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सूरजमुखी की कतारें हैं मिट्टी की जीवित सफाई दल

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

सूरजमुखी की कतारें हैं मिट्टी की जीवित सफाई दल

यह प्रक्रिया इस प्रकार काम करती हैः सूरजमुखी की जड़ें बहुत गहरी और तेजी से बढ़ती हैं, जो मिट्टी में मौजूद सीसा, जस्ता और कैडमियम जैसे भारी धातुओं को सोख लेती हैं। ये पौधे इन जहरीले पदार्थों को अपनी जड़ों, तनों और पत्तियों में जमा कर लेते हैं, जिससे मिट्टी की विषाक्तता कम हो जाती है...

सूरजमुखी की कतारें हैं मिट्टी की जीवित सफाई दल

TidBit
निर्माण स्थल पर सूरजमुखी लगाने के कई फायदे हैं, जिनमें मिट्टी को सुधारना, मिट्टी के कटाव को रोकना, और लाभकारी कीड़ों को आकर्षित करना शामिल है। सूरजमुखी के बीज पोषण से भरपूर होते हैं और मिट्टी से भारी धातुओं को अवशोषित करके उसे शुद्ध भी करते हैं। यह निर्माण स्थलों के आसपास के वातावरण को भी बेहतर बना सकता है और सौभाग्य ला सकता है। निर्माण स्थलों पर सूरजमुखी की कतारें एक प्राकृतिक सफाई दल की तरह काम करती हैं, जो फाइटोरेमेडिएशन नामक प्रक्रिया के माध्यम से मिट्टी को साफ करती हैं। यह प्रक्रिया इस प्रकार काम करती हैः सूरजमुखी की जड़ें बहुत गहरी और तेजी से बढ़ती हैं, जो मिट्टी में मौजूद सीसा, जस्ता और कैडमियम जैसे भारी धातुओं को सोख लेती हैं। ये पौधे इन जहरीले पदार्थों को अपनी जड़ों, तनों और पत्तियों में जमा कर लेते हैं, जिससे मिट्टी की विषाक्तता कम हो जाती है। जैसे-जैसे पौधे बढ़ते हैं, उनकी पत्तियाँ खाली जगह को छाया देती हैं, जिससे मिट्टी का कटाव रुकता है और धूल कम होती है। ये फूल परागण करने वाले कीड़ों को आकर्षित करते हैं, जिससे निर्माण क्षेत्र में जैव विविधता बढ़ती है। यह मिट्टी को ट्रक से बाहर ले जाने जैसी पारंपरिक तरीकों की तुलना में एक सस्ता और अधिक पर्यावरण के अनुकूल तरीका है। जब सूरजमुखी अपनी पूरी वृद्धि तक पहुँच जाते हैं, तो उन्हें हटा दिया जाता है। चूँकि अब इनमें प्रदूषक जमा हो गए हैं, इसलिए उन्हें नियंत्रित कचरे के रूप में सुरक्षित रूप से निपटाया जाता है। मिट्टी और पर्यावरण के लिए लाभः सूरजमुखी की जड़ें कठोर मिट्टी को तोड़कर उसकी संरचना में सुधार करती हैं, जिससे पानी और पोषक तत्वों का बेहतर संचार होता है। ये भारी धातुएं जैसे सीसा, आर्सेनिक, और कैडमियम को सोखकर दूषित मिट्टी को साफ करने में मदद करते हैं। सूरजमुखी की जड़ प्रणाली मिट्टी को बांधकर रखने में मदद करती है, जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है। ये मधुमक्खियों, तितलियों और अन्य लाभकारी कीड़ों को आकर्षित करते हैं, जो परागण और कीट नियंत्रण में मदद करते हैं। अन्य लाभः सूरजमुखी जीवंत रंग और सुंदरता जोड़ते हैं और कुछ मान्यताओं के अनुसार सौभाग्य और सकारात्मकता भी लाते हैं। इसके बीजों का उपयोग पौष्टिक नाश्ते और खाना पकाने के तेल के लिए किया जा सकता है, जो विटामिन, खनिज और स्वस्थ वसा से भरपूर होते हैं। इनके लंबे, मजबूत तने खीरे जैसी बेलों के लिए प्राकृतिक सहारा प्रदान करते हैं। सूरजमुखी की पट्टियाँ व्यस्त कार्य क्षेत्रों के लिए वायुरोधक, वर्षा जल निस्पंदक और प्राकृतिक परदे के रूप में भी काम करती हैं। चूँकि सूरजमुखी वार्षिक पौधे होते हैं और इनका जैवभार बहुत अधिक होता है, इसलिए ये एक ही मौसम में स्पष्ट लाभ प्रदान करते हैं। 
सहजन की फली के स्वास्थ्य लाभ
सहजन की फली जिसे ड्रमस्टिक भी कहते हैं एक लंबी, पतली हरी सब्जी है जो मोरिंगा -सहजन- के पेड़ से प्राप्त होती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय व्यंजनों में सब्जी बनाने के लिए किया जाता है, और इसकी फली का गूदा मिट्टी के स्वाद वाला होता है। आपको घर में सहजन (मोरिंगा) का पेड़ लगाना चाहिए क्योंकि यह औषधीय गुणों से भरपूर, स्वास्थ्यवर्धक और आसानी से उगाया जा सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भी इसे घर के लिए शुभ माना जाता है। सहजन की फली विटामिन, खनिजों और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है, हड्डियों को स्वस्थ रखती है, पाचन में सुधार करती है, त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाती है और मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। इसमें फाइबर की भी अच्छी मात्रा होती है, जो वजन कम करने में सहायक है और खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करती है। सहजन का पौधा घर पर गमले में या आंगन में लगा सकते हैं। सहजन के पौधे को भरपूर धूप की जरूरत होती है और इसे अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में उगाना सबसे अच्छा होता है। इसे बीज से या कटिंग से दोनों तरह से लगाया जा सकता है। सहजन के पौधे के पत्ते, फूल और फलियां सभी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। अगर कीट लगें तो नीम के तेल का छिड़काव करें, रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें। सहजन के पौधे को गमले में भी उगाया जा सकता है और यह अच्छी पैदावार दे सकता है। स्वास्थ्य लाभः सहजन में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो रक्त को शुद्ध करने और सर्दी-जुकाम से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन की भरपूर मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाने में सहायक है। सहजन में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को ठीक रखता है और कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याओं से बचाता है। सहजन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और नियासिन कैंसर कोशिकाओं के निर्माण को रोकने में मदद करते हैं। सहजन के गुण त्वचा में चमक लाते हैं, झुर्रियां कम करते हैं और बालों के झड़ने की समस्या को दूर करते हैं। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क के स्नायु तंतुओं के बीच जुड़ाव को मजबूत करते हैं, जिससे याददाश्त तेज होती है। सहजन खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कम होता है। इसमें फाइबर होता है जो पेट को भरा रखता है और वजन कम करने में मदद करता है। सहजन को अपनी डाइट में शामिल करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इसे सब्जी के रूप में खाया जा सकता है या इसके सूप का सेवन किया जा सकता है। 
जिज्ञासु स्वभाव की विशाल मंटा रे 
विशाल मंटा रे का गोताखोरों के साथ संवाद एक असाधारण अनुभव होता है। ये विशालकाय और शांत जीव अक्सर अपनी सहज जिज्ञासा की वजह से गोताखोरों के पास आते हैं, जिससे अद्भुत मुठभेड़ें होती हैं। हाल के वर्षों में कुछ वीडियो सामने आए हैं, जो मंटा रे और गोताखोरों के बीच एक उल्लेखनीय बुद्धिमत्ता और विश्वास को दर्शाते हैं। विशाल मंटा रे की बुद्धिमत्ता और गोताखोरों के साथ उनकी उल्लेखनीय बातचीत वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुकी है। उनकी ये विशेषताएँ उन्हें समुद्र के सबसे आकर्षक जीवों में से एक बनाती हैं। उनकी जागरूकता और विश्वास को दर्शाने वाले कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैंः कुछ मंटा रे में ऐसी बुद्धिमत्ता देखी गई है कि वे गोताखोरों के पास जाकर उनसे मदद मांगते हैं। उदाहरण के लिए, एक घटना में, एक मंटा रे अपनी आँखों के पास फँसे हुए मछली पकड़ने के जाल को हटाने के लिए एक गोताखोर के पास गई थी। यह उनके सामाजिक कौशल और समस्या-समाधान की समझ को दर्शाता है। मंटा रे सामाजिक प्राणी हैं और अपने दोस्तों के चुनाव में भी सावधानी बरतते हैं। यह उच्च-स्तरीय सामाजिक व्यवहार उनकी बुद्धिमत्ता का एक और प्रमाण है। शोध से पता चला है कि मंटा रे आत्म-जागरूकता प्रदर्शित करने वाली पहली मछली प्रजाति हो सकती है। दर्पण परीक्षण से यह पता चला है कि वे खुद को पहचान सकते हैं। कुछ स्थानों पर, जैसे कि सोकोरो द्वीप, मंटा रे सक्रिय रूप से गोताखोरों के पास जाती हैं, उनके चारों ओर घूमती हैं, और यहाँ तक कि सीधे आँख से संपर्क भी करती हैं। यह व्यवहार उनके जिज्ञासु और शांत स्वभाव को दिखाता है। मंटा रे स्वभाव से जिज्ञासु होती हैं और अक्सर गोताखोरों को देखती हैं, खासकर जब गोताखोर शांत और स्थिर रहते हैं। उनकी शांत और सहज हरकतें गोताखोरों के लिए एक मनमोहक अनुभव होती हैं। मंटा रे अक्सर उन जगहों पर आती हैं, जिन्हें ‘‘सफाई स्टेशन‘‘ कहा जाता है। ये ऐसे स्थान होते हैं, जहाँ छोटी मछलियाँ मंटा रे के शरीर से परजीवियों को हटाती हैं। गोताखोर इन स्थानों पर मंटा रे के पास जा सकते हैं, लेकिन यह जरूरी है कि वे जानवरों को परेशान न करें। इन मुलाकातों से समुद्री जीवन और उसके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ती है। मंटा रे के साथ हुई मुठभेड़ें शोधकर्ताओं और गोताखोरों को अत्यधिक मछली पकड़ने और प्रदूषण से इनके आवासों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करती हैं। स्टिंगरे के विपरीत, मंटा रे पूरी तरह से हानिरहित होते हैं। इनमें विषैला डंक नहीं होता और वे मनुष्यों के साथ शांति से रहते हैं। मंटा रे के साथ बातचीत को गोताखोर अक्सर एक भावनात्मक और जीवन बदलने वाला अनुभव बताते हैं, जो मानव और इन अद्भुत समुद्री जीवों के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। कुल मिलाकर, विशाल मंटा रे का गोताखोरों के साथ संवाद एक सुरक्षित और अनोखा अनुभव होता है, जो इन सौम्य जीवों की बुद्धिमत्ता और विश्वास को उजागर करता है। हालाँकि, इन मुठभेड़ों के दौरान समुद्री जीवन के सम्मान और सुरक्षा के लिए बुनियादी दिशा-निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
 

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