदेश में स्थापित उद्योगों में उपयोग होगा। अग्रवाल ने गंगा तट पर दोनों ओर बास व वृक्षों की खेती को प्रोत्साहन दिए जाने का अनुरोध किया। श्रीनिवास कृष्णामूर्ति, सी0ई0ओ वसुन्धरा फाउण्डेशन ने सौर उर्जा, ग्रीन हाईड्रोजन, इलेक्ट्रिक वाहन रीसाईक्लिंग मार्केट एवं ग्रामीण क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं व क्षमता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश उन गिने चुने राज्यों मेें शामिल है जहाॅ ग्रीन हाईड्रोजन नीति तैयार की गई है।

वानिकी क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार

माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, डा0 अरूण कुमार सक्सेना, माननीय राज्य मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, के0पी0 मलिक, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, मनोज सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, ममता संजीव दूबे, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्-वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, अरूण सिंह रावत, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, उत्तर प्रदेश, डा0 कुरूविला थाॅमस, प्रबन्ध निदेशक, उत्तर प्रदेश वन विगम, सुधीर शर्मा, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, डा0 रेनू सिंह, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, आशीष तिवारी, उत्तर प्रदेश वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्-वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून/प्रयागराज के वैज्ञानिकगण एवं मीडिया के प्रतिनिधिगण की गरिमामयी उपस्थिति में वानिकी क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्-वन अनुसंधान संस्थान एवं उत्तर प्रदेश वन विभाग के मध्य लखनऊ मेें डवन् पर हस्ताक्षर किया गया।  भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्-वन अनुसंधान संस्थान की तरफ से निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून डा0 रेनू सिंह तथा उत्तर प्रदेश वन विभाग की तरफ से प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, डा0 कुरूविला थाॅमस द्वारा डवन् पर हस्ताक्षर किया गया।  निम्न क्षेत्रों में दोनों पक्षों के आपसी सहमति एवं सहयोग से कार्य किया जायेगा:- आपसी परामर्श एवं सहयोग से दीर्घकालीन अनुसंधान योजना तैयार करना, प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लेने हेतु संयुक्त कार्य समिति की स्थापना करना, आधुनिक पौधशालाओं की स्थापना में तकनीकी जानकारी एवं सहयोग करना, सी0पी0टी0 एवं बीज उत्पादन क्षेत्रों की पहचान, उच्च गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री के उत्पादन में सहायता करना, भारतीय वानिकी अनुसंधान शिक्षा परिषद् के तकनीकी एवं वैज्ञानिक सहयोग से डेमो प्लान्टेशन स्थापित करना, स्थायी अनुश्रवण हेतु उद्देश्य के अनुरूप नमूना क्षेत्र ;ैंउचसम चसवजेद्ध स्थापित करना, विभाग के प्रतिनिधियों के साथ विविध अनुसंधान प्रयोग करना, पारस्परिक सहमति से विविध चिन्हित विषयों पर वन कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने हेतु कार्यक्रम आयोजित करना, शोध सम्बन्धी निष्कर्षों को समय≤ पर उत्तर प्रदेश वन विभाग से सांझा करना, वनीकरण एवं अन्य कार्यों का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन। यह डवन् हस्ताक्षर की तिथि से पाॅच वर्ष की अवधि तक प्रभाव में रहेगा, जिसे दोनों पक्षों के आपसी लिखित सहमति से आगे बढ़ाया जा सकेगा।

Leave a comment