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अधिकतर लोगों को ये लगता है कि घर में मोगरा, गुलाब, सेवंती, जासवंत, बोगनवेलिया जैसे फूल ज्यादा अच्छे से लगते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर में कमल उगाना भी उतना ही आसान। घर में कमल की शुरुआत एक ग्लास पानी से ही की जा सकती है और जैसे-जैसे ये बढ़ता रहे वैसे-वैसे आप इसमें मिट्टी और पानी दोनों डालते रहें। कमल के बीज आप ऑनलाइन मंगवा सकते हैं। जनरल स्टोर पर लोटस सीड्स कमल गट्टे के नाम से मिलेंगे। अगर आप किराना स्टोर से इन्हें ले रहे हैं तो थोड़े ज्यादा लेने की कोशिश करें क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि इनमें से कई सीड्स डैमेज निकलें। पर किराना स्टोर पर ये काफी सस्ते में मिलेंगे। आपको बस कमल के बीज पानी में डालकर देखने हैं। अगर बीज नीचे बैठ जाते हैं तो ये उगाने लायक हैं और अगर ये ऊपर तैर रहे हैं तो इनका कोई काम नहीं होगां। कमल के बीज को उगाने के लिए सबसे जरूरी स्टेप है उसकी स्कारिंग। कमल के बीज का कोट बहुत ही हेवी रहता है और ये आसानी से न तो टूटता है और न ही आसानी से पानी अंदर जा पाता है। ऐसे में उसे थोड़ा सा तोड़ना या घिसना पड़ता है जिससे कमल का बीज आसानी से पानी अपने अंदर ले ले और जर्मिनेशन प्रोसेस शुरू हो सके। इसके लिए आपको या तो बीज के कवर को किसी पत्थर या हथौड़ी से हल्के हाथों से तोड़ना होगा जिससे अंदर का बीज न टूटे और सिर्फ ऊपर के कवर में थोड़ा क्रैक आ जाए। या फिर आपको इसे घिसना होगा। कमल के बीज के दो एंड्स होते हैं एक में छेद दिखता है और दूसरे में प्वॉइंटेड टिप। आपको छेद वाले साइड से तब तक इसे घिसना है जब तक इसका सफेद हिस्सा नहीं दिखने लगता। इसमें 15-20 मिनट आसानी से लग सकते हैं। आप नेल फाइलर का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर सिर्फ जमीन पर घिस सकते हैं। इसमें बीज के डैमेज होने का खतरा कम होता है। अब आपको करना ये है कि एक ग्लास पानी में अपने लोटस सीड को डाल देना है और वो अपना काम करता रहेगा। अगर बहुत ज्यादा सीड्स हैं तो आप इसे दो-तीन अलग-अलग बर्तनों में भी रख सकते हैं। पर पहले शुरुआत छोटे बर्तनों से करें जिसमें 2-3 इंच पानी हो। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आपने इसे ज्यादा गहरे पानी में डाल दिया तो स्प्राउट पानी के ऊपर आने की जल्दी में रहेगा और इससे वो पतला होता जाएगा। शुरुआत एक ग्लास पानी से करना ही सबसे बेस्ट होता है। अब दो-तीन दिन के अंदर आपको अपने लोटस के बीज में स्प्राउट्स दिखने लगेंगे। जब ये 2-3 इंच लंबे हो जाएं तो या तो आप इन्हें किसी और बर्तन में रख सकते हैं या फिर एक्सपेरिमेंट के तौर पर 1 बीज को 1 ग्लास पानी में नीचे थोड़ी मिट्टी डालकर उसमें गाड़ सकते हैं और इसके ऊपर थोड़ी रेत जरूर डालिएगा ताकि मिट्टी जमी रहे। ऐसा करते समय ध्यान रखें कि ग्लास बहुत गहरा या लंबा हो क्योंकि लोटस के बीज को कम से कम 1 इंच की मिट्टी और 4 इंच पानी चाहिए इस स्टेज पर। अगर आप इसे पूरा पौधा बनाना चाहते हैं तो थोड़े और बड़े बर्तन में शिफ्ट कर दें। ऐसा तब तक करें जब तक इसमें जड़ें नहीं दिखने लगतीं। अब तक आपके लोटस में पत्तियां भी आ गई होंगी। जैसे ही जड़ें दिखें इसे उसी तरह से किसी बड़े टब में नीचे मिट्टी डालकर 1 इंच मिट्टी में प्लांट करें। ध्यान रहे कि लोटस को चिकनी मिट्टी चाहिए होती है। आपको लोटस का पानी शुरुआत में हर दिन बदलना होगा और जब ये पौधा बन जाएगा तो इसे अगर बहुत बड़े टब में रखा है तो 1 महीने में एक बार ही पानी बदलें। कमल के पौधे को कभी एल्युमीनियम या किसी मेटल में न लगाएं। इसे प्लास्टिक, मिट्टी, सिमेंट, बोन चाइना आदि में लगाया जा सकता है। एल्युमीनियम से तो दूर ही रखें वर्ना ये पानी के अंदर ही गल जाएगा। कमल के पौधे में 6 से 7 महीने में फूल आने लगते हैं, जिनके जरिए आप नया बीज बना सकते हैं और दोबारा से कमल के पौधे उगा सकते हैं। इसके लिए पौधे में फूल आने के बाद उसे पौधे से अलग करना होगा और फूल को धूप में कुछ घंटों को लिए सूखाना होगा। कमल का फूल सूखने के बाद उसके हल्की आंच में भून लें, इस तरह फूल से बीज अलग हो जाएंगे। इस तरह सिर्फ एक कमल के पौधे से ही आपके गार्डन में कई कमल के पौधे उगाए जा सकते हैं, बस आपको उन पौधों की सही देखभाल करनी होगी। कमल का फूल सिर्फ तालाब, पोखर या गार्डन की खूबसूरती ही नहीं बढ़ाता है, बल्कि इसे कई तरह के कामों में इस्तेमाल भी किया जाता है। कमल के बीजों से मखाना बनाया जाता है, जो बहुत ही पौष्टिक और सेहतमंद खाद्य पदार्थ माना जाता है। मखाने में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनका सेवन करने से व्यक्ति सेहतमंद बना रहता है। इसके साथ ही कमल के फूल का रस भी बहुत उपयोगी होता है, जो जले कटे या फिर चोट को सही करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कमल के फूल के तने को सब्जी या अचार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। जिन जगहों पर कमल की खेती की जाती है, वहाँ इसके तने को बिल्कुल भी बर्बाद नहीं किया जाता है। वही कमल के फूल को धार्मिक कार्यों और भगवान की प्रतिमा को अर्पित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
चीकू खाने के फायदे रखेंगे आपको स्वस्थ
अगर आपको रोज थकान सी लगती है और आंखों की समस्या भी आपका पीछा नहीं छोड़ रही है तो सपोटा यानि चीकू रोज खाना शुरू कर दीजिए। इसमें मौजूद विटामिन, मिलरल्स और फाइबर शरीर की बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। चीकू में विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है और यह आंखों को सेहत मंद बनाए रखने में सहायता करता है। चीकू में ग्लूकोज पाया जाता है जो शरीर को तुरंत एनर्जी देने का काम करता है। जो लोग रोज एक्सरसाइज करते हैं उन्हें ऊर्जा की बहुत आवश्यकता होती है इसलिए उन लोगों को चीकू रोज खाना चाहिए। चीकू में विटामिन ए और बी अच्छी मात्रा पाया जाता है जो कैंसर के खतरे से बचाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो कैंसर सेल्स को बनने से रोकते हैं। अगर आप अपनी हड्डियों को मजबूत बनाना चाहते हैं तो चीकू आज ही से खाना शुरू कर दें। इसमें कैल्शियम फास्फोरस और आयरन की भरपूर मात्रा होती है जो हड्डियों के लिए आवश्यक होती है। कब्ज से राहत पाने के लिए चीकू खाना सबसे अच्छा उपाय है। इसमें मौजूद फाइबर कब्ज से राहत दिलाता है और अन्य संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है। चीकू में कई एंटी-वायरल, एंटी-परसिटिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो शरीर में बैक्टीरिया को आने से रोकते हैं। यह फल दिमाग को शांत रखने में बहुत मदद करता है और तनाव को कम करने में भी मदद करता है। सर्दी और खांसी के लिए चीकू रामबाण का काम करता है और यह पुरानी खांसी से भी राहत देता है। चीकू के फल के बीज को पीस कर खाने से गुर्दे की पथरी यूरिन के साथ निकाल जाती है। साथ ही यह गुर्दे के रोगों के से भी बचाता है। चीकू में लेटेक्स अच्छी मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह दांतों की कैविटी को भरने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
भृंगराज कई औषधीय गुणों का खजाना है
भृंगराज एस्टेरेसी परिवार से संबंध रखने वाला एक पौधा है, जिसे फाल्स डेजी के नाम से जाना जाता है। इसकी खेती भारत के अलावा चीन, थाईलैंड और ब्राजील में की जाती है। भारतीय आयुर्वेद में इसका अधिक महत्व है। इसकी जड़ों से लेकर तने, पत्तियां और फूल को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीहिस्टामिनिक (एलर्जी को दूर करने वाला), हेपेटोप्रोटेक्टिव (लीवर को स्वस्थ रखना) और एक्सपेक्टोरेंट (कफ जैसी श्वांस की बीमारी को दूर करना) जैसे कई औषधीय गुण होते हैं। इसके अलावा, कई स्थानों पर इसका उपयोग सर्प दंश को ठीक करने के लिए किया जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। अगर यह कहा जाए कि भृंगराज कई औषधीय गुणों का खजाना है, तो गलत नहीं होगा। लीवर के विकार को पीलिया कहा जाता है। इस चिकित्सकीय अवस्था में भृंगराज की पत्तियों और जड़ से निकले अर्क का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें वेडेलोलैक्टोन, इरसोलिक और ओलिनोलिक एसिड जैसे फाइटोकॉन्स्टिट्यूएंट्स औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो हेपटोप्रोटेक्टिव (लीवर विकार को ठीक करने की क्षमता) के रूप में काम करते हैं। मौखिक रूप से लिया गया इसका अर्क एक टॉनिक के रूप में करता है। भृंगराज के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। इन गुणों के कारण यह खांसी का कारण बनने वाले कीटाणुओं को खत्म करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इतना ही नहीं, इस गुणों के कारण भृंगराज हानिकारक कीटाणुओं को पैदा होने से भी रोक सकता है।
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Tree TakeAug 16, 2025 04:37 PM
घर में कमल उगाना है आसान
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