Talking Point
एच एन सिंह
लायंस इंटरनेशनल फैकल्टी, मेंबर एसपीएचईईएचए, नेचुरलिस्ट, हैम रेडियो लाईसेंसी, ट्रैक्केर और माउंटेनियर
लखनऊ, जिसे हम सब उसकी तहजीब, मेहमाननवाजी, नवाबी वास्तुकला और शहरी रौनक के लिए जानते हैं, अब केवल इतिहास और संस्कृति का ही प्रतीक नहीं रहना चाहिए। बदलते समय में जब युवा वर्ग फिटनेस, रोमांच और नेचर-एक्सप्लोरेशन की ओर आकर्षित हो रहा है, तो लखनऊ और उसके आसपास ट्रैकिंग व हाइकिंग जैसी गतिविधियों का नया अध्याय शुरू हो सकता है। आज महाराष्ट्र या हिमाचल की तरह भले ही लखनऊ ट्रेकिंग मैप पर नहीं है, लेकिन इसके आसपास इतने प्राकृतिक स्थल हैं जिन्हें ‘‘वन-डे ट्रेकिंग डेस्टिनेशन'' के रूप में विकसित किया जा सकता है। सोचिए, अगर आप सुबह शहर से निकलें, कुछ घंटों तक हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट और जंगल की पगडंडियों पर चलें और शाम तक वापस आ जाएँ तो यह अनुभव आपकी रोजमर्रा की थकान और तनाव को किस कदर दूर कर देगा। युवाओं, विद्यार्थियों और परिवारों के लिए यह अनुभव न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक ताजगी का भी माध्यम बनेगा। इसी संभावना को ध्यान में रखते हुए, आइए जानते हैं कि लखनऊ और उसके आसपास कहाँ-कहाँ हम ट्रेकिंग-हाइकिंग कल्चर को जन्म दे सकते हैं।
क्यों जरूरी है लखनऊ में ट्रेकिंग कल्चर?
शहरी जीवन से राहतः भीड़, ट्रैफिक और व्यस्तता के बीच प्रकृति के बीच कुछ घंटे बिताना मन और शरीर दोनों को तरोताजा करता है।
फिटनेस और हेल्थः ट्रेकिंग सबसे बेहतरीन कार्डियो एक्सरसाइज है, जिसमें आप बिना जिम गए फिट रह सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्यः हरियाली और प्राकृतिक वातावरण तनाव व चिंता को कम करते हैं।
युवा पीढ़ी के लिए रोमांचः शहर के युवाओं को सप्ताहांत पर एडवेंचर का विकल्प मिलेगा।
इको-टूरिज्म और रोजगारः स्थानीय गाइड, होमस्टे और पर्यटक गतिविधियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ा सकती हैं।
लखनऊ और आसपास संभावित वन-डे ट्रेकिंग रूट्स
1. कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट ट्रेलः
दूरीः 5-7 किमी, आकर्षणः घना जंगल, हिरन, मोर, पक्षियों की दर्जनों प्रजातियाँ खासियतः शहर के भीतर ही नेचर का अनुभव। कुकरैल जंगल लखनऊ का ‘‘ग्रीन लंग‘‘ कहलाता है। यह जगह सुबह के समय विशेष रूप से जीवंत होती है। यहाँ हिरनों के झुंड, रंग-बिरंगे पक्षी और हरियाली से घिरे ट्रेल्स हैं। अगर यहाँ छोटे-छोटे नेचर ट्रैक बनाए जाएँ और युवाओं को गाइडेड वॉक का अवसर मिले, तो यह ‘‘अर्बन ट्रेकिंग‘‘ का शानदार मॉडल बन सकता है।
2. नवाबगंज पक्षी विहार (उन्नाव रोड)
दूरीः 3-6 किमी, आकर्षणः प्रवासी पक्षी, शांत झील, बर्ड वॉचिंग, फोटोग्राफरों और शुरुआती हाइकर्स के लिए उपयुक्त। सर्दियों के मौसम में यहाँ सैकड़ों प्रवासी पक्षी आते हैं। फ्लेमिंगो, पेंटेड स्टॉर्क और कई दुर्लभ प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं। चारों ओर फैली झील और उसके किनारे बना गोलाकार ट्रैक युवाओं को प्रकृति के बेहद करीब ले जाता है। सुबह-सुबह झील के ऊपर तैरती धुंध और पक्षियों का शोरगुल किसी भी शहरी को मंत्रमुग्ध कर सकता है।
3. इंदिरा डैम से गोमती किनारा ट्रेल
दूरीः 6-8 किमी, आकर्षणः नदी किनारे हरियाली, गांवों के दृश्य, खासियतः परिवार और शुरुआती ट्रेकर्स के लिए आदर्श। गोमती नदी लखनऊ की धड़कन है। इंदिरा डैम से शुरू होकर नदी किनारे चलते हुए छोटे-छोटे ट्रैक बनाए जा सकते हैं। यहाँ चलते हुए आप गांवों के दृश्य देख सकते हैं-सरसों के खेत, बैलगाड़ी, और मिट्टी की खुशबू। यह उन लोगों के लिए खास अनुभव होगा, जिन्हें ‘‘सॉफ्ट हाइकिंग‘‘ पसंद है।
4. बाराबंकी का देवा-हरख जंगल ट्रेल
दूरीः 8-10 किमी, आकर्षणः छोटे टीले, जंगल का माहौल, खासियतः सुबह जाकर शाम तक वापसी। लखनऊ से लगभग 40 मिनट की दूरी पर यह इलाका हाइकिंग के लिए आदर्श है। यहाँ जंगल के बीच से गुजरने वाले रास्ते और छोटे-छोटे टीले ट्रेकिंग का अनुभव देते हैं। यह ट्रेल उन युवाओं के लिए उपयुक्त है जो थोड़ी कठिनाई और रोमांच चाहते हैं।
5. मलिहाबाद आम बागान ट्रेल
दूरीः 4-6 किमी, आकर्षणः आम के बागान, ग्रामीण संस्कृति, खासियतः आम सीजन में अद्वितीय अनुभव। मलिहाबाद अपने दशहरी आमों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। गर्मियों के मौसम में जब बागान फल से लदे होते हैं, तब यहाँ हाइकिंग करना किसी उत्सव से कम नहीं। गाँव की गलियों, बागानों और कच्चे रास्तों से गुजरते हुए यह ट्रेल युवाओं को ग्रामीण जीवन से जोड़ देगा।
6. सीतापुर का नैमिषारण्य (चक्रतीर्थ से गोमती तट तक)
दूरीः 7-12 किमी, आकर्षणः धार्मिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य, खासियतः आध्यात्मिक और प्राकृतिक यात्रा का संगम। नैमिषारण्य प्राचीन काल से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। यहाँ चक्रतीर्थ और गोमती तट के बीच पैदल यात्रा करना एक अलग ही अनुभव है। आप हाइकिंग के साथ-साथ आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का भी अनुभव करेंगे।
7. रायबरेली का समसपुर पक्षी विहार
दूरीः 5-7 किमी, आकर्षणः झील, प्रवासी पक्षी, ग्रामीण जीवन, खासियतः बर्ड फोटोग्राफरों के लिए आदर्श। लखनऊ से लगभग 120 किमी दूर यह जगह ‘‘डे-ट्रिप ट्रेकिंग‘‘ के लिए उत्तम है। यहाँ आप गांवों के बीच से गुजरते हुए झील तक पहुँचते हैं। सर्दियों में यह झील पक्षियों का स्वर्ग बन जाती है। फोटोग्राफी और शांत नेचर वॉक का यह बेहतरीन संगम है।
युवाओं के लिए क्यों आकर्षक होगा यह ट्रेकिंग कल्चर?
सोशल मीडिया फ्रेंडलीः ट्रेकिंग पर क्लिक की गई तस्वीरें इंस्टाग्राम और फेसबुक पर युवाओं के लिए खास आकर्षण होंगी।
गर्व और उपलब्धिः जैसे लोग कहते हैं ‘‘मैंने 20 किताबें पढ़ी हैं‘‘, वैसे ही युवा कह सकेंगे-‘‘मैंने 10 ट्रेक पूरे किए हैं।‘‘
लो-खर्च एडवेंचरः बिना लंबी यात्राओं और भारी खर्च के रोमांचक अनुभव मिल सकेगा।
टीम स्पिरिट और दोस्तीः हाइकिंग ग्रुप्स में नए दोस्त बनेंगे और साथ चलने से टीम भावना विकसित होगी।
स्टडी-वर्क बैलेंसः पढ़ाई और नौकरी के तनाव से निकलने का एक आसान और स्वस्थ विकल्प मिलेगा।
भविष्य की संभावनाएँः
ट्रेल मार्किंगः रास्तों पर संकेतक बोर्ड और दूरी चिन्ह बनाए जाएँ।
स्थानीय गाइडः गाँवों के युवाओं को गाइड और नेचर इंटरप्रेटर बनाया जाए।
हाइकिंग क्लब्सः विश्वविद्यालय और एडवेंचर ग्रुप्स मिलकर नियमित ट्रेकिंग का आयोजन करें।
इको-टूरिज्मः होमस्टे, स्थानीय भोजन और हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया जा सकता है।
सरकारी सहयोगः पर्यटन विभाग और वन विभाग मिलकर इन ट्रैक्स को औपचारिक रूप दें ।
लखनऊ अब केवल ‘‘नवाबों का शहर‘‘ कहकर सीमित नहीं रहना चाहिए। यह शहर अपनी प्राकृतिक धरोहर और आसपास की हरियाली के साथ एक नए वन-डे ट्रेकिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभर सकता है। अगर युवाओं, एडवेंचर क्लब्स और पर्यटन विभाग ने मिलकर पहल की, तो आने वाले वर्षों में यहाँ भी महाराष्ट्र की तरह ‘‘वीकेंड ट्रेकिंग कल्चर‘‘ विकसित होगा। सोचिए, जब लखनऊ का युवा गर्व से कहेगा, ‘‘मैंने कुकरैल का अर्बन ट्रेक किया है, नवाबगंज की झील पर पक्षी देखे हैं, और मलिहाबाद के आम बागानों में हाइकिंग का मजा लिया है'', तो यह शहर न सिर्फ तहजीब और इतिहास, बल्कि आउटडोर रोमांच का भी केंद्र कहलाएगा।
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Tree TakeOct 14, 2025 08:21 PM
लखनऊ और आसपास ट्रेकिंग-हाइकिंग की संभावनाएं
आज महाराष्ट्र या हिमाचल की तरह भले ही लखनऊ ट्रेकिंग मैप पर नहीं है, लेकिन इसके आसपास इतने प्राकृतिक स्थल हैं जिन्हें ‘‘वन-डे ट्रेकिंग डेस्टिनेशन" के रूप में विकसित किया जा सकता है...


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