Green Update
ट्रीटेक नेटवर्क
प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने गोरखपुर वन प्रभाग के कैम्पियरगंज रेंज में स्थापित होने वाले उ0प्र0 वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय की रूपरेखा से संबंधित प्रस्तुतीकरण का उच्चाधिकारियों के साथ अवलोकन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक सुधार के निर्देश भी दिए। सक्सेना ने प्रस्तुतीकरण के दौरान कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु चयनित 50 हेक्टेअर भूमि की भारत सरकार से विधिवत स्वीकृति लेने के लिए शीघ्र कार्यवाही की जाये। उन्होंने विश्वविद्यालय से संबंधित अंतिम रिपोर्ट शीघ्र ही तैयार करने के निर्देश दिए। सक्सेना ने कहा कि गोरखपुर में इस विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रदेश ही नहीं बल्कि देश-विदेश से विद्यार्थी वन्य जीव एवं उनके संरक्षण, पारिस्थितिकी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधन एवं उद्यनिकी व वानिकी से संबंधित विषयों पर शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त कर शोध कर सकेंगे और समाज को आगे ले जाने में सहयोग करेंगे। इससे जैव तकनीकी का विकास होगा, वन्य जीवों तथा जलवायु परिवर्तन के संबंध में ज्यादा सटीक विश्लेषण किया जा सकेगा।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2025 पर वन प्रबन्ध में श्रमिकों को सम्मान
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2025 के अवसर पर मौलश्री ऑडिटोरियम, कुकरैल, लखनऊ में वन प्रबन्ध में श्रमिकों को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में अनिल कुमार, प्रमुख सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन ने स्वास्थ्य शिविर का शुभारम्भ करते हुए श्रमिक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की सराहना की। ’अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2025 के अवसर पर लखनऊ, बरेली, गोरखपुर, झांसी, मेरठ सहित प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में कार्यक्रम का आयोजन कर पौधशाला में कार्य करने वाले 5 श्रेष्ठ श्रमिकों को उनके उत्कृष्ट कार्य एवं समर्पण के लिये विशेष उपहार- छाता, गमछा, टार्च, पानी की बोतल, मेडिसीन, ग्लूकोज, श्रमिकों को एक जोड़ी जूता एवं महिला श्रमिकों को साड़ी देकर किया गया। ’
लाल ईंट की जगह अन्य विकल्पों को प्राथमिकताः वन मंत्री
उत्तर प्रदेश के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में प्रदेश में लाल ईंट की जगह पर अन्य विकल्पों के प्रयोग हेतुं एक बैठक आयोजित की गयी। सक्सेना ने कहा कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से निर्माणकारी गतिविधियों में लाल ईंट के प्रयोग के कारण कुछ प्रमुख समस्याएॅं उत्पन्न होती हैं, जैसे कि ईंट को बनाये जाने में ईंधन में फॉसिल फ्यूल (कोयले का प्रयोग होता है), जिससे कि पार्टिकुलेट मैटेरियल, सल्फर आक्सिडेन्ट्स तथा कार्बन आक्सिडेन्ट्स की समस्या परिवेशीय वायु गुणता में परिलक्षित होती है। इसके अतिरिक्त टॉप स्वाइल का प्रयोग होने के कारण स्वाइल डिग्रेडेशन भी व्यापक स्तर पर होता है। उन्होंने कहा कि लाल ईंट के अतिरिक्त फ्लाई ऐश ईंट के प्रयोग के संबंध में भारत सरकार द्वारा वर्ष 1999 तथा वर्ष 2021 में नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं, जिसके क्रम में पर्यावरण विभाग उ0प्र्र0 सरकार द्वारा समस्त सरकारी निर्माणकारी संस्थाओं को उपरोक्त नोटिफिकेशन के अनुपालन हेतु संबोधित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के नोटिफिकेशन में उल्लिखित किया गया है कि टॉप स्वाइल को बचाने के लिए तथा मिट्टी खनन को नियंत्रित करने के लिए निर्माणकारी गतिविधियों में फ्लाई ऐश युक्त बिल्डिंग मटेरियल का प्रयोग किया जाए। प्रदेश में चल रही विभिन्न निर्माणकारी परियोजनाओं में यथासम्भव अधिकतम रूप से लाल ईंट के विकल्पों का प्रयोग किया जाए तथा ग्रामीण परियोजनाओं में गलियों, ग्रामीण मार्गों इत्यादि में लाल ईंट के स्थान पर ब्लॉक पेवर्स का प्रयोग किया जाए तथा नोटिफिकेशन एवं उ0प्र0 सरकार के आदेशों का समस्त कार्यदायी संस्थाओं द्वारा अनुपालन किया जाए। बैठक में अध्यक्ष, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आर0पी0 सिंह ने लाल ईंट के विकल्पों से सभी महानुभावों को अवगत कराया। जिसमें से मुख्य विकल्प फ्लाई ऐश ब्रिक, कम्प्रेश्ड स्टेब्लाईज्ड अर्थ ब्लॉक (सीएईबी), ऑटोक्लेव्ड एरेटेड कंक्रीट ब्लॉक (एएसी), इण्टरलॉकिंग ब्लॉक्स, हॉलो कंक्रीट ब्लॉक््स इत्यादि अवगत कराये गए। उनके द्वारा नोयडा में विभिन्न निर्माणकारी परियोजनाओं में प्रयोग हो रहे विकल्पों के संबंध में फोटोग्राफ के साथ विवरण प्रस्तुत किया गया।
वन निगम के कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगीः वन मंत्री
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 अरूण कुमार, की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश वन निगम की 274वीं बैठक वन निगम सभाकक्ष में सम्पन्न हुई। वन मंत्री ने वन निगम में अधिकारियों-कर्मचारियों की कमी को पूर्ण किये जाने के कार्यो में तेजी लाने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने इकोटूरिज्म के क्षेत्र में और अधिक प्रयास किए जाने पर विशेष बल दिया। साथ ही तेन्दूपत्ता के हरी बिक्री के परिणाम से भी समस्त सदस्यगण अवगत हुए। उन्होंने कर्मचारियों वन निगम के पिछले दो वर्षो से आपरेटिंग लाभ में होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। वन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बोर्ड मीटिंग का आयोजन वार्षिक न होकर तिमाही किया जाय। इससे कार्यों में गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि लाट निलामी की व्यवस्था को ऑनलाइन किया जाये, जिससे किसी भी प्रकार की अनियमितता की शिकायत न मिलने पाये। निगम में अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध चल रही जांच आदि पर निष्पक्षतापूर्वक कार्रवाई करते हुए प्रकरण को शीघ्र निष्तारित कराया जाये। निगम के कार्यों में किसी भी स्तर पर अनियमितता व लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
प्राकृतिक संसाधनों की क्षति को कम किया जायः वन मंत्री
प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने कहा कि पृथ्वी हमारी मॉ है। पृथ्वी और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों की क्षति को कम किया जाये एवं पेड़ों की कटान पर रोक लगाया जाये। प्रदूषण ना करना, प्लास्टिक का कम इस्तेमान करना और पृथ्वी को खुशहाल बनाए रखने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा। उक्त बातें उन्होंने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान स्थित प्लूटो हॉल में आयोजित पृथ्वी दिवस के मौके अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि इस साल पृथ्वी दिवस की थीम ’आवर पावर- आवर प्लानेट’ है। आज बढ़ते तापमान को देखते हुए हमें रिन्यूबल एनर्जी को लगभग तीन गुना बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि पृथ्वी का संतुलन बिगड़ना सभी के लिए एक बड़ी समस्या है। हर किसी को पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने चाहिए। आज 55वंे विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर सभी को पर्यावरण को बेहतर बनाने व पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज 55वें पृथ्वी दिवस की थीम थी हमारी शक्ति, हमारा ग्रह -ये थीम हमारे अंदर चेतना जगाती है।
इटावा सफारी पार्क में तीसरी बार शावकों का जन्म
इटावा सफारी पार्क के बब्बर शेर प्रजनन केन्द्र में बीते 26 जून 2019 को जन्मी बब्बर शेरनी रूपा ने इटावा सफारी पार्क में तीसरी बार आज 04 शावकों को जन्म दिया है। शेरनी रूपा की मेटिंग गुजरात से आये नर शेर कान्हा से दिनांक 05 जनवरी को हुयी थी। प्रसव की सम्भावित तिथि 17 अप्रैल से 21 अप्रैल होने के कारण सफारी प्रशासन पूरी तरह से सजग था जिसके चलते आज शेरनी रूपा ने दिनांक 20ध्21 अप्रैल की रात्रिध्दिन में चार शावकों को जन्म दिया है। प्रथम शावक 00ः35 बजे, दूसरा शावक 01ः42 बजे, तीसरा शावक आज प्रातः 05ः59 बजे, तथा चैथा शावक 09ः10 बजे पर हुआ। शेरनी रूपा व चार नवजात शावक स्वस्थ है। शेरनी रूपा द्वारा शावकों का पूर्ण रूप से देखभाल की जा रहा है। इससे पूर्व 03 सितम्बर 2023 को शेरनी रूपा द्वारा 01 शावक को जन्म दिया गया था जिसे शेरनी द्वारा दूध न पिलाये जाने के कारण सफारी के कीपर एवं वन्यजीव चिकित्सकों द्वारा हैंड फिडिंग करायी गयी थी, जो वर्तमान में 1.5 वर्ष का हो चुका है। इस प्रकार सफारी पार्क में चारों नवजात शावकों सहित अब तक कुल 20 शावकों ने जन्म लिया है, चारों नवजात शावकों व मां की विशेष देखभाल पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा की जा रही है। इटावा सफारी पार्क में वर्तमान में बब्बर शेरों की संख्या 22 हो गई है। सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से शेरनी रूपा एवं नवजात शावकों के स्वास्थ्य एवं व्यवहार पर पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश के डा0 आर0के0 सिंह, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, सफारी पार्क के वन्यजीव चिकित्सक डा0 रोबिन सिंह यादव एवं डा0 शैलेन्द्र सिंह द्वारा सतत निगरानी रखी जा रही है।
8 अप्रैल से 8 मई तक चलेगा वन व वन्य जीव सुरक्षा माह
उत्तर प्रदेश को हरित प्रदेश बनाने को अग्रसर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में 8 अप्रैल से 8 मई तक वन व वन्य जीव सुरक्षा माह का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत प्रभागों में वन अपराधों पर अंकुश लगाने और वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया जाएगा। इसमें वन बल और पुलिस के साथ ही नेपाल सीमा पर एसएसबी आदि सुरक्षा बलों का भी सहयोग लिया जाएगा। साथ ही नागरिकों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक व विभागाध्यक्ष सुनील चैधरी ने बताया कि प्रतिदिन तीन शिफ्ट में इस अभियान को चलाया जाएगा। पहली शिफ्ट सुबह छह से दोपहर दो तक, दूसरी दोपहर दो से रात्रि 10 व तीसरी शिफ्ट रात्रि 10 से सुबह छह बजे तक चलेगी। इसके लिए प्रभागों में टीम का गठन किया जा रहा है। यह टीम वन भूमि पर होने वाले अतिक्रमण को भी हटाएगी। अभियान के नोडल अधिकारी होंगे जोनल, मंडलीय वन संरक्षक वे प्रतिदिन की रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक व विभागाध्यक्ष कार्यालय में स्थापित कमांड सेंटर को भेजेंगे। साथ ही नोडल अधिकारी की देखरेख में आमजन को हरितिमा बढ़ाने के साथ ही वनाग्नि की घटनाओं पर नजर रखने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। अभियान के साथ ही वनाग्नि की घटनाओं को भी न्यूनतम करने के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा। मुख्यमंत्री की कानून व्यवस्था और जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत वन व वन्य जीव सुरक्षा पर भी रहेगी विशेष निगरानी।
दुधवा टाइगर रिजर्व में दो वयस्क एक सींग वाले गैंडों को छोड़ा गया
उत्तर प्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील चैधरी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा वेमुरी के कुशल निर्देशन में दुधवा टाइगर रिजर्व में दो वयस्क एक सींग वाले गैंडों को खुले स्थान पर छोड़ा गया। भारत के तराई क्षेत्र में मुक्त रूप से घूमने वाले गैंडों को लाने और उनकी आबादी बढ़ाने के उद्देश्य से गैंडों को स्थानांतरित करने का अभियान आज दिनांक 27-03-2025 को सरकारी अधिकारियों, क्षेत्र कार्यकर्ताओं, नेपाल राष्ट्र, असम और उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सकों, गैंडा विशेषज्ञों और महावतों के सहयोग से किया गया। इस अभियान को योजनाबद्ध तरीके से दुधवा टाइगर रिजर्व में 27 वर्ग किलोमीटर के बाड़बंद पुनर्वास क्षेत्र के अंदर चार दशकों से अधिक समय से लगभग 46 गैंडों के बीच से दो गैंडों को स्थानांतरित करना शामिल था, ज्ञात हो कि दो गैंडे विगत वर्ष नवंबर माह में अवमुक्त किए गए थे । उत्तर प्रदेश में गैंडा संरक्षण के तकनीकी साझेदार डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ.-इंडिया ने दुधवा टाइगर रिजर्व में ऐतिहासिक गैंडा स्थानांतरण अभियान में उत्तर प्रदेश वन विभाग का सहयोग किया है। दुधवा टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. राजा मोहन, डिप्टी डायरेक्टर दुधवा डॉ. रेंगाराजू टी और डब्लू. डब्लू. एफ. के तराई हेड डॉ. मुदित गुप्ता के नेतृत्व में के हाथियों और उनके प्रशिक्षित महावतों की मदद से 15 से 20 वर्ष की आयु के एक नर और एक मादा गैंडे की पहचान की गई और उनका पता लगाया गया। इसके बाद विशेषज्ञों की विशेष टीमों ने गैंडों को निश्चेतन करने में मदद की, उन्हें स्थानांतरित किया और उनके स्वास्थ्य मापदंडों की जाँच करने के बाद रेडियो कॉलर लगाकर उन्हें प्राकृतिक आवास में अवमुक्त दिया।।
Leave a comment