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Green Update

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वृक्षारोपण २०२१ को जन आंदोलन बनाने की तैयारियां तेज
‘वृक्षारोपण जन आन्दोलन 2021‘ में विगत वर्ष वृक्षारोपण हेतु पौधशालाओं में उगाई गई 108 वृक्ष प्रजातियों के अतिरिक्त बाँस तथा कुछ औषधीय पौधों को प्रदेश में बढ़ावा देने हेतु 13 अन्य वृक्ष प्रजातियों को प्रदेश के विभिन्न पौधशालाओं में उगाने का निर्णय लिया गया है। 13 नई वृक्ष प्रजातियों का विवरण  इस प्रकार हैंःकृष्णा सिरस, करधई, बुद्धा बांस, बालकोआ बांस, वंश लोचन बांस, विशाल बांस, गोल्डन बांस, वन खजूर, किन्नू, चकोतरा, पपीता,गिलोय व करी पत्ता। हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उप्र में मुख्यालय स्थित ‘‘पारिजात कक्ष‘‘ में ‘‘वृक्षारोपण जन आन्दोलन-2021‘‘ की प्रगति के सम्बन्ध में प्रमुख सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, सुधीर गर्ग की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की गयी। मुख्य वन संरक्षक से प्राप्त सूचना के अनुसार प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग ने जुलाई 2021 में 30 करोड़ वृक्षारोपण कार्यक्रम ‘‘वृक्षारोपण जन आन्दोलन-2021‘‘ की विस्तृत समीक्षा, विचार-विमर्श एवं क्षेत्रीय व मण्डलीय मुख्य वन संरक्षकों के प्रस्तुतीकरण का अवलोकन कर विस्तृत समीक्षा के उपरान्त निम्न निर्देश दियेः आगामी वृक्षारोपण कार्यक्रम को जन आन्दोलन का रूप देकर वृक्षारोपण में अधिक से अधिक भागीदारी ताकि वृक्षारोपण को जनआन्दोलन का रूप दिया जा सके। वृक्षारोपण हेतु आगामी मृदा कार्य इस माह के अन्त तक पूर्ण कर लिया जाये तथा सुनिश्चित किया जाये कि आगामी वर्षाकाल में 30 करोड़ पौध रोपित करने हेतु पर्याप्त संख्या में उच्च गुणवत्ता व उपयुक्त उचाँई के ही पौधे पौधशालाओं में उपलब्ध है। वृक्षारोपण की तैयारियों हेतु अन्य विभागों के साथ समन्वय हेतु समय पर बैठक मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक एवं प्रभागीय वनाधिकारियों के स्तर से की जाये। मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में पौधषालाओं एवं वृक्षारोपण में रासायनिक खादों के स्थान पर उत्तर प्रदेष स्थित गौषालाओं से क्रय कर कम्पोस्ट खाद का उपयोग किया जाये। प्रभागीय वनाधिकारी अपने मुख्य वन संरक्षक से अनुमोदन प्राप्त कर तत्काल विरासत वृक्षों की घोषणा करायें। इस कार्य में अत्यधिक विलम्ब हो चुका है, पुनः निर्देशित किया जाता है कि विरासत वृक्ष घोषित कर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, योजना एवं कृषि वानिकी, उप्र तथा राज्य जैव विविधता बोर्ड को तत्काल सूचित किया जाये। इस कार्य में विलम्ब मान्य नहीं होगा तथा विलम्ब करने वाले वनाधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी। समीक्षा बैठक में  प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उप्र, लखनऊ,सुनील पाण्डेयय सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उप्र संजय सिंह, सभी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सभी मुख्य वन संरक्षक तथा सभी  वन संरक्षक एवं विभिन्न वन प्रभागों के प्रभागीय वनाधिकारियों द्वारा वीडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रतिभाग किया गया।
अग्नि नियंत्रण कक्ष की स्थापना
2021 अग्नि सीजन में आग की घटनाओं का अनुश्रवण करने तथा वन अग्नि घटनाओं के सम्बन्ध में विभिन्न श्रोतों से सूचना एकत्र करने और प्राप्त सूचनाओं को सम्बन्धित अधिकारियों को प्रेषित  करने हेतु निम्न प्रकार अग्नि नियंत्रण कक्ष को तात्कालिक प्रभाव से स्थापित करने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उप्र, लखनऊ द्वारा निम्नलिखित निर्देष दिये गये हैंः प्रभागीय स्तर पर अग्नि नियंत्रण कक्ष की स्थापना। प्रत्येक प्रभागीय वनाधिकारी के कार्यालय में एक अग्नि नियंत्रण कक्ष की तत्काल स्थापना की जायेगी। यह नियंत्रण कक्ष 24 घंटे कार्य करेगा। नियंत्रण कक्ष के टेलीफोन नम्बरों की सूचना स्थानीय समाचार पत्रो के माध्यम से जनता तथा अन्य विभागों को दी जायेगी। नियंत्रण कक्ष पर 24 घंटे कार्य करने के लिए प्रति 8 घंटे के अनुसार एक कर्मचारी तैनात रहेगा जो आग की सूचना मिलने पर उसकी प्रविष्टि एक पंजिका में करेगा तथा प्राप्त सूचना पर कृत कार्यवाही की प्रविष्टि भी पूर्व की भाॅति पंजिका में करेगा। विभिन्न रेंजों से आग के सम्बन्ध में सूचना एकत्र करने के लिए पूर्व की भांति पृथक से एक पंजिका रखी जायेगी। प्रत्येक वन संरक्षक के कार्यालय में एक अग्नि नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जायेगा जो कि उक्त की भांति कार्य करेगा। वन संरक्षक का यह दायित्व होगा कि वह प्रभागीय वनाधिकारियों से प्राप्त अग्नि से सम्बन्धित सूचना पूर्व निर्धारित प्रपत्र-2 में अपने जोनल मुख्य वन संरक्षक को प्रतिदिन फैक्स द्वारा प्रेषित करेंगे। अपने वृत्त के अन्तर्गत अग्नि दुर्घटनाओं के अनुश्रवण करने का पूरा दायित्व वन संरक्षकों का होगा।  क्षेत्रीय व मण्डलीय मुख्य वन संरक्षक स्तर पर भी उक्त की भांति अग्नि नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जायेंगे। क्षेत्रीय व मण्डलीय मुख्य वन संरक्षक का दायित्व होगा कि वह वन संरक्षकों व प्रभागीय वनाधिकारियों से प्राप्त अग्नि दुर्घटनाओं की सूचना प्रपत्र-3 में प्रतिदिन ई मेल या व्हाट्सप्प  से मुख्य वन संरक्षक, प्रचार-प्रसार, उप्र, लखनऊ व कमाण्ड सेण्टर को भेजेंगे। मुख्य वन संरक्षक अपने अधीनस्थ कार्यालयों में स्थापित अग्नि नियंत्रण कक्षों के दूरभाषध्मोबाईलध्फैक्स नम्बरध्ई-मेल से मुख्यालय पर स्थापित अग्नि नियंत्रण सेल को तत्काल अवगत कराये। वनों की अग्नि से सुरक्षा एवं प्रभावी रणनीति हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उप्र, लखनऊ द्वारा समस्त वनाधिकारियों को कई दिशानिर्देश दिये गये जैसे स्थानीय स्तर पर गोष्ठियों व बैठकों का आयोजन कर वन अग्नि से पर्यावरण को होने वाली क्षति के सम्बन्ध में स्थानीय जनता को शिक्षित करना व जागरूकता स्तर में वृद्धि कर वनों की अग्नि से सुरक्षा के साथ ही वन अग्नि प्रबन्धन की आवश्यकता व महत्व को उन्हें समझाना। विभिन्न प्रसार माध्यमों का उपयोग कर वनों के समीपवर्ती ग्रामों व कस्बों में अग्निकाल की अवधि व इस अवधि में वन क्षेत्र में प्रतिबन्धित गतिविधियों का व्यापक प्रचार करना, वन क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों व निकासी चैकियों पर नोटिस लगाकर अग्निकाल की सूचना व इस अवधि में की जाने वाली सावधानियों का उल्लेख किया जाना। कार्ययोजना में उल्लिखित क्षेत्रों में नियंत्रित दाहन एवं नई अग्नि रेखाओं का निर्माण तथा रख-रखाव सुचारू रूप से करने तथा नियंत्रित दाहन को भूमि प्रबन्ध का उद्देश्य प्राप्ति के साधन के रूप में प्रयोग करने का निर्देश भी दिया गया। अपने क्षेत्र में वनों की अग्नि से सुरक्षा के लिए पूर्ण प्रयास करने तथा प्रभाग में अग्नि प्रबन्धन के लिए उपलब्ध संसाधनों का दक्षता पूर्वक, प्रभावी रूप से प्रयोग करने का निर्देश भी दिया गया। प्रत्येक प्रभागीय वनाधिकारी, अपने समस्त फील्ड कर्मचारियों का भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की वेबसाईट में मोबाईल एसएमएस अलर्ट हेतु पंजीकरण करायें। संरक्षित क्षेत्रों-राष्ट्रीय उद्यानों व वन्यजीव विहारों को अग्नि से बचाने हेतु विशेष सतर्कता बरतनी आवश्यक। संरक्षित क्षेत्रों में वन अग्नि नियंत्रण व प्रबन्धन में ईको विकास समितियों का भी सक्रिय सहयोग प्राप्त करना होगा। वन अग्नि नियंत्रण व प्रबन्धन में गठित विभिन्न समितियों यथा ‘संयुक्त वन प्रबन्ध‘ के अन्तर्गत गठित ग्राम वन समिति, इको विकास समिति, वन विकास अभिकरण व जनपद में अवस्थित अन्य संगठनों से सम्पर्क कर सक्रिय सहयोग प्राप्त करने का भी निर्देश दिए गए।
लिबासपुर गांव में वायु प्रदुषण पर ध्यान देंः एनजीटी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्ली के मुख्य सचिव को उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के लिबासपुर गांव में औद्योगिक इकाइयों के कारण प्रदूषण होने का आरोप लगाने वाली याचिका पर ध्यान देने को कहा है। अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. के.गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार औद्योगिक क्षेत्रों में अवैध औद्योगिक गतिविधियों द्वारा होने वाले प्रदूषण के संबंध में आदेश का पालन सुनिश्चित करना और लगातार निगरानी करना मुख्य सचिव की जिम्मेदारी है। अधिकरण ने कहा कि कानून के तहत पर्यावरणीय नियमों के आगे के अनुपाल की जिम्मेदारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों की है। हरित अधिकरण एनजीओ सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट की ओर से उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के लिबासपुर गांव में औद्योगिक इकाइयों द्वारा पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। आवेदन के अनुसार, औद्योगिक इकाइयां जोखिम भरी, खतरनाक और प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां चला रही हैं जिससे आसपास के निवासियों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। -ट्रेटेक नेटवर्क

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