A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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मोहिनी का पवित्र पौधा
मोहिनी का पौधा दक्षिण अफ्रीका का देशी पौधा है, इस पौधे को दुनिया भर में एक घरेलू पौधे के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर लोग इस पौधे को क्रासुला का पौधा के नाम से जानते है। जेड ट्री, फ्रेंडशिप ट्री, लकी ट्री, मनी ट्री और क्रासुला ओवाटा आदि सभी मोहिनी के पौधे के अलग अलग नाम है। मोहिनी के पौधे की पत्तियां मोटी व चिकनी होती है। वैसे तो ये पौधा बहुत सारे रंगों में आता है, पर वास्तु के हिसाब से गहरा हरा व हरे गुलाबी रंग का पौधा सबसे अच्छा होता है। बसन्त ऋतु के आरंभ में मोहिनी के पौधे पर तारे के आकार के सफेद व गुलाबी रंग के फूल खिलते है जो देखने मे बहुत सुंदर लगते है। वैसे तो आप मोहिनी के पौधे को अपने घर मे कही भी लगा सकते हो, पर वास्तु के हिसाब से इस पौधे को अपने घर मे अग्नि दिशा की और लगाना चाहिए, और यदि अग्नि दिशा में पौधा रखने व लगाने के लिए कोई जगह नही है तो आप इस को अपने घर के दरवाजे से दक्षिण दिशा में भी लगा सकते हो। इस पौधे की कुछ ज्यादा देखभाल नही करनी पड़ती है। मोहिनी के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नही होती है, यदि आप इस पौधे में 2 दिन छोड़कर भी पानी देते है तो भी ये पौधा नही सूखेगा। इस पौधे को आप छांव में भी रख सकते है ये पौधा बिना ज्यादा धूप के भी पनप जाता है। इस लिए आप इस पौधे को बहुत ही आसानी से अपने घर मे किसी भी जगह पर लगा सकते है। एक बात का पूरा ध्यान रखे कि मोहिनी के पौधे को कोई पवित्र जगह पर ही लगाए व जहाँ पर लगाया हुआ उस जगह को पवित्र रखे, अपवित्र जगह इस पौधे को बिल्कुल भी पसन्द नही होती है।
साल ट्री के फायदे एवं नुकसान
साल ट्री को शाल या साखू भी कहा जाता है। साल ट्री एक अर्धपर्णपाती वृक्ष है जो हिमालय की तलहटी से लेकर 300 से 400 फुट की ऊंचाई तक पाई जाती है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, झारखंड और असम के जंगलों में यह मुख्य रूप से पाया जा सकता है। साल ट्री से रेजिन निकलता है जो अम्लीय होता है। जिसका इस्तेमाल धूप (पूजा सामाग्री) और औषधि बनाने के रूप में किया जाता है। इसकी छाल में लाल और काले रंग का पदार्थ पाया जाता है जिसका इस्तेमाल रंग बनाने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, इस पेड़ का मुख्य तौर पर इस्तेमाल इसकी लकड़ी के लिए किया जाता है। इसकी लकड़ी बहुत ज्यादा मजबूत और भारी होती है जिसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल केवल रेलवे लाइन के स्लीपर बनाने में ही किया जाता है क्योंकि भारी होने की वजह से इसकी लकड़ी बारिश में बहती नहीं है। इसके अलावा, हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार साल का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। बौद्ध धर्म में भी इसे एक पवित्र वृक्ष माना जाता है क्योंकि रानी माया ने साल के वृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को जन्म दिया था। एक औषधी के तौर पर इसके इस्तेमाल की बात करें, तो इसके पेड़ से प्राप्त किए जाने वाले तेल, छाल और पत्तियों का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य विकारों को दूर करने में किया जा सकता है। मुख्य तौर पर इसका इस्तेमान ड्राईनेस की समस्या दूर करने, कफ और पित्त को कम करने, घाव को जल्दी ठीक करने, दर्द निवारक, योनि संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए किया जा सकता है। साथ ही, इसके इस्तेमाल से मोटापे की समस्या को भी कम किया जा सकता है।
हरा नींबू क्या है?
हरा नींबू एक खट्टा फल है। ये जितना छोटा होता है उतने ही ज्यादा इसमें न्यूट्रिएंट्स होते हैं। इसके जूस, फल, पील और ऑयल का इस्तेमाल दवाईयों को बनाने के लिए किया जाता है। कुछ लोग लाइम ऑयल को सीधा अपनी स्किन पर कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए और मलती का इलाज करने के लिए लगाते हैं। कॉस्मेटिक्स में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार, एक हरे नीबू में 20 कैलोरी होती है। इसमें 22 मिलीग्राम कैल्शियम, 12 मिलीग्राम फाॅसफोरस, 68 मिलीग्राम पोटेशियम और 19.5 मिलीग्राम विटामिन सी होता है। हरे नींबू पानी को डायट में शामिल करने से पाचन में सुधार होता है। इसमें कुछ ऐसे कंपाउंड होते हैं जो आंतों और गैस्ट्रिक जूस का स्त्राव बढ़ाता है जिससे पाचन में आसानी होती है। साथ ही, इसके रस में मौजूद एसिड भोजन को पचाने में भी मदद करता है। इसलिए खाना खाने के बाद नींबू पानी का सेवन सेहत के लिए हितकारी हो सकता है। कई रिसर्च के अनुसार ये बात सामने आई है कि खट्टे फलों से कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। साल 2015 में हुए एक शोध के अनुसार, मेडिसिन (बाल्टीमोर) में खट्टे फलों का प्रयोग किया गया था। इसके सेवन से एसोफैगल कैंसर के जोखिम को कम होते देखा गया। हालांकि इस पर अभी और शोध होने की जरूरत है। इसको नियमित पीने से बॉडी डिटॉक्सिफाई होती है। इसका सीधा असर हमारी त्वचा पर चमक के रूप में दिखता है। हरा नींबू में सिट्रिक एसिड और विटामिन सी होता है। 2014 में किए गए एक शोध के अनुसार विटामिन सी और सिट्रिक एसिड किडनी स्टोन को गलाने के लिए लाभदायक है। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि विटामिन सी और सिट्रिक एसिड को अपने आहार में शामिल करने से पथरी होने की संभावना कम होती है।
बालों की लंबाई बढ़ाते हैं अलसी के बीज
अलसी के बीज यानी फ्लैक्सीड्स ओमेगा ३ फैटी एसिड का एक जबरदस्त स्रोत है। ये न सिर्फ आपका बैड कॉलेस्ट्रॉल कम करता है, दिल को दुरुस्त रखता है और वजन कम करने में मदद करता है, बल्कि आपके बालों को भी घना और चमकदार बनाता है। इससे बालों की लंबाई बढ़ाने में भी काफी सहायता मिलती है। बाल झड़ना, स्कैल्प में खुजली होना और डैमेज बाल, ये सभी समस्याएं ख़राब खान-पान, प्रदूषण और केमिकल युक्त उत्पादों के इस्तेमाल से जुड़ी हुई हैं। जब बालों की जड़ों को पर्याप्त पोषण नहं मिलता तो वो रूखे और बेजान दिखने लगते हैं। ऐसे में अलसी के बीज आपकी काफी मदद कर सकते हैं। ओमेगा ३ एसिड बालों का लचीनापन बढ़ाकर उसे टूटने से बचाते हैं। इससे बाल मजबूत और स्वस्थ होते हैं। वहीं इसमें मौजूद लिग्नैन में एंटी-इनफ्लेमटरी तत्व होते हैं और ये डैंड्रफ से बचाव करता है। अलसी के बीज में ढेर सारे मिनरल और विटामिन होते हैं, ख़ासतौर पर विटामिन ई। विटामिन ई बालों के लिए सुपरफूड माना जाता है। ये बालों को मजबूत बनाता है और उसकी ग्रोथ भी बढ़ाता है। इससे बालों को मॉइश्चर मिलता है और उनमें चमक आती है। अलसी के बीज भिगोकर पेस्ट बनाकर बालों में लगा, एक घंटे उपरांत बाल धो लेने चाहिए और बालों को घना, चमकदार और मुलायम बनाने के लिए रोज एक चम्मच अलसी के बीज खाने चाहिए। इसके अलावा आप इसे अपनी सलाद या अन्य डिश में भी मिला सकते हैं। अलसी के बीज के पाऊडर को आटे में मिलाकर उसकी रोटी बनाकर खाई जा सकती हैं।

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