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छुई-मुई भी एक गजब की औषधि है

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छुई-मुई भी एक गजब की औषधि है

आधुनिक विज्ञान की शोधों से ज्ञात होता है कि हड्डियों के टूटने और मांस-पेशियों के आंतरिक घावों के उपचार में छुई-मुई की जड़ें काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं...

छुई-मुई भी एक गजब की औषधि है

TidBit
छुई-मुई को आदिवासी बहुगुणी पौधा मानते हैं। उनके अनुसार यह पौधा घावों को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए बहुत ज्यादा सक्षम होता है। आधुनिक विज्ञान की शोधों से ज्ञात होता है कि हड्डियों के टूटने और मांस-पेशियों के आंतरिक घावों के उपचार में छुई-मुई की जड़ें काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। घावों को जल्दी ठीक करने में इसकी जड़ें सक्रियता से कार्य करती हैं। आप इसे छुने जाइए, इसकी पत्तियां शर्मा कर सिकुड़ जाएंगी। अपने इस स्वभाव की वजह से इसे शर्मिली के नाम से भी जाना जाता है। शर्मिले स्वभाव के इस पौधे में जिस तरह के औषधीय गुण हैं, आप भी जानकर दांतों तले उंगली दबा लेंगे। छुई-मुई को जहां एक ओर देहातों में लाजवंती या शर्मीली के नाम से जाना जाता है, वहीं इसे वनस्पति जगत में माईमोसा पुदिका के नाम से जाना जाता है। संपूर्ण भारत में उगता हुआ दिखाई देने वाला यह पौधा आदिवासी अंचलों में हर्बल नुस्खों के तौर पर अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार छुई-मुई की जड़ और पत्तों का पाउडर दूध में मिलाकर दो बार देने से बवासीर और भंगदर रोग ठीक होता है। डांग में आदिवासी पत्तियों के रस को बवासीर के घाव पर सीधे लेपित करने की बात करते हैं। इनके अनुसार यह रस घाव को सुखाने का कार्य करता है और अक्सर होने वाले खून के बहाव को रोकने में भी मदद करता है। मध्यप्रदेश के कई इलाकों में आदिवासियों छुई-मुई के पत्तों का 1 चम्मच पाउडर मक्खन के साथ मिलाकर भगंदर और बवासीर होने पर घाव पर रोज सुबह- शाम या दिन में 3 बार लगाते हैं। छुई-मुई के पत्तों को पानी में पीसकर नाभि के निचले हिस्से में लेप करने से पेशाब का अधिक आना बंद हो जाता है। आदिवासी मानते हैं कि पत्तियों के रस की 4 चम्मच मात्रा दिन में एक बार लेने से भी फायदा होता है। यदि छुई-मुई की 100 ग्राम पत्तियों को 300 मिली पानी में डालकर काढा बनाया जाए तो यह काढा मधुमेह के रोगियों को काफी फायदा होता है। इसके बीजों को एकत्र कर सुखा लिया जाए और चूर्ण तैयार किया जाए। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार इसके बीजों के चूर्ण (3 ग्राम) को दूध के साथ मिलाकर प्रतिदिन रात को सोने से पहले लिया जाए तो शारीरिक दुर्बलता दूर कर ताकत प्रदान करता है। छुई-मुई और अश्वगंधा की जड़ों की समान मात्रा लेकर पीस लिया जाए और तैयार लेप को ढीले स्तनों पर हल्के हल्के मालिश किया जाए तो स्तनों का ढीलापन दूर होता है। छुई-मुई की जड़ों का चूर्ण (3 ग्राम) दही के साथ खूनी दस्त से ग्रस्त रोगी को खिलाने से दस्त जल्दी बंद हो जाती है। वैसे डांगी आदिवासी मानते हैं कि जड़ों का पानी में तैयार काढा भी खूनी दस्त रोकने में कारगर होता है।
बबूल (कीकर) है बहुत फायदेमंद
बबूल को आपने जरुर देखा होगा. जिसको कीकर भी कहते हैं। यह भारत मे हर जगह बिनां लगाये ही अपने आप खडा हो जातां है। अगर यह बबूल नामका वृक्ष अमेरिका या तो विदेशो मे इतनी मात्रा मे होतां तो आज वही लोग इनकी दवाई बना बना कर हमसे हजारो रुपये लूटते, लेकिन भारत के लोगो को जो चीज मुफ्त मे मिलती है उनकी कोइ कदर नही है। बबूल के पत्तो के अलावा इसकी गोंद और छाल भी बहुत फायदेमंद होती है। बबूल कफ और पित्त का नाश करने वाला होता है और इसकी गोंद में भी कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम के अलावा अरबिक एसिड होता है। बबूल के पेड़ की छाल और पत्तियों में टैनिन और गैलिक नामक एसिड होता है जिसके कारण इसका स्वाद कड़वा हो जाता है। यह जलन को दूर करने वाला, घाव को भरने वाला और रक्तशोधक होता है। बबूल की छाल को एक्जिमा के उपचार के लिए कारगर माना जाता है, और इसकी गोंद त्वचा की जलन को दूर करने में लाभकारी। इसके अलावा बबूल के पत्तों से बना पेस्ट त्वचा पर लगाने से संक्रमण और चकत्ते की समस्या दूर करने में मदद मिलती है। बबूल के गोंद का छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी में आराम होता है। इसके साथ ही पुरानी खांसी होने पर या खांसने पर सीने में दर्द होने पर बबूल के कोमल पत्तों को पानी में खौला कर दिन में तीन बार पीने से सभी परेशानियों दूर हो जाती हैं। बबूल की पत्तियां और छाल दोनों में ही व्यापक रूप से खून को बहने से रोकने और संक्रमण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। इसलिए इसका घाव, कटने और चोटों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आपके शरीर से बहुत पसीना आता है तो बबूल आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए बबूल की पत्तियां पीसकर पूरे शरीर पर मसलें और फिर थोड़ी देर बाद स्नान कर लें। थोड़े दिन ऐसा करने से बहुत ज्यादा पसीना आना बन्द हो जाता है।मोटापा कम करने के लिए आमतौर पर हम बहुत मेहनत करते हैं। लेकिन अगर आप मोटापे से बचना चाहते हैं तो आपके लिए बहुत ही सरल उपाय है बबूल के पत्तों का इस्तेमाल। इसके लिए बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर लगाने से मोटापे को आसानी से दूर किया जाता सकता है।बबूल के पौधे की पत्तियां आंखों से अतिरिक्त पानी की समस्या का उपचार करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आंखों की लालिमा और कंजंक्टिवाइटिस के कारण आंखों में सूजन को कम करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। बबूल की छाल मौखिक और दंत स्वच्छता के लिए भी बहुत लोकप्रिय है। वास्तव में पहले के दिनों में लोग अपने दांतों और मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए इसकी छाल के एक टुकड़े को मुंह में रखकर जुगल कर इसका प्रयोग करते थे। इसके अलावा बाबुल मसूड़ों संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए भी अच्छी तरह से काम करता है।
आम की पत्तियां के स्वास्थ्य लाभ
गर्मियों में सबसे ज्यादा मिलने और पसंद किये जाने वाले फलों के राजा आम के बिना गर्मियां अधूरी सी लगती है। यह काफी स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए लाभकारी भी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम के साथ-साथ इसकी पत्तियों भी हमारे लिए बहुत ही गुणकारी होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होने के कारण यह लगभग हर बीमारी का आसानी से इलाज कर सकती है। इसके अलावा इसमें बहुत अधिक मात्रा में विटामिन सी, बी और ए भी पाया जाता है। आम की पत्तियां एक ऐसा खजाना हैं, जो आपको फ्री में ही मिलता है। इसलिये इसे अच्छी ढंग से प्रयोग करें। आप आम की पत्तियों का कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे हल्के हरे रंग के छोटे आकार की आम की पत्तियों को तो़ड़ लें, उन्हें अच्छे से धोएं और छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर चबाइये। या आम के कुछ पत्तों को तोड़िये और रात भर के लिये हल्के गुनगुने पानी में डालकर भिगो दें। अगली सुबह इसका सेवन करें। साथ ही पत्तियों को धोकर धूप में सुखाएं और पाउडर बना लें। इस पाउडर की एक चम्मच लें और एक गिलास पानी में मिलाकर पी लें। ध्यान रखें इसका सेवन खाली पेट ही करें। आम के पत्तों की मदद से आप ब्लड-शुगर को भी कंट्रोल कर सकते हैं। ऐसा आम के पत्तों में मौजूद टैनिन के कारण होता है। आम के पत्तों से निकला अर्क इंसुलिन उत्पादन और ग्लूकोज को बढ़ने से रोक कर ब्लड शुगर का स्तर घटाता है। इसके अलावा आम के पत्तों में मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव से ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। रोज सुबह एक चम्मच आम की पत्तियों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। आम की पत्तियों से किडनी में पथरी की समस्या को हल करने और किडनी को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। इसी तरह यह आपको गॉल ब्लैडर की पथरी से निजात पाने और लिवर को सेहतमंद रखने में भी मदद करता है। रोजाना आम की पत्तियों के पाउडर से बना घोल पीने से किडनी के स्टोन दूर करने में मदद मिलती है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आप शुगर की बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको बाकी चीजों का भी ध्यान रखना होगा। चूंकि आम के पत्तों में फाइबर, पेक्टिन और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है इसलिए यह आपके कोलेस्ट्रॉल, खासतौर पर एलडीएल या हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाता है। इसके अलावा इससे आपकी धमनियां मजबूत और स्वस्थ बनती है। प्रकृति हमें कई बीमारियों का उपचार स्वयं उपलब्ध कराती है, आमतौर पर प्राकृतिक उपचार के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। पेट की बीमारी  के लिये में आम के मुलायम पत्ते आपके लिये संजीवनी का काम करते हैं। थोड़ी सी आम की पत्तियों को गर्म पानी में डालें, बर्तन को ढंक दें और रातभर के लिये इसे ऐसे ही छोड़ दें। अगली सुबह पानी को छान कर खाली पेट पी जाएं। इसे नियमित पीने से पेट की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है और पेट का कोई रोग नहीं होता। 
इस तेल में छिपा है हर रोग का इलाज
नीम की प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है। नीम के बीज से निकाला हुआ तेल हमारे कई काम आ सकता है। नीम के तेल में बहुत सारे औषधीय गुण छुपे हुए हैं। यह तेल बेहद ही सुगंध वाला होता है। ये सेहत और सौंदर्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह कई बीमारियों के लिए भी कारगर होता है। इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं। आंखों में सूजन हो जाने पर नीम के पत्ते को पीस कर अगर दाई आंख में है तो बाएं पैर के अंगूठे पर नीम की पत्ती को पीस कर लेप करें। ऐसा अगर बाई आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें, आंखों की लाली व सूजन ठीक हो जाएगी। नीम से मलेरिया भगाया जा सकता है। इससे मच्छर और पैदा होने वाले लार्वा को खत्म किया जा सकता है। मच्छरों पर यह बहुत असरदार होता है। नीम के तेल से मलेरिया पर काबू पाया जा सकता है। किसानों के लिए यह जैविक कीटनाशक का काम करता है। यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह जमीन या पानी की आपूर्ति में कोई हानिकारक पदार्थ नहीं मिलाता, यह बायोडीग्रेडेबल है। यह मधुमक्खियों और केंचुए के रूप में उपयोगी कीड़े को नुकसान नहीं पहुंचाता। रूखी सूखी त्वचा के लिए नीम बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। एक्जिमा से स्किन पर सूजन और खुजली होती है। इसके लिए इफेक्टिड एरिया में नीम का तेल लगाएं।  जलने की वजह से शरीर में जख्म बन जाने पर नीम का तेल लगाने से जख्म जल्दी ठीक हो जाते हैं।इन्फेक्शन से बचाता है। कील-मुंहासों और त्वचा के दाग भी दूर  हो जाते है। आधा चम्मच नीम का तेल दूध में मिलाकर सुबह-शाम को पीने से रक्तप्रदर और सभी प्रकार के प्रदर बन्द हो जाता है।  एथलीट फूट, नाखून कवक जैसे त्वचा रोग फंगल संक्रमण के कारण होते हैं। नीम में पाए जाने वाले दो योगिक ‘गेदुनिन’ और ‘निबिडोल’ त्वचा में पाए जाने वाले फफूंद को समाप्त करते हैं और संक्रमण को कम करते हैं। बालों को चमकदार, स्वस्थ बाल के लिए,सूखापन दूर करने के लिए नीम के तेल का प्रयोग करें। नीम का तेल नियमित लगाने से सिर की खुशकी दूर होगी जिससे रूसी की समस्या ठीक हो जाएगी। इसके तेल से बाल दो मुंहे भी नहीं होते।गंजेपन की समस्या है तो सिर में नीम का तेल लगाएं। इससे जूएं-लीखें भी दूर हो जाती हैं। दांतों और मसूड़ों की समस्या में नीम का तेल की कुछ बूंदों मंजन में मिला कर मले। नीम के तेल में एंटी बेक्टीरियन तत्व पाए जाते हैं जो दांतों में होने वाली समस्यओं जैसे दांतों के दर्द, दांतों का कैंसर, दांतों में सड़न आदि में राहत देता है। नीम में पाये जाने वाले तत्व ऑक्सीकरण रोधक होते हैं जो चेहरे में होने वाले परिवर्तनों को रोक देते हैं। नीम के तेल लगाने से चेहरे की झुर्रियां कम होती हैं .
 

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