A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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‘जलवायु के मोर्चे पर भारत और दुनिया कठिन दौर से गुजर रही है‘

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‘जलवायु के मोर्चे पर भारत और दुनिया कठिन दौर से गुजर रही है‘

हमें क्लीन, ग्रीन और न्यू एनर्जी के दौर में आना होगा। 2035 तक नेट जीरो कार्बन कंपनी बनने के साथ रिलायंस का साल 2030 तक रिन्यूएबल क्षमता सेटअप करने की योजना है...

‘जलवायु के मोर्चे पर भारत और दुनिया कठिन दौर से गुजर रही है‘

Talking Point

अरबपति मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अगले तीन सालों में ग्रीन एनर्जी में 75 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। इंटरनेशनल क्लाइमेट समिट को संबोधित करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि एनर्जी उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बनेगा। साल 2035 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज नेट जीरो कार्बन कंपनी हो जाएगी। 
आगे उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन की कीमत कुछ सालों में कम होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है। इसे नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है और इसके लिए हमें ग्रीन एनर्जी की ओर तेजी से जाना होगा। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन फॉसिल एनर्जी का एक बेहतर विकल्प है। हमें क्लीन, ग्रीन और न्यू एनर्जी के दौर में आना होगा। 2035 तक नेट जीरो कार्बन कंपनी बनने के साथ रिलायंस का साल 2030 तक रिन्यूएबल क्षमता सेटअप करने की योजना है। कंपनी अपनी आगे की योजना पर काम कर रही है।  प्रधानमंत्री मोदी के ‘ग्रीन हाइड्रोजन मिशन‘ का जिक्र करते हुए अंबानी ने कहा कि यह दोहरी रणनीति है इसमें एक तरफ भारत कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता कम होगी, दूसरी तरफ भारत वैश्विक प्रयासों की अगुवाई करके विश्व लीडर बनेगा। भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर मिशन की शुरूआत कर प्रधानमंत्री ने देश और दुनिया को ग्रीन एनर्जी अपनाने का संदेश दिया है। देश ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 100 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का मुकाम हासिल कर लिया है। अब हम 2022 तक 175 गीगावाट के लक्ष्य की तरफ मजबूती से बढ़ रहे हैं। भारत न्यू एनर्जी में आत्मनिर्भर बनने की ओर है। फॉसिल एनर्जी पर मोटी रकम खर्च होती है। 
उन्होंने बताया कि हमने जामनगर में 5,000 एकड़ में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स विकसित करना शुरू कर दिया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत अक्षय ऊर्जा निर्माण सुविधाओं में से एक होगी। इस परिसर में चार गीगा फैक्ट्रियां होंगी, जो अक्षय ऊर्जा के पूरे स्पेक्ट्रम को कवर करती हैं। पहला एक एकीकृत सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल कारखाना होगा। दूसरा एक उन्नत ऊर्जा भंडारण बैटरी कारखाना होगा। तीसरा ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए इलेक्ट्रोलाइजर फैक्ट्री होगी। चैथा हाइड्रोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए एक ईंधन सेल कारखाना होगा। उद्योगपति मुकेश अंबानी ने जून में हुई कंपनी की सालाना आम बैठक में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े स्तर पर कदम रखने की घोषणा की थी। उन्होंने सौर फोटोवोल्टिक सेल, हरित हाइड्रोजन, बिजली स्टोरज बैटरी और फ्यूल सेल के विनिर्माण को लेकर अगले तीन साल में बड़ी क्षमता के चार विनिर्माण संयंत्र लगाने के लिए 75,000 करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया था। मालूम हो कि इसी साल जून में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने जामनगर में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स परियोजना के हिस्से के रूप में एनर्जी स्टोरेज के लिए एक गीगा फैक्टरी बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि ‘हम नई और उन्नत इलेक्ट्रो-केमिकल प्रौद्योगिकियों की खोजबीन कर रहे हैं, जिनका उपयोग ग्रिड बैटरी के तौर पर ऊर्जा को स्टोर करने के लिए किया जा सकता हो। हम नई पीढ़ी की स्टोरेज और ग्रिड कनेक्टिविटी के माध्यम से चैबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए बैटरी प्रौद्योगिकी में वैश्विक लीडर्स के साथ सहयोग करेंगे।‘


रीजनल कन्सलटेषन वर्कषाप
अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेष/अध्यक्ष, उत्तर प्रदेष राज्य जैव विविधता बोर्ड मनोज सिंह ने उत्तर प्रदेष राज्य जैव विविधता बोर्ड एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा आयोजित उत्तर प्रदेष स्टेट बायोडाईवर्सिटी स्ट्रेटजी एण्ड एक्षन प्लान तैयार करने की प्रक्रिया में लखनऊ में आयोजित रीजनल कन्सलटेषन वर्कषाप का षुभारम्भ किया। सिंह ने अपने सम्बोधन में ब्रह्नमाण्ड की संरचना, ब्रह्नमाण्ड के करोड़ों ग्रहों में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व, जैविक नियम; एवं पूर्णता की अभिलाषा का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रजातियां हमारी सहयोगी व अत्यन्त निकटता से जुड़ी होने के कारण समस्त प्रजातियों के लोकतान्त्रिक अधिकारों का सम्मान करना तथा मानव को अपनी प्रवृत्ति व व्यवहार को बदलना आवष्यक है। सिंह ने कहा कि वैष्विक, देष व राज्य स्तर पर जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन न्यून करने सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) एवं वैष्विक प्रतिबद्वता प्राप्त करने का लक्ष्य प्राप्त करने में जैव विविधता क्षरण मुख्य बाधा है। प्रदेष विषेषकर भाभर तराई क्षेत्र, गंगा के मैदान, बुन्दलेखण्ड का पठारी क्षेत्र एवं विन्ध्य क्षेत्र में बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा एवं पालतू, वन्य जैव विविधता, बाघ, हाथी, गैण्डा, गांगेय डाल्फिन, घड़ियाल, बंगाल व सारस जैसी लुप्तप्राय व संकटापन्न स्थलीय व जलीय प्रजातियों व वनस्पतियों को सुरक्षित रखने की दिषा में प्रयास किए जा रहे हैं। इन गतिविधियों से जन सामान्य को सक्रिय रूप से जोड़ने हेतु बायोडाईवर्सिटी पार्क की स्थापना एवं नक्षत्र वाटिका, नवग्रह वाटिका व औषधीय वाटिकाओं की स्थापना करने के साथ ही प्रजातियों के लुप्त होने की दर न्यून करने, विधिक प्राविधानों को प्रभावी रूप से लागू करने, ग्रीन हाईड्रोजन व पाॅली हाऊस को प्रोत्साहन सहित आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग सहित व्यापक जन जागरूकता उत्पन्न कर जैव विविधता संरक्षण की दिषा में उल्लेखनीय प्रगति कर सकते हैं।
स्टेट एक्षन प्लान आॅन क्लाईमेट चेंज इन 2014, रीवर बेसिन एसेसमेण्ट प्लान फाॅर स्टेट रीवर्स (2014), उ0प्र0 का सतत् विकास लक्ष्य 2030 का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि प्रदेष में विभिन्न कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं। सिंह ने विष्वास व्यक्त किया कि यह कार्यषाला वर्तमान पालतू, जंगली जैव विविधता संरक्षण के प्रयास व इस हेतु उठाए गए कदम, जैव विविधता में योगदान देने वाली योजनाएं व कार्यक्रम व चुनौतियां एवं जैव विविधता के लिए लक्ष्य निर्धारित करने में सफल होगी। सुनील पाण्डे, हेड आॅफ फाॅरेस्ट फोर्स/ प्रधान मुख्य वन संरक्षक, उत्तर प्रदेष ने कहा कि विष्व में विद्यमान एक करोड़ से अधिक प्रजातियों में से लगभग 1.75 लाख प्रजातियां ही अब तक पहचानी जा सकी हैं। पाण्डे ने वनों व जैव विविधता की वर्तमान स्थिति, वनों से प्राप्त होने वाली पारिस्थितिकी सेवाएं एवं 30 करोड़ पौध रोपित करने सहित विभिन्न उपलब्ध्यिों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राकृतवास संरक्षण, अवनत वनों, नदियों व वेटलैण्ड्स की पुनस्र्थापना, जलवायु परिवर्तन व आक्रामक प्रजातियों के प्रतिकूल प्रभावों को न्यून कर, प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देकर एवं जन जागरूकता हेतु व्यापक अभियान संचालित कर जैव विविधता संरक्षण व संवर्धन संभव है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव एवं सचिव, उत्तर प्रदेष राज्य जैव विविधता बोर्ड पवन कुमार ने  जैव विविधता संरक्षण की दिषा में प्रदेष में किए जा रहे प्रयासों के परिणाम स्वरूप प्रदेष में हाथी की संख्या में वृद्धि, प्रदेष में गैण्डों की पुनस्र्थापना हेतु किए गए प्रयासों की सफलता बाघों की संख्या निर्धारित अवधि से पूर्व दोगुनी होने पर पीलीभीत टाईगर रिजर्व को पुरस्कार एवं दुधवा टाईगर रिजर्व को पुरस्कार प्राप्त होने का उल्लेख करते हुए कहा कि जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से सुरक्षित रखने हेतु रणनीति तैयार करने की आवष्यकता है। आशीष तिवारी, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, शासन एवं निदेशक, पर्यावरण ने जलवायु परिवर्तन के विशिष्ट परिपेक्ष्य में जैव विविधता संरक्षण हेतु पर्यावरण विभाग की गतिविधियों व क्रियान्वित की जा रही योजनाओं का परिदृश्य प्रस्तुत किया। श्री तिवारी ने जलवयाु परिवर्तन नीति की पृष्ठभूमि, विभिन्न अन्तर्राष्ट्रªीय सन्धियां, जलवायु परिवर्तन के दृष्प्रभावों को न्यून करने हेतु देश व प्रदेश स्तर पर क्रियान्वित की जा रही कार्ययोजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रदेश में विभिन्न जलवायु परिवर्तन के संभवित दुष्प्रभावों के ाकरण तापमान में वृद्धि, वार्षिक वर्षा में कमी तथा भविष्य का अनुमान एवं इसका जैव विविधता पर पड़ने वाला अनुमान प्रस्तुत किया। डाॅ धनंजय मोहन, निदेषक, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून ने कहा कि ग्लोबल बायोडाईवर्सिटी फ्रेमवर्क उत्तर प्रदेष की जैव विविधता संरक्षण हेतु तैयार की जा रही रणनीति व कार्ययोजना में सभी वर्गों की चिंताओं व विचारों को षामिल करते हुए सबका सहयोग, जैव विविधता को मुख्य धारा में लाने तथा समस्त क्षेत्रों को इसमें षामिल किया जा रहा है। डाॅ पीके माथुर, सलाहकार, उत्तर प्रदेष स्टेट बायोडाईवर्सिटी स्ट्रेटजी एण्ड एक्षन प्लान तैयार करते समय वैष्विक स्तर पर जैव विविधता परिदृष्य में परिवर्तन, जैव विविधता संरक्षण की नवीन अवधारणा, विभिन्न भू-दृष्य (लैण्उ स्केप्स), विभिन्न क्षेत्रों में समन्वय की आवष्यकता, प्राकृतिक संसाधनों पर विगत दो षताब्दियों में बढ़ता मानवीय हस्तक्षेप एवं जैव विविधता प्रबन्धन में बढ़ती चुनौतियों को ध्यान में रखना आवष्यक है।
 

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