A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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गन्ने के रस में स्वाद के साथ सेहत भी
चिलचिलाती गर्मी में सबसे असरदार कुछ है तो वह है गन्ने का जूस। हालांकि गन्ने का जूस पीने से पहले यह तय कर लें कि उसमें बर्फ न मिली हो। साथ ही किसी साफ दुकान से ही गन्ने का जूस खरीदें। गन्ने के रस में कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और मैग्नेशियम की मात्रा इसके स्वाद को क्षारीय (खारा) करती है, इस रस में मौजूद यह तत्व हमें कैंसर से बचाते हैं। गन्ने में अच्छी मात्रा में काइब्रोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, आयरन, पोटेशियम और एनर्जी ड्रिंक में मिलने वाली सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स होते हैं. इसी वजह से एक ग्लास गन्ने का रस आपने शरीर को एनर्जी से भर थकान खत्म कर देता है। गन्ने के रस में पोटैशियम की अधिक मात्रा होने की वजह से यह शरीर के पाचनतंत्र के लिए बहुत फायदेमंद है। यह रस पाचन सही रखने के साथ-साथ पेट में संक्रमण होने से भी बचाता है। गन्ने का रस कब्ज की समस्या को भी दूर करता है। यह रस दिल की बीमारियों जैसे दिल के दौरे के लिए भी बचावकारी है। गन्ने का रस से शरीर में कॉलेस्ट्रोल और ट्राईग्लिसराइड का स्तर गिरता है। इस तरह धमनियों में फैट नहीं जमता और दिल व शरीर के अंगों के बीच खूब का बहाव अच्छा रहता है। गन्ने के रस में अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड पदार्थ होता है, जो त्वचा संबंधित परेशानियों को दूर करता है और इसमें कसाव लेकर आता है। गन्ने के रस को त्वचा पर लगाएं और सूखने के बाद पानी से धो लें। सदियों से पीलिया से पीड़ित मरीजों को गन्ने का रस दिया जाता है. क्योंकि इसका जूस पीलिया के कारण लिवर को प्रभावित करने वाला बिलीरुबिन नामक तत्व (लिवर में पाए जाने वाला भूरे-पीले रंग का द्रव्य, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनता है) को कम करता है, जिससे लिवर धीरे-धीरे मजबूत बनता है। साथ ही यह पेट जलन में भी राहत देता है। बच्चे हो या बड़े, बुखार से गर्म शरीर का तापमान कम करने में गन्ने का रस बड़ा फायदेमंद है। यह रस शरीर में प्रोटीन की हानि को कम करता है, जिससे बुखार में आराम मिलता है। जल्दी बीमार पड़ना, हर वक्त थकान रहना, जरा-सी मेहनत करने से सांस फूलना और शरीर में दर्द रहने जैसी अगर दिक्कतें हो तो गन्ने का रस जरूर पिएं। यह सारे लक्षण कमजोर इम्यून सिस्टम के हैं, जिसे गन्ने का रस बूस्ट कर सकता है।
क्या है ग्रीन कॉफी
ग्रीन कॉफी का प्रचलन बढ़ रहा है और विज्ञापनों में इसके फायदे भी गिनाए जा रहे हैं, जिसमें वजन घटाना सबसे बड़ा फायदा है। कॉफी के पौधे से हरे रंग के बीजों को लेकर पहले उन्हें भूना जाता है और फिर पीसकर सामान्य कॉफी बनाई जाती है। इस प्रक्रिया से कॉफी का रंग हरे से बदलकर हल्का या गहरा भूरा हो जाता है और स्वाद भी बढ़ जाता है, लेकिन कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुणकारी तत्व की मात्रा कम हो जाती है। वहीं, जब कॉफी के बीजों को बिना भुने पीसकर पाउडर बनाया जाता है, तो इसे ग्रीन कॉफी कहते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित चूहों पर किए गई एक रिसर्च के अनुसार, ग्रीन कॉफी में एंटीओबेसिटी गुण पाया जाता है। ग्रीन काॅफी के अर्क में पाया जाने वाला एंटीओबेसिटी गुण शरीर में वसा के संचय को कम कर मोटापे और बढ़ते वजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह एडिपोजेनेसिस (वसा कोशिकाएं) और लिपिड चयापचय को भी नियंत्रित कर सकता है। बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल की समस्या आज एक आम समस्या हो गई है। ग्रीन कॉफी एक्सट्रेक्ट का उपयोग कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में फायदेमंद हो सकता है। इस शोध को एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी बीन एक्सट्रैक्ट कुल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल-सी के स्तर को कम कर सकता है। नसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में जिक्र मिलता है कि कॉस्मेटिक में ग्रीन कॉफी ऑयल का उपयोग इसके एंटी-एजिंग गुणों के कारण किया जाता है। यह गुण त्वचा के लिए फायदेमंद हो सकता है और उम्र के साथ होने वाली त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार हो सकता है। हर किसी को लम्बे और मजबूत बालों की चाह होती है। ऐसे में बालों को स्वस्थ रखने से लिए ग्रीन कॉफी एक अच्छा विकल्प हो सकती है। ग्रीन कॉफी में आयरन और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। शोध में पाया गया कि ये पोषक तत्व बालों की समस्या को दूर करने के साथ ही उन्हें मजबूती प्रदान करने में फायदेमंद हो सकते हैं। हालांकि, ग्रीन कॉफी का कौन-सा गुण कोलेस्ट्रॉल पर प्रभावी रूप से कार्य करता है, इस पर और शोध की आवश्यकता है। हालांकि इस पर हुए शोध यह साबित करते हैं कि ग्रीन कॉफी तेजी से वजन कम करने में कारगर हो सकती है और इसे पीने वाले लोगों का वजन ग्रीन कॉफी न पीने वालों की तूलना में 7 से 10 किलो तक कम हो सकता है। इसके अलावा इसमें उच्च रक्तचाप को कम करने के तत्व भी मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद नुकसानों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसका सीमित सेवन शायद नुकसान न पहुंचाए, लेकिन थोड़ी भी अधिक मात्रा लेने पर यह आपको पेट की खराबी या उससे जुड़ी अन्य समस्या हो सकती है। प्रतिदिन 200 से 480 एमजी तक ग्रीन कॉफी का सेवन किया जा सकता हैं। सिर में दर्द होना या फिर एंजायटी भी इसके कुछ नुकसानों में शामिल है लेकिन जरूरी नहीं यह बात सभी पर लागू हो। ग्लूकोमा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, ऑस्टियोपोरोसिस, ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स आदि समस्याओं से जूझ रहे लोगों में यह नुकसानदायक साबित हो सकती है जिसकी असली वजह इसमें मौजूद कैफीन है। ग्रीन कॉफी बनाने के लिए सबसे पहले ग्रीन कॉफी बीन्स को रातभर के लिए पानी में डालकर रख दें। अगली सुबह बीजों सहित पानी को करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें। इससे बीजों का हरा रंग पानी में आ जाएगा। अब पानी को उतार लें और छान लें। जब पानी सामान्य हो जाए, तो उसे पिएं। यह सबसे अच्छा ग्रीन कॉफी पीने का तरीका हो सकता है। चाहें तो एक पाउच ग्रीन कॉफी के पाउडर को एक कप गर्म पानी में घोलकर भी ग्रीन कॉफी बना सकते हैं। ग्रीन कॉफी में चीनी या शहद का प्रयोग न ही करें, तो ग्रीन कॉफी पीने का तरीका बेहतर हो सकता है। साथ ही इसमें दूध भी न मिलाएं। इसे ऐसे ही पिएं और दिनभर में अधिक से अधिक दो कप का ही सेवन करें। साथ ही गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को ग्रीन कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
गुणों का खजाना है मौसंबी
मौसंबी न सिर्फ एक स्वादिष्ट फल है, बल्कि यह पौष्टिकता से भरपूर भी है। मौसंबी में विटामिन-ए, सी, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, पोटैशियम, फोलेट आदि होते हैं। वहीं, मौसंबी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीट्यूमर, एंटीडायबिटिक, एंटी-अल्सर जैसे कई गुण हैं। वजन कम करने के लिए डाइट और सही एक्सरसाइज के साथ मौसम्बी के जूस का सेवन लाभकारी हो सकता है। कम कैलोरी और कम फैट युक्त होने की वजह से मौसम्बी के जूस को वजन कम करने में सहायक माना जाता है। कब्ज की समस्या किसी को भी हो सकती है। ऐसे में खान-पान पर थोड़ा ध्यान देकर इससे कुछ हद तक राहत मिल सकती है। डाइट में मौसंबी को शामिल करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसमें मौजूद एसिड आंतों से टॉक्सिन निकालकर कब्ज से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है। साथ ही इसमें फाइबर भी होता है, जिसे कब्ज को दूर करने के लिए उपयोगी माना जाता है। स्कर्वी विटामिन-सी की कमी से होने वाली बीमारी है। इसमें व्यक्ति को खून की कमी, मसूड़ों से संबंधित समस्या और कमजोरी हो सकती है। इससे बचाव के लिए विटामिन-सी युक्त मौसम्बी और इसके जूस का सेवन लाभकारी हो सकता है। स्कर्वी से होने वाली मसूड़ों की समस्या से बचाव के लिए मौसंबी के रस में थोड़ा-सा पानी और काला नमक मिलाकर प्रभावित मसूड़ों पर लगाने से राहत मिल सकती है। जब पेट में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, तो वह आंतों पर घाव करने लग सकता है, जिसका नतीजा पेप्टिक अल्सर हो सकता है। मौसम्बी में एंटी-अल्सर गुण होता है, जो अल्सर से बचाव कर सकता है। साथ ही मौसम्बी के जूस में मौजूद एसिड पेट में अल्कलाइन रिएक्शन करके एसिड को खत्म करने में मदद करता है, जिससे पेप्टिक अल्सर के लक्षणों से राहत मिल सकती है। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मौसम्बी और इसका जूस को सहायक माना जाता है। इसकी मीठी खुशबू के कारण मुंह की लार ग्रंथियों से लार निकलने लगती है, जो पाचन में सहायता हो सकता है। साथ ही इसमें मौजूद फ्लेवोनॉइड्स पित्त, डाइजेस्टिव जूस और एसिड का स्त्राव बढ़ाकर पाचन प्रक्रिया में सुधार करने में सहायक हो सकते हैं। इस प्रकार, मौसम्बी के जूस के सेवन से पेट की समस्याओं, अपच, मतली जैसी परेशानियों से बचाव हो सकता है। मौसम्बी के फायदे में रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करना भी शामिल है। दरअसल, मौसम्बी में डी-लिमोनेन तत्व होता है, जो इम्यून पावर में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, मौसम्बी जूस के नियमित सेवन से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे हृदय सही तरीके से कार्य करता है। इसके परिणामस्वरूप रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो सकता है। गर्भावस्था के लिए भी मौसम्बी एक पौष्टिक और सुरक्षित फल माना जाता है। मौसम्बी के जूस में एंटी-हाइपरलिपिडेमिक यानी हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाला प्रभाव होता है। इसी वजह से प्रतिदिन मौसंबी का सेवन करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर नियंत्रित रह सकता है। मौसंबी का जूस शरीर में पानी की कमी को पूरा कर सकता है, क्योंकि इसमें पानी की अच्छी मात्रा होती है। साथ ही इसमें कई विटामिन्स और मिनरल्स भी होते हैं, जो शरीर को पोषण प्रदान कर सकते हैं। लू लगने पर या शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) होने पर मौसंबी के जूस का सेवन किया जा सकता है। यह न सिर्फ सेहत के लिए बल्कि त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी त्वचा की रंगत में निखार ला सकता है।

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