जौ के हैं अनेक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाà¤
जौ में विटामिन बी कॉमà¥à¤ªà¥à¤²à¥‡à¤•à¥à¤¸, लोहा, कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, मैगà¥à¤¨à¥€à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, मैंगनीज, सेलेनियम, जसà¥à¤¤à¤¾, तांबा, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨, अमीनो à¤à¤¸à¤¿à¤¡, आहार फाइबर, बीटा गà¥à¤²à¥‚कॉन और विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤‚टीऑकà¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट में समृदà¥à¤§ है। आप इस बहà¥à¤®à¥à¤–ी अनाज के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठका फायदा न केवल इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करके उठा सकते हैं, अपितॠसà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤§à¤• जौ के पानी का सेवन करके à¤à¥€ अपनी सेहत में सà¥à¤§à¤¾à¤° ला सकते हैं। नियमित रूप से जौ के पानी का सेवन करने से शरीर को पोषण तो मिलता ही है, साथ ही में यह शरीर को बीमारियों से कोसों दूर à¤à¥€ रखता है। इसे पीने के साथ-साथ आप अपने सूप-सलाद à¤à¤µà¤‚ उबली हà¥à¤ˆ सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ या फिर खिचड़ी में à¤à¥€ मिला सकते हैं। वैसे तो जौ का पानी बाजार में बहà¥à¤¤ ही आसानी से मिल जाता है परंतॠवह पानी घर के बनाये हà¥à¤ जौ-पानी की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में कम सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤§à¤• होता है। à¤à¤¸à¤¾ इस वजह से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रासायनिक पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ जौ के पानी में परिरकà¥à¤·à¤• और उचà¥à¤š मातà¥à¤°à¤¾ में चीनी मिली होती है। जौ का पानी बनाने की विधि: जौ को ठनà¥à¤¡à¥‡ पानी की मदद से अचà¥à¤›à¥‡ से धो लें और फिर कम से कम 4 घंटे के लिठपानी में à¤à¤¿à¤—ो दें। उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ इसे अचà¥à¤›à¥‡ से छान लें और à¤à¤• कप à¤à¤¿à¤—ोये हà¥à¤ जौ में 3 से 4 कप पानी मिलायें। इसे गैस पर उबालने के लिठचà¥à¤¾ दें और कम आंच पर 1 घंटे या फिर 45 मिनट के लिठढक कर पकने दें। जब जौ पक कर नरà¥à¤® हो जाà¤, गैस बंद कर दें। पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मिशà¥à¤°à¤£ को ठंडा होने दें। छलनी की मदद से इसे à¤à¤• कप में छान लें। अचà¥à¤›à¥€ सेहत पाने के लिठरोजाना 1 से 2 कप जौ का पानी पियें। इसके सà¥à¤µà¤¾à¤¦ में सà¥à¤§à¤¾à¤° लाने और अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठको बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठआप इसमें à¤à¤• छोटे-से नींबू का रस और शहद की मिठास मिला सकते हैं। आप बचे हà¥à¤ जौ के पानी को तीन दिन तक फà¥à¤°à¤¿à¤œ में रख सकते हैं। यही नहीं जौ के पानी को छानने के बाद जो जौ बच जाà¤, आप वो अपने सूप या फिर खिचड़ी में à¤à¥€ डाल सकते हैं। जौ का पानी मूतà¥à¤° मारà¥à¤— में संकà¥à¤°à¤®à¤£ के लिठà¤à¤• उतà¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• उपाय है। यह पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ उपाय है और इसलिठइसका सेवन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ गरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ महिलाओं में à¤à¥€ मूतà¥à¤° पथ के संकà¥à¤°à¤®à¤£ का इलाज करने के लिठकिया जा सकता है। à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• मूतà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤§à¤• होने के नाते, यह विषाकà¥à¤¤ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के निकास में मदद करता है और संकà¥à¤°à¤®à¤£ कारक बैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को बाहर का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखता है। साथ ही में, यह मूतà¥à¤° पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ के लिठà¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ à¤à¤‚टी-इंफà¥à¤²à¥‡à¤®à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ (सूजन को कम करने) के रूप में कारà¥à¤¯ करता है और गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को को साफ रखने में मदद करता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से, यह मूतà¥à¤°à¤¾à¤¶à¤¯à¤¶à¥‹à¤§, गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡ की पथरी और उचà¥à¤š कà¥à¤°à¤¿à¤à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤¿à¤¨ का सà¥à¤¤à¤° जैसे विकारों के इलाज के लिठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता है। जौ का पानी वजन कम करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे लोगों के लिठà¤à¤• उतà¥à¤¤à¤® सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पेय है। इसमें उचà¥à¤š मातà¥à¤°à¤¾ में निहित फाइबर और बीटा गà¥à¤²à¥‚कनà¥à¤¸ आपके पेट को à¤à¤• लंबे समय के लिठतृपà¥à¤¤ रखता है ताकि आप अनावशà¥à¤¯à¤• खाकर अपने वजन में बà¥à¥‹à¤¤à¤°à¥€ ना करें। इसके अलावा, जौ का पानी पाचन के लिठअचà¥à¤›à¤¾ है और वसा के चयापचय को उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ करता है। अघà¥à¤²à¤¨à¤¶à¥€à¤² फाइबर उचà¥à¤š मातà¥à¤°à¤¾ में समà¥à¤®à¤²à¤¿à¤¤ होने की वजह से, जौ का पानी रकà¥à¤¤ में कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤² के सà¥à¤¤à¤° को कम करने के लिठसहायक है, जिससे हृदय रोग विकसित होने का खतरा à¤à¥€ कम हो जाता है। जौ में निहित फाइबर और बीटा गà¥à¤²à¥‚कनà¥à¤¸ पेट और आंतों में à¤à¥‹à¤œà¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤² के अवशोषण को रोकने में à¤à¥€ मददगार है। कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤² कम करने के अलावा, जौ का पानी धमनियों के सखà¥à¤¤ होने से बचाव में à¤à¥€ मदद करता है। घà¥à¤²à¤¨à¤¶à¥€à¤² के साथ ही अघà¥à¤²à¤¨à¤¶à¥€à¤² फाइबर की मातà¥à¤°à¤¾ में समृदà¥à¤§ और कà¥à¤·à¤¾à¤°à¥€à¤¯ होने के कारण, जौ का पानी आपके पेट के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठबहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ है। यह पाचन को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देता है और कबà¥à¤œ, बवासीर और गैसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤Ÿà¤¿à¤¸ सहित कई और पाचन समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के इलाज के लिठफायदेमंद है। आप दसà¥à¤¤ (डायरिया) लगने पर à¤à¥€ अपने शरीर में खोठहà¥à¤ तरल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठजौ के पानी का सेवन कर सकते हैं। चूà¤à¤•à¤¿ यह डाइटरी फाइबर का à¤à¤• पà¥à¤°à¤šà¥à¤° सà¥à¤°à¥‹à¤¤ है, यह कोलोरेकà¥à¤Ÿà¤² कैंसर होने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को à¤à¥€ कम करता है। यह बाइल à¤à¤¸à¤¿à¤¡ के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर पितà¥à¤¤ पथरी से बचाव करने में à¤à¥€ सकà¥à¤·à¤® है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह रकà¥à¤¤ शरà¥à¤•à¤°à¤¾ के सà¥à¤¤à¤° को सà¥à¤¥à¤¿à¤° करने में मदद करता है, जौ का पानी शà¥à¤—र रोगियों के लिठअचà¥à¤›à¤¾ है। जौ में निहित बीटा गà¥à¤²à¥‚कनà¥à¤¸ (घà¥à¤²à¤¨à¤¶à¥€à¤² फाइबर का à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°), à¤à¥‹à¤œà¤¨ के बाद गà¥à¤²à¥‚कोज के अवशोषण को धीमा करता है और शरीर में गà¥à¤²à¥‚कोज और इंसà¥à¤²à¤¿à¤¨ में वृदà¥à¤§à¤¿ को कम करता है। इसका जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सेवन करने से आपके बà¥à¤²à¤¡ शà¥à¤—र का सà¥à¤¤à¤° बहà¥à¤¤ हद तक कम हो सकता है, इसलिठइसका सेवन पयापà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में ही करें और अपने बà¥à¤²à¤¡-शà¥à¤—र की जांच नियमित रूप से करते रहें। चूà¤à¤•à¤¿ जौ का पानी शरीर से विषाकà¥à¤¤ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के निकास में मदद करता है, यह आपको सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ और चमकदार तà¥à¤µà¤šà¤¾ को पाने में मदद करता है। इसके अलावा, जौ में à¤à¤œà¥‡à¤²à¤¿à¤• à¤à¤¸à¤¿à¤¡ नामक यौगिक होता है जो मà¥à¤à¤¹à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के इलाज के लिठअतà¥à¤¯à¤‚त फायदेमंद है। यह मà¥à¤¹à¤¾à¤‚सों की वजह से हो रही जलन व सूजन को कम करने में à¤à¥€ सहायक है। इसके अलावा जौ के पानी में निहित अचà¥à¤›à¥‡ à¤à¤‚टी-ऑकà¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट फà¥à¤°à¥€-रेडिकल से लड़ते हैं और उमà¥à¤° समà¥à¤¬à¤‚धित तà¥à¤µà¤šà¤¾ के बदलावों à¤à¤µà¤‚ विकारों पर रोक लगाते हैं। जौ के पानी का सेवन करने के अलावा, आप इसे अपने चेहरे पर à¤à¥€ लगा सकते हैं। पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ कà¥à¤› दिन इसे अपने चेहरे पर लगाà¤à¤‚, दस मिनट के लिठछोड़ दें और फिर पानी से धोकर साफ à¤à¤µà¤‚ चमकदार तà¥à¤µà¤šà¤¾ पाà¤à¤‚।
हींग की औषधीय विशेषता
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ खाने में असाफोटीडा, जिसे हम हींग à¤à¥€ कहते हैं, की à¤à¤• खास जगह है। हींग की तेज खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ वà¥à¤¯à¤‚जन में à¤à¤• अलग जायका लाती है। यह दाल तड़का व मसालेदार शाकाहारी वà¥à¤¯à¤‚जन में इसà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤² किया जाता है। हींग की औषधीय विशेषता à¤à¥€ है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय से हींग को अपच दूर करने के लिठइसà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤² में लाया जाता रहा है। आधा कप पानी में हींग के कà¥à¤› दाने डाल कर पीने से बदहजमी से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ मिल जाता है। मासिक धरà¥à¤® के दौरान होने वाली परेशानियां जैसे पेट में दरà¥à¤¦ और मरोड़ या अनियमित मासिक धरà¥à¤® में हींग का सेवन करने से फायदे होते हैं। सांस वाली नाली में हà¥à¤ संकà¥à¤°à¤®à¤£ को हटाने के लिठहींग का इसà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤² औषधि के रूप में काफी समय पहले से किया जाता रहा है। इससे छाती में फंसे बलगम और छाती दरà¥à¤¦ से निजात पाया जा सकता है। सूखी खांसी, असà¥à¤¥à¤®à¤¾, काली खांसी के लिठहींग और अदरक में शहद मिलाकर लेने से काफी आराम मिलता है। हींग की मदद से शरीर में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इनà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤¨ बनता है और बà¥à¤²à¤¡ शà¥à¤—र का सà¥à¤¤à¤° नीचे गिरता है। बà¥à¤²à¤¡ शà¥à¤—र के सà¥à¤¤à¤° को घटाने के लिठहींग में पका कड़वा कदà¥à¤¦à¥‚ खाना चाहिà¤à¥¤ हींग में कोउमारिन होता है जो खून को पतला करने में मदद करता है और इसे जमने से रोकता है। हींग बà¥à¥‡ हà¥à¤ टà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤—à¥à¤²à¥€à¤¸à¥‡à¤°à¤¾à¤‡à¤¡ और कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤² को कम करता है और उचà¥à¤š रकà¥à¤¤à¤šà¤¾à¤ª को à¤à¥€ घटाता है। यह औषधि विचार शकà¥à¤¤à¤¿ को बà¥à¤¾à¤¤à¥€ है और इसलिठउनà¥à¤®à¤¾à¤¦, à¤à¤‚ठन और दिमाग में खून की कमी से बेहोशी जैसे लकà¥à¤·à¤£ से बचने के लिठà¤à¥€ हींग खाने की सलाह दी जाती है। पानी में हींग मिलाकर पीने से माइगà¥à¤°à¥‡à¤¨ और सरदरà¥à¤¦ से आराम मिलता है। नीमà¥à¤¬à¥‚ के रस में हींग का à¤à¤• टà¥à¤•à¥œà¤¾ डाल कर रखने से दांत दरà¥à¤¦ दूर हो जाता है। अफीम के असर को कम करने में हींग मदद करता है। इसलिठइसे विषहरण औषधि à¤à¥€ कहा जाता है। शोध के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हींग में वह शकà¥à¤¤à¤¿ होती है जो करà¥à¤• रोग को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने वाले सेल को पनपने से रोकता है। कई चमड़े पर लगाठजाने वाले पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में हींग का इसà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤² होता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह चमड़े की बीमारी में औषधि की तरह काम करता है। चेहरे के दाग धबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ से निजात पाने के लिठइसे सीधे चेहरे पर à¤à¥€ लगाया जा सकता है।
चांदी का वरà¥à¤• नहीं शाकाहारी
किसी à¤à¥€ शà¥à¤ कारà¥à¤¯ में चांदी के वरà¥à¤• लगी मिठाई, चांदी का वरà¥à¤• लगा पान आदि जरूर लाया जाता है और लोग इसे शाकाहारी मानते हैं। लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ आप जानते हैं कि चांदी के वरà¥à¤• को बनाने में जानवरों की आंत का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होता है। हालांकि फूड सेफà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤‚ड सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚डरà¥à¤¡à¥à¤¸ अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने चांदी के à¤à¤¸à¥‡ वरà¥à¤• पर रोक लगा रखी है, इसके बावजूद पूरे देश में ये धड़लà¥à¤²à¥‡ से बिक रहा है। इतना ही नहीं, चांदी के असली वरà¥à¤• के नाम पर बाजार में à¤à¤²à¥à¤¯à¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¿à¤¯à¤® के वरà¥à¤• à¤à¥€ बिक रहे हैं। इससे कैंसर, फेफड़े और दिमाग की बीमारियां हो सकती हैं। à¤à¤¸à¤¾ इसलिठहै कि हमें चांदी के वरà¥à¤• के बारे में जानकारी ही नहीं होती कि यह कà¥à¤¯à¤¾ है और कैसे बनाया जाता है। चांदी का वरà¥à¤• बनाने के लिठगाय को मारा जाता है और उसके पेट से आंत निकालकर उसके अंदर चमकीली चांदी जैसी धातॠका टà¥à¤•à¥œà¤¾ परत-दर-परत आंत में लपेट कर रखा जाता है, कि उसका खोल बन जाà¤à¥¤ उसके बाद लकड़ी के हथौड़े से जोर-जोर से पीटा जाता है, जिससे आंत फैल जाती है और और आंत के साथ धातॠका टà¥à¤•à¥œà¤¾ वरà¥à¤• के रूप में पतला होता चला जाता है। चांदी का वरà¥à¤• गाय की आंत में ही बनाया जाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसकी आंत पीटने पर फटती नहीं है। चांदी के वरà¥à¤• बनाने के लिठहर वरà¥à¤· 116000 गायों की हतà¥à¤¯à¤¾ की जाती है। चांदी के वरà¥à¤• के बारे में लखनऊ के इंडियन इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¤¯à¥‚ट आफ टाकà¥à¤¸à¤•à¥‹à¤²à¥‰à¤œà¥€ रिसरà¥à¤š (आईआईटीआर) के अधà¥à¤¯à¤¨à¤¨ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• बाजार में उपलबà¥à¤§ चांदी के वरà¥à¤• में निकल, लेड, कà¥à¤°à¥‹à¤®à¤¿à¤¯à¤® और कैडमियम बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में पाया जाता है। इसको खाने से कैंसर जैसे घातक रोग हो सकता है।
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