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केले के पत्ते पर खाना खाने के लाभ

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केले के पत्ते पर खाना खाने के लाभ

ऐसा माना जाता है कि केले के पत्ते पर खाया गया खाना ज्यादा लाभदायक और स्वास्थ्यवर्धक होता है। केले के पत्ते में ऐसे कई सारे गुण होते है जो कि ग्रीन टी में पाए जाते है...

केले के पत्ते पर खाना खाने के लाभ

TidBit
केला तो आप सभी ने खाया होगा। केला स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। आपने अक्सर देखा होगा कि अधिकतर लोग सुबह केला खाना पसंद करते है। क्या आप जानते है कि केले के अलावा उसके पत्तों का हमारे स्वस्थ्य पर क्या असर पड़ता है। आपने साउथ में देखा होगा कि वहीं केले के पत्तों पर खाना खाया जाता है। मेहमानों को पत्तों के ऊपरी भाग में और परिवार के सदस्यों को निचले हिस्सों में खाना दिया जाता है। केले के पत्त्ते पर खाना खाना स्वास्थ्यप्रद माना जाता है। केले के पत्ते पर गर्म खाना परोसने से यह पत्ते में मौजूद पोषक तत्व भी खाने में मिल जाते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। ऐसा माना जाता है कि केले के पत्ते पर खाया गया खाना ज्यादा लाभदायक और स्वास्थ्यवर्धक होता है। केले के पत्ते में ऐसे कई सारे गुण होते है जो कि ग्रीन टी में पाए जाते है। इसमे मौजूद पॉलीफिनॉल एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और इसके फायदे सीधे आपके स्वास्थ्य पर होते है। केले के पत्ते पर नियमित खाना खाने से आपके शरीर को बीमारी नहीं होती है क्योंकि ये आपके शरीर से एंटीबैक्टीरिया को खत्म कर देता है जो कि आपके शरीर स्वस्थ रखता है। केले का पत्ता स्वास्थ्य के साथ आपके स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है। केले के पत्तों में प्रचुर मात्रा में एपिगालोकेटचीन गलेट और इजीसीजी जैसे पॉलीफिनॉल्स पाये जाते हैं। इसलिए आपको भी केले के पत्तों पर ही भोजन करना चाहिए इससे आपकी स्किन अच्छी हो जाएगी। जब आप केले के पत्ते पर खाते हैं तो आपको एक अलग तरह का स्वाद मिलता है और इसकी खुशबू भी अलग ही होती है। केले के पत्ते की वैक्स कोटिंग होने के कारण इसका सूक्ष्म लेकिन अलग स्वाद होता है। गर्म खाना पत्तों पर रखने से इसका वैक्स पिघल जाता है जो खाने को लाभदायक बनाता है। पर्यावरण के अनुकूल विकल्प ढूढ़ने वाले लोगों के लिए केले के पत्ता सबसे अच्छा रहता है। यह बहुत ही कम समय में डीकम्पोज होता है। केले के पत्ते पर खाना इसलिए खाया जाता है क्योंकि स्वच्छ होता है। सिर्फ थोड़े से पानी की से साफ करने के बाद यह उपयोग के लिए तैयार हो जाता है। कई जगह ऐसी होती है जहां आप खाना खाते है पर वहां सफाई नहीं होती है। ऐसे में केले के पत्ते पर खाने से सुरक्षा रहती है। बर्तनों को कई तरह के साबुन और चीजों से धोया जाता है जिसमें केमिकल मिला हुआ होता है। जो आपके सेहत के लिए खतरनाक है। लेकिन केले के पत्तों को साफ करने के लिए साबुन की जरूरत नहीं होती बस थोड़े से पानी से पत्ता आसानी से साफ होता है जो आपकी सेहत के लिए सही है। केले के पत्ते पर खाने में आसानी भी होती है। केले के पत्ते पर आप सूखा खाना खाएं या ग्रेवी वाला सारा खाना आसानी से उसपर टिका रहता है। केले के पत्ते पर खाना खाने से आपको दो तरह के फायदे होते है एक तो आपको पोषण मिलता है और दूसरा आपके शरीर को केले के पत्ते से नेचुरल पावर भी मिलती है। इसलिए केले के पत्ते नहीं खाते है तो आज से ही खाना शुरु कर दीजिये।
पीपल का पेड़ रात को भी कार्बन डाई ऑक्साइड-शोषक है
पीपल का पौधा लगाने के अंधविश्वास पर जानकारों का कहना है कि पीपल में तो ऑक्सीजन का खजाना है। यही नहीं पीपल एक ऐसा पेड़ है जो सबसे अधिक पक्षियों का आशियाना भी बनता है। छायादार और आयुर्वेदिक गुणकारी पीपल का पेड़ कोई भी लगा सकता है। पीपल का पेड़ जितनी गर्मी पड़ती है, उतनी ही उसमें पत्ती आती हैं। इससे वह ऑक्सीजन भी सबसे ज्यादा देता है। घर में पेड़ नहीं लगाने की वजह यह होती है कि पक्षी उसके बीज खाकर दीवारों और भवनों पर बीट कर देते हैं। जिससे वहां भी पीपल का पेड़ उगने से दीवारों और भवनों में दरारें आने से उनके गिरने का खतरा बन जाता है। बाकी सभी अंधविश्वास हैं। पीपल लगाना सभी प्रकार से लाभदायक होता है। पीपल का पेड़ बड़ा होता है। इसकी जड़े और शाखाएं बहुत दूर तक फैलती हैं। इसलिए वैज्ञानिक आधार पर घरों में पीपल का पेड़ लगाने से परहेज किया जाता है। क्योंकि शाखाएं और जड़े मकानों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए लोगों को उचित स्थान पर पीपल का पेड़ लगाने चाहिए। पीपल का पेड़ शुष्क वातावरण में पनपता है और इसके लिए उसकी देह में पर्याप्त तैयारियां हैं। पेड़-पौधों की सतह पर स्टोमेटा नामक नन्हे छिद्र होते हैं जिनसे गैसों और जल-वाष्प का लेन-देन होता है। सूखे गर्म माहौल में पेड़ का पानी न निचुड़ जाए, इसलिए पीपल दिन में अपेक्षाकृत अपने स्टोमेटा बन्द करके रखता है। लेकिन इसका नुकसान यह है कि फिर दिन में प्रकाश-संश्लेषण के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड उसकी पत्तियों में कैसे प्रवेश करे? स्टोमेटा तो बन्द हैं तो फिर प्रकाश-संश्लेषण कैसे हो? ग्लूकोज कैसे बने? तो पीपल व उसके जैसे कई पेड़-पौधे रात को अपने स्टोमेटा खोलते हैं और हवा से कार्बन-डायऑक्साइड बटोरते हैं। उससे मैलेट नामक एक रसायन बनाकर रख लेते हैं ताकि फिर आगे दिन में जब सूरज चमके और प्रकाश मिले, तो प्रकाश-संश्लेषण में सीधे वायुमण्डलीय कार्बन डाई ऑक्साइड की जगह इस मैलेट का प्रयोग कर सकें। यानी पीपल का पेड़ रात को भी कार्बन डाई ऑक्साइड-शोषक है। पीपल रात को ऑक्सीजन नहीं छोड़ता, वह वायुमण्डल से कार्बन डाई ऑक्साइड बटोरता है ताकि दिन में अपनी जल-हानि से बच सके।
गुलदाउदी एक सदाबहार फूल
गुलदाउदी एक सदाबहार फूल है। यह शानदार रंगों, आकारों की एक विस्तृत श्रृंखला में उपलब्ध हैं। गुलदाउदी फूल को वफादारी, आशावाद, खुशी और लंबे जीवन का प्रतीक कहते है। इस पौधे को ठण्ड की रानी भी कहा जाता है । गुलदाउदी के फूल दिखने में ऐसे लगते है जैसे उनमें पंखुड़ियों की बड़ी संख्या हो, लेकिन इसका प्रत्येक व्यक्तिगत पंखुड़ी वास्तव में एक छोटा सा पुष्प है। बुवाई के लगभग तीन महीने बाद गुलदाउदी के पौधे पर फूल लगने लगते हैं। गुलदाउदी को बीज, कटिंग या पौधे के विभाजन से प्रचारित किया जा सकता है। कुछ गुलदाउदी संकर पेटेंट कराए जाते हैं और उन्हें बिना अनुमति के प्रचारित नहीं किया जा सकता है। यह आमतौर पर प्लांट लेबल पर इंगित किया जाता है। बीज से उगाने के लिए, पहली ठंढ से कम से कम 2 महीने पहले बीज बोएं, या सर्दियों के दौरान घर के अंदर से हीं शुरू करें। कटिंग से प्रचार करने के लिए लगभग 4″ से 6″ लंबा टुकड़ा काटें और नीचे के आधे हिस्से तक पत्तियों को हटा दें। ज्यादा फूल उत्पादन करने हेतु जड़ से विकसित तनों को लगभग 30 ग् 30बउ के कपेजंदबम पर विभिन्न आकार की क्यारियों में लगाना चाहिए। मार्च से लेकर अगस्त तक का समय रोपण के लिए उचित होता है। पहले पौधों को गमलों में लगाया जाता है और लगाने पर तीन बार गमले को बदलना होता हैं। कुछ मामलों में गुलदाउदी के पौधों को खूँटा लगाना आवश्यक हो जाता है। गुलदाउदी की देखभाल के लिए पौधे को खाद देना एक महत्वपूर्ण कदम है। फूलों की कलियों के बनने के बाद पौधों के खिलने और बिखरने के लिए तैयार होने पर खाद डालें। बीमारियों या कीटों का पता लगाने के लिए सावधानीपूर्वक जाँच की जानी चाहिए और उन्हें नियंत्रित करने के लिए त्वरित नियंत्रण के उपाय अपनाने चाहिए। मुरझाया हुआ गुलदाउदी फूल नियमित रूप से हटा दिया जाना चाहिए ताकि इसे लंबे समय तक फूलने में आसानी हो। गुलदाउदी फफूंदी के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, इसलिए पौधों को सूखा रखना एक प्राथमिकता है।
 

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