A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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Dr. Rajendra Prasad Bajpai

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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गंगा जी को चाहिए समर्पित टोलियों का साथ - October 2016

गंगाजी और इसकी बहुत सारी शाखाएँ तथा प्रशाखाएँ भारतीय सभ्यता और संस्कृत की श्रोत और संबल हैं। भारत के बड़े हिस्से की आर्थिक गतिविधियों की धुरी आज भी गंगाजी ही हैं। वह इस हिस्से की गंदगी भी खुशी से साफ करती आ रही हैं। जनसंख्या और आर्थिक गतिविधियों के बढ्ने से अब गंदगी का बोझ बढ़ गया है। बढ़े बोझ को उठाना गंगा की क्षमता के बाहर होता जा रहा है। अब बोझ उठता नहीं है, उसे उठाने मे उनका अंग अंग दुखता है। वे बड़ी बेचैन हैं। वैज्ञानिक उसकी बेचैनी काफी समय से यंत्रों से नाप रहे है।

गंदगी का बोझ कम न हुआ तो गंगा जी का जीना मुश्किल है। गंगा तीन तरह की गंदगियों के बोझ से जूझ रही हैं: प्रकृतिजन्य कार्बनिक पथार्थ जैसे फल, फूल, अक्षत,दूध, या मृत शरीर; मानवजन्य अकार्बनिक तथा कर्बनिक पदार्थओं का मिश्रण जैसे मलमूत्र, कारखानों का उत्सर्जन; मानवजन्य कर्बनिक पथार्थ जैसे प्लास्टिक, पैकिंग सामाग्री।

 à¤—ंगाजी केवल प्रथम तरह की गंदगी से निपटने के लिए सक्षम थी और हैं पर इस तरह गंदगी की मात्रा काफी कम करनी पड़ेगी इसके लिए कम्पोस्ट यंत्र हर घाट में लगाना पड़ेगा। दूसरी तरह की गंदगी के छोटे भाग को ही गंगाजी साफ कर सकती हैं, बचे हुये बड़े भाग की सफाई उनके वश की बात नहीं उसे तो मानवों को सफाई संयंत्रों से साफ करना पड़ेगा। तीसरी तरह की गंदगी की सफाई न मानवों के वश मे है और न गंगाजी के, उसे पूर्ण प्रतिबंध लगा कर रोकना होगा।

गंगाजी के साथ साथ उनकी की शाखाएँ तथा प्रशाखाएँ को भी गंदगी से बचाना होगा। वे सभी गंगाजी मे ही मिलती हैं । इसके अतिरिक्त, गंगाजी की गंदगी की सफाई क्षमता को भी बढ़ानी होगी। इसके लिए जल प्रवाह अविरल करना होगा - किनारों और तलहटी की मिट्टी हटा कर-, पर्यावरण को सुधारना होगा जिससे सूर्य का प्रकाश ज्यादा मिले, गंदगी हजम करनेवाले बैक्टीरिया की उन्नत किस्मों की खोज करनी होगी और गंगा के इकोसिस्टम को समझना होगा। अंतिम दो कार्य वैज्ञानिकों के लिए हैं, वे मूल समस्या को समझें और उसका सर्वमान्य हल ढूँढें। यह सभी कार्य संभव हैं पर भ्रष्टाचार सबसे बड़ी बाधा है। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकारी नियमों और निर्देशों के पालन की जिम्मेदारी छोटे छोटे इलाकों मे गंगाभक्तों की टोलियों को एक एक सप्ताह लिए देना चाहिए। केवल टोलियाँ की लगन और स्पर्धा ही भ्रष्टाचार से निपट सकती है सरकारी अफसर नहीं।

 à¤­à¤¾à¤°à¤¤ की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी गंगा, जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर २,५१० किमी की दूरी तय करती हुई उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू भाग को सींचती है, देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जन जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि.मी तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है।

 à¥§à¥¦à¥¦ फीट (३१ मी) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ और देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौंदर्य और महत्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किए गए हैं।

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