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Green Update

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बरेली में लगेगा कार्बोनाइजेशन संयत्र
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चैहान ने कहा है कि प्रदेश में बांस आधारित शिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए सहारनपुर, बरेली, झाॅंसी, मीरजापुर तथा गोरखपुर में सामान्य सुविधा केन्द्रों (सीएफसी) की स्थापना कराई जा रही है। राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत स्थापित किये जाने वाले इन सीएफसी के माध्यम से किसानों, बाॅस शिल्पकारों तथा उद्यमियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिये जायेंगे। उन्हांेने निर्देश दिये कि अधिक से अधिक किसानों बांस आधारित खेती तथा उसकी व्यापारिक गतिविधयों से अवगत कराया जाय और किसानों को बांस के खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाय।
      चैहान कुकरैल स्थित मौलश्री आॅडिटोरियम में उत्तर प्रदेश में बांस क्षेत्र का विकास विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीएफसी में क्राॅस कट, बाहरा गांठ हटाना, रेडियल स्प्लिटर, स्लाइसर, सिलवरिंग, स्टिक मेकिंग और स्टिक साइजिंग आदि विभिन्न प्रकार की मशीनों की स्थापना होगी। ये केन्द्र बांस कारीगरों के समूहों, स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पादन संगठनों तथा वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किये जायेंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि सीएफसी से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा जायगा। विशेष अभियान चलाकर किसानों को इस योजना की जानकारी दी जायगी। बैम्बू मिशन के तहत किस प्रकार की सुविधा मिल रही है, इससे किसानांे को भली-भांति अवगत भी कराया जायगा।
      चैहान ने कहा कि किसानों एवं ग्रामीणों द्वारा निर्मित बांस उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए सहारनपुर, बरेली, मीरजापुर, सोनभद्र तथा ओबरा में बांस बाजार (बैम्बू मार्केट) स्थापित कराये जा रहे हैं। यह बाजार उत्पादों की बिक्री और बाजार की प्रवृति के अनुरूप पूरे वर्ष मंच प्रदान करने में सहायक सिद्ध हांेगे। इसके अतिरिक्त बांस के उपचार हेतु बरेली एवं चित्रकूट बांस उपचार संयत्र की स्थापना कराई जा रही है। वहीं, बरेली में कार्बोनाइजेशन संयत्र भी स्थापित कराया जा रहा है। इन प्रयासों से किसानों की आय में वृद्धि होगी और चीनी उद्योग को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि बैम्बू क्षेत्र के विकास में यह कार्यशाला मील का पत्थर साबित होगी।
      प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील पाण्डेय ने कहा कि बांस नकदी फसल है। बांस की कई प्रजातियां है, जो 60-70 मिमी एक घण्टे में बढ़ जाती हैं। साथ ही बांस 35 प्रतिशत कार्बन डाईआक्साइड भी सोखता है। उन्होंने कहा कि बांॅस के वृक्षों का वेदों में भी वर्णन किया गया है। इसकी महत्ता हमारे जीवन से जुड़ी है। बांस ऐसा वृक्ष है, जिसके हर भाग का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को बांस की खेती के लिए सब्सिडी दिये जाने का प्राविधान है। किसान अपनी भूमि पर हरा सोना उगाकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना सकते है। बांस क्षेत्र के विकास हेतु क्लस्टर आधारित विकास कार्यक्रम चलाये जायेंगे। कारीगरों का समूह बनाकर हस्तकला, शिल्पकला में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी ।
      मिशन निदेशक, राष्ट्रीय बांस मिशन, डा के इलन्गो ने कहा कि बांस उत्पादकों की आय में वृद्धि, विपणन तथा कच्चेमाल की उपलब्धता को सुनिचित करने के लिए वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय बांस मिशन की स्थापना हुई है। यह योजना बुंदेलखण्ड और विन्ध्याचल सहित 32 जनपदों में क्रियान्वित की जा रही है। योजनान्तर्गत  बैम्बूसा बाल्कोआ, बैम्बूसा न्यूटन्स, बैम्बूसा बैम्बोस, डैन्ड्रोक्लेमस हैमिल्टोनी और डैन्ड्रोक्लेमस जाइजेन्टियस प्रजातियों के पौधों को उगाने वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बांस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए नई बांस किस्मों को विकसित किया जा रहा है। अनुसंधान को प्रोत्साहन दिया गया है। जगह-जगह हाई-टेक नर्सरी स्थापित कराई जा रही है। पौधों में कीट एवं बीमार प्रबंधन पर कार्य किया जा रहा है। बांस हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
      कार्यशाला में बांस एवं बेंत विकास संस्थान, अगरतल्लाध्नई दिल्ली, भारतीय काष्ट विज्ञान एवं तकनीक संस्थान बंग्लुरू, भारतीय प्लाईउड उद्योग अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान बंग्लुरू, भारतीय बांस संसाधन एवं तकनीक केन्द्र बहराइचध्नई दिल्ली सहित उद्यमी, स्वयंसेवा संस्थाएं, कृषक उत्पाद संगठन, बांस शिल्पकार, किसान, विविध वरिष्ठ अधिकारी तथा वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। इनके अतिरिक्त प्रदेश के समस्त डीएफओ कार्यशालय से वर्चुअल जुड़े रहे।
औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहन
‘‘विश्व स्वास्थ्य दिवस‘‘ के शुभ अवसर पर कोविड-19 कोरोना वायरस के तीव्रतर प्रसार एवं बारम्बार पुनरावृत्ति एवं अन्य वायरस संक्रमण की बढ़ती घटनाओं के महामारी काल में प्रासंगिक, समसामयिक एवं उपयोगी ‘‘औषधीय पौधों की खेती प्रोत्साहन एवं स्वास्थ्य‘‘ विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार में विभिन्न विभागों, संस्थानों, यथा-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान, लखनऊ, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, नेहरू युवा केन्द्र संगठन लखनऊ, कृषि/उद्यान विभाग उत्तर प्रदेष लखनऊ, पारिपुनसर््थापन वन अनुसंधान केन्द्र, प्रयागराज, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग, मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय तकनीक संस्थान, इलाहाबाद तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेष से क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक, दक्षिणी क्षेत्र, प्रयागराज, वन्यजीव पश्चिमी क्षेत्र, कानपुर, मीरजापुर क्षेत्र, मीरजापुर, पूर्वी क्षेत्र, गोरखपुर, मण्डलीय मुख्य वन संरक्षक, कानपुर मण्डल, लखनऊ मण्डल, वन संरक्षक, आजमगढ़, वाराणसी तथा प्रयागराज तथा प्रभागीय वनाधिकारी/निदेशक, मीरजापुर, भदोही, काशी वन्यजीव (चन्दौली), प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, कानपुर तथा उन्नाव द्वारा प्रतिभाग किया गया। उक्त के अतिरिक्त प्रभारी, गंगा टास्क फोर्स, प्रयागराज/वाराणसी, कृशक उत्पाद संगठनों तथा कृशक प्रतिनिधियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। वेबिनार में विभिन्न विभागों, संस्थानों एवं कृशक उत्पाद संगठनों तथा कृशक प्रतिनिधियों द्वारा विस्तृत चर्चा की गयी।
वेबिनार में परियोजना इकाई, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेष द्वारा गंगा बेसिन के अन्तर्गत चयनित 10 जनपदों यथा वाराणसी, चन्दौली, मीरजापुर, भदोही, प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौषाम्बी, फतेहपुर, उन्नाव एवं कानपुर नगर में औशधीय पौधों की खेती प्रोत्साहन योजना के संशोधित परियोजना प्रस्ताव के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण के अन्तर्गत परियोजना से सम्बन्धित मुख्य उद्देश्यों, कार्य घटकों एवं कृशक लाभार्थियों को प्रोत्साहन की सुविधा आदि के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की गयी। उद्यान विभाग, उत्तर प्रदेष, लखनऊ के प्रतिनिधियों द्वारा प्रदेश के 59 जनपदों में संचालित औषधीय पौध वृक्षारोपण परियोजना एवं प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत कृषकों द्वारा माइक्रोइरीगेशन पद्धति यथा- ड्रिप व स्प्रिंक्लर के माध्यम से सिंचाई तथा तत्सम्बन्धी तकनीकी मार्ग दर्शन हेतु सलाहकार तथा प्रशिक्षण हेतु मास्टर ट्रेनर की व्यवस्था आदि कृशक लाभार्थियों को प्रोत्साहन दिये जाने से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गयी। उद्यान विभाग द्वारा वन विभाग केे अन्तर्गत कृशक लाभार्थी परक संचालित की जा रही योजनाओं यथा- सब मिशन आॅन एग्रो फाॅरेस्ट्री, राश्ट्रीय बाँस मिशान एवं उत्तर प्रदेश के गंगा बेसिन में औशधीय पौधों की खेती प्रोत्साहन योजना आदि के सफल क्रियान्वयन हेतु माइक्रोइरीगेशन पद्धति यथा- ड्रिप व स्प्रिंक्लर सिंचाई से सम्बन्धित सहयोग दिये जाने का आश्वासन दिया गया। प्रधान मुख्य संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा उत्तर प्रदेश के गंगा बेसिन में औशधीय पौधों की खेती प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत ड्रिप एवं अथवा स्प्रिंक्लर सिंचाई पद्धति को यथा स्थान आवष्यकतानुसार सम्मिलित किये जाने तथा प्रदेश में प्रायोगिक आधार पर पाॅयलट परियोजना के रूप में लागू किये जाने हेतु एक अथवा दो जनपदों में लगभग 5.00 हे वृक्षारोपण क्षेत्रों में ड्रिप एवं स्प्रिंक्लर सिंचाई पद्धति को लागू करने हेतु सम्यक् प्रस्ताव बनाये जाने के सुझाव दिये गये।
पारिपुनसर््थापन वन अनुसंधान केन्द्र, प्रयागराज के प्रतिनिधियों द्वारा माइक्रोइरीगेशन यथा- ड्रिप एवं स्प्रिंक्लर सिंचाई पद्धतियों से सहमति जताते हुये प्रदेश में जल संचयन, दक्ष जल उपयोग एवं जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जलवायु प्रतिरोध क्षमता परक एवं पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक प्रजातियों के पारिपुनसर््थापन एवं समुचित चयनित प्रजातियों यथा- सागौन, शीशम, आँवला, सहजन, नीम, बबूल एवं महुआ आदि के बीज व पौध रोपण व्यवस्था को लागू किये जाने के सुझाव दिये गये। केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान, लखनऊ के प्रतिनिधियों द्वारा उत्तर प्रदेष के गंगा बेसिन में औशधीय पौधों की खेती प्रोत्साहन योजना को लागू करने हेतु तकनीकी पार्टनर के रूप में पारंपरिक हर्बल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, प्रमुख औषधीय पौध कृषिकरण प्रजातियाँ व उत्पाद, विपणन लिंकेज निर्माण तथा मूल्य संवर्द्धन श्रृंखला विकास, वर्तमान में कोविड-19 कोरोना महामारी के दौरान कृषकों तथा उद्योगों का औषधीय खेती की तरफ बढ़ते रूझान तथा अश्वगंधा, ब्राम्ही, तुलसी एवं गिलोय आदि प्रजातियों की बढ़ी हुयी माँग के सम्बन्ध में ज्ञानवर्द्धन किया गया।
डा शिवेष शर्मा, प्रोफेसर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय तकनीक संस्थान, प्रयागराज के द्वारा औशधीय पौध एवं उत्पाद विकास के संवर्द्धन एवं व्यवसायीकरण हेतु प्रयागराज में स्टार्ट अप प्रोत्साहन कार्याें तथा ऊश्मायन केन्द्र स्थापना के सम्बन्ध में पावर प्वाइन्ट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अवगत कराया गया। कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के प्रतिनिधि द्वारा अवगत कराया गया कि कृषि विभाग द्वारा गंगा के 27 जनपदों में जैविक खेती का कार्य कराया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के प्रतिनिधि द्वारा उत्तर प्रदेष के गंगा बेसिन में औशधीय पौधों की खेती प्रोत्साहन योजना के संशोधित परियोजना प्रस्ताव के सम्बन्ध में अपेक्षा की गयी कि के अन्तर्गत सम्भावित बाधाओं एवं समस्याओं का निराकरण करते हुए सभी पहलुओं को भलीभाँति ध्यान में रखकर परियोजना का निरूपण एवं क्रियान्वयन कराया जाय। सभी क्षेत्रीय विभागीय अधिकारियों द्वारा वेबिनार में आये सभी तथ्यों एवं पहलुओं से संज्ञानित होते हुए परियोजना के सम्बन्ध में कराये जा रहे एवं भविष्य में कराये जाने वाले कार्यों को क्षेत्रीय स्तर पर समुचित रूप से लागू कराये जाने हेतु संकल्प लिया गया। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, परियोजना/परियोजना निदेशक (नमामि गंगे), उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा  उत्तर प्रदेश के गंगा बेसिन में औशधीय पौधों की खेती प्रोत्साहन योजना को सफल रूप से क्रियान्वित किये जाने केे सम्बन्ध में आश्वस्त किया गया।

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