A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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Saumya Misra

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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Edit इस प्रकार कर पाएंगे हम सब स्वच्छता मिशन में भागीदारी यदि आप स्वच्छता को केवल कूड़ा झाड़ कर किनारे लगा देने को कहते हैं को संभवतः हर व्यक्ति स्वच्छता अभियान से जुड़ा है परन्तु यदि सही मायने में देखा जाये तो स्वच्छता तब ही संभव है जब हर घर का कूड़ा सही प्रकार से छंटकर कूड़ेघर तक अविलम्ब पहुंचे वह भी प्रतिदिन। केवल झाड़ू उठाने या कसम उठाने से स्वच्छता संभव नहीं । यदि हम सड़क पर निकलते ही एक जोरदार पीक जमीन पर दे मारें तो फिर हम कहाँ के स्वच्छ। और यह पीक केवल आम आदमी के मुंह से जमीन तक नहीं पहुँचती बल्कि पुलिसवालों और सरकारी कर्मचारियों का भी इसमें पूरा योगदान होता है। कुछ दिन पहले हुसैनगंज क्रासिंग के पास हमारी गाड़ी के पास से निकलते हुए एक दोपहिया सवार महोदय ने बाकायदा हेलमेट उठाकर गंदी पान मसाले की पीक इतनी चलती सड़क के बीचो बीच थूक दी। हमने उसका नंबर नोट करने का प्रयास किया उसमें तो सफल न हो सके पर नम्बरप्लेट के ऊपर लाल चमचमाते अक्षरों से लिखा डीएम ऑफिस स्पष्ट दिख गया। अब मानी हुयी बात है कि जनाब वहीँ के कोई क्लर्क वगैरह होंगे। जीपीओ क्रासिंग पर पुलिसवाले भी अक्सर इसीप्रकार थूकते दिखते हैं। अन्य जगहों पर भी यही हाल है। जब जिन लोगों को स्वच्छता का दायित्व सौपा गया है वे ही गन्दगी फैलाएं तो आम लोगों को कहाँ तक कहना उचित होगा। अब कचरा भलेही झाड़ दिया हो परन्तु अपनी अस्वच्छ आदत तो वैसे ही बरकरार रखी है। फिर बारी आती है उस झाड़कर ढेर किये गए कचरे की। अब यदि उसे उठाकर कूड़ाघर ही न पहुँचाया तो फिर इस सब का मतलब ही क्या। स्वच्छता पखवाड़े के आरम्भ में राजेंद्रनगर वार्ड में चार पांच स्वीपर कुछ लोगों के साथ आकर सड़कें साफ कर जगह जगह लोगों के घरों के सामने कूड़े के ढेर लगा गए। पूछे जाने पर बताया कि नगर निगम का डाला आकर अभी सब कूड़ा उठा ले जायगा भई स्वच्छता अभियान आरम्भ हुआ है कुछ संयम रख लें। हम ने कहना चाहा कि इस कूड़े को छांटे बिना लगा दिया यह तो सही नहीं पर उन्हें इस सम्बन्ध में जानकारी नहीं थी। जानना तो यह भी था कि इतना कूड़ा वे लेकर कहाँ से आये, खैर। फिर न डाला आया न गाड़ी और कूड़ा तीन दिन तक सड़ता रहा। इसीबीच बरसात भी होगई और कूड़े से दुर्गध उठने लगी। फिर ट्रीटेक ने नगर निगम को फोन कर कूड़ा उठवाया। यह देखकर हमने सोचा कि शहर के अन्य क्षेत्रों का भी हाल देख लिया जाय। दूर जाना नहीं पड़ा क्योंकि हुसैनगंज से लेकर अमीनाबाद चारबाग चैक और लगभग पूरे पुराने शहर में यही दृश्य दिखा। सब एकदूसरे को समझाने और सड़कें झाड़ने में तो लगे थे पर एकत्रित कूड़े को उठानेवाला कोई न था। हाँ कचरा जला देना भी एक विकल्प के रूप में देखा गया। नगर निगम के स्वीपर और कुछ नागरिक भी बहुत आराम से कूड़े के ढेर में आग लगा रहे हैं। हो गया भारत स्वच्छ। यह अधिकतर सुबह तड़के या शाम को हो रहा है। हद तो यह है कि लालकुआं स्थित कूड़ाघर में भी कूड़ा जलाने की प्रक्रिया देखी गयी है। यह कितना हानिकारक होता है इसे बताना आवश्यक नहीं। तो सत्य यह है कि आप की स्वच्छता तब ही पता चलती है जब आपको कोई देख नहीं रहा हो। यदि तब भी आप कूड़ा इधर उधर नहीं फेंकते, सड़क पर न ही थूकते न गन्दगी करते हैं और कूड़े को नहीं जलाते तब ही आप सही अर्थ में स्वच्छता मिशन से जुड़े हैं। नमामि गंगे की भांति स्वच्छ भारत को भी करोड़ों में धन मिला है परन्तु इसका दुरूपयोग अभी से दिखने लगा है। प्रचार प्रसार हो रहा है पर सही कदम नहीं उठाये जा रहे। लोगों को रटाने से और जगह जगह झाड़ू लेकर फोटो खिंचाने से अधिक कैपेसिटी बिल्डिंग पर ध्यान दिया जाना चाहिए। शहर के अधिकतर इलाकों में न कूड़ेदान हैं न कूड़ा जमा करने के उचित प्रबंध जबकि नगर निगम में सुपरवाईसर से लेकर जमादार तक पर्याप्त संख्या में हैं। कॉर्पोरेटर का भी यही दायित्व होता है। सही स्थानों पर बिन्स रखवानी चाहिए या फिर घर घर से छंटा हुआ कूड़ा लेने का सिस्टम शुरू करना चाहिए। बड़े ट्रीटमेंट प्लांट्स के साथ साथ हर वार्ड में छोटी कम्पोस्ट मशीन लगवानी चाहिए ताकि बायोडिग्रेडेबल कूड़ा वार्ड में ही खाद में बदला जा सके। सुलभ शौचालयों को गरीबों के लिए मुफ्त कर देना चाहिए। सडकों पर गन्दगी करने वाला अधिकतर पढ़ा लिखा मध्यमवर्ग होता है इसलिए पब्लिक प्लेस पर थूकने या पेशाब करने को सांगेय अपराध की श्रेणी में डालना चाहिए। ऑटो और रिक्शा चालकों को पान व गुटखा खाकर गाड़ी चलाने पर रोक लगा देनी चाहिए। अब इसमें मध्यस्तता नहीं एकबार का सरकारी प्रयास आवश्यक है। आम आदमी का सहयोग मिल गया है अब सरकार भी अपना दायित्व निभाए।

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