पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ के उपयोग
पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ का जूस बनाकर पीने में उपयोग किया जा सकता है। पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ का अरà¥à¤• कई समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के इलाज के तौर पर उपयोग किया जा सकता है। पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ को पीसकर दांतों के लिठपेसà¥à¤Ÿ के रूप में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जा सकता है। तà¥à¤µà¤šà¤¾ पर पीपल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का पेसà¥à¤Ÿ बनाकर रखा जा सकता है। पीपल की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को नीम की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह कचà¥à¤šà¤¾ à¤à¥€ चबाया जा सकता है। पीपल की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सà¥à¤¬à¤¹ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² में लिया जा सकता है। इसके सेवन से जà¥à¥œà¥€ अधà¥à¤¾à¤¿à¤• जानकारी के लिठà¤à¤• बार डॉकà¥à¤Ÿà¤° से सलाह जरूर लें। कचà¥à¤šà¤¾ चबाने के लिठपीपल की केवल 2-3 पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ ही लें और जूस के रूप में इसे केवल à¤à¤• छोटे गिलास की मातà¥à¤°à¤¾ में ही पिà¤à¤‚। à¤à¤• हफà¥à¤¤à¥‡ में इसके सेवन को दोहराने से पहले डॉकà¥à¤Ÿà¤° से परामरà¥à¤¶ जरूर लें। पीपल पतà¥à¤¤à¥‡ के अधà¥à¤¾à¤¿à¤• सेवन करने से इसका सà¥à¤µà¤¾à¤¦ आपको उलà¥à¤Ÿà¥€ करवा सकता है। पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ में कैलà¥à¤¶à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¤® होता है। इसका अधà¥à¤¾à¤¿à¤• सेवन करने से पà¥à¤°à¥‹à¤¸à¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ कैंसर और हृदय रोग का खतरा हो सकता है। पीपल की पतà¥à¤¤à¥€ में फाइबर की मातà¥à¤°à¤¾ पाई जाती है और अनिशà¥à¤šà¤¿à¤šà¤¿à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में किया गया उपयोग पेट में गैस, दरà¥à¤¦ और मरोड़ की समसà¥à¤¯à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर सकता है। पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ के फायदे कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठपहà¥à¤‚चा सकते हैं। यह सांस की समसà¥à¤¯à¤¾ से जà¥à¥œà¥€ परेशानी होती है, जिसमें फेफड़ों के रासà¥à¤¤à¥‡ में सूजन और कसाव उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है। इससे गले में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी होती है। असà¥à¤¥à¤®à¤¾ की समसà¥à¤¯à¤¾ में पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ के फायदे देखे जा सकते हैं। à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह देखा गया कि पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ के अरà¥à¤• में à¤à¤¸à¥‡ विशेष गà¥à¤£ पाठजाते हैं, जो बà¥à¤°à¥‹à¤‚चोसà¥à¤ªà¤¾à¤® (असà¥à¤¥à¤®à¤¾ की à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿) पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ असर दिखा सकता है। à¤à¤• अनà¥à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह देखा गया है कि पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ और फल में औषधीय गà¥à¤£ पाठजाते हैं, जो असà¥à¤¥à¤®à¤¾ को ठीक करने में मददगार साबित हो सकते हैं। असà¥à¤¥à¤®à¤¾ के इलाज के लिठपीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ का जूस और इसके फल का चूरà¥à¤£ लेने की सलाह दी जाती है। आपने अपने पेट में दरà¥à¤¦ का अनà¥à¤à¤µ कà¤à¥€ न कà¤à¥€ जरूर किया होगा, लेकिन अगर आपके आसपास पीपल का पेड़ है, तो अगली बार आप इस समसà¥à¤¯à¤¾ से नहीं जूà¤à¥‡à¤‚गे। à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में यह देखा गया है कि पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤‚टी-इनà¥à¤«à¥à¤²à¥‡à¤®à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ और à¤à¤¨à¤¾à¤²à¥à¤œà¥‡à¤¸à¤¿à¤• (दरà¥à¤¦ निवारक गà¥à¤£) गà¥à¤£ पाठजाते हैं, जो विà¤à¥à¤¾à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दरà¥à¤¦ और सूजन की समसà¥à¤¯à¤¾ को ठीक कर सकते हैं। आपने कà¤à¥€ न कà¤à¥€ अपने किसी करीबी या परिवार के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में फटी हà¥à¤ˆ à¤à¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की समसà¥à¤¯à¤¾ जरूर देखी होगी। फटी à¤à¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठआप पीपल की छाल का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर सकते हैं। दरअसल, पीपल की छाल में à¤à¤‚टीमाइकà¥à¤°à¥‹à¤¬à¤¿à¤¯à¤² गà¥à¤£ पाठजाते हैं, जिस कारण इसे फूट कà¥à¤°à¥€à¤® (पैरों के लिà¤) को तैयार करने में à¤à¥€ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है। डायरिया की सà¥à¤¥à¥à¤¾à¤¿à¤¤à¤¿ में इंसान बहà¥à¤¤ थका हà¥à¤† महसूस करने लगता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि डायरिया में पतले दसà¥à¤¤ होने लगते हैं। दिनà¤à¤° में तीन या अधà¥à¤¾à¤¿à¤• बार दसà¥à¤¤ होना डायरिया के लकà¥à¤·à¤£ माने जाते हैं। पीपल की छाल में à¤à¤‚टी-बैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤² गà¥à¤£ पाठजाते हैं। अगर इसकी छाल से निकलने वाले अरà¥à¤• का सेवन किया जाà¤, तो यह डायरिया की समसà¥à¤¯à¤¾ को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ रूप से ठीक कर सकता है। पीपल के लाठदांतों के लिठà¤à¥€ उपयोग में लाठजा सकते हैं। पीपल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से बने हà¥à¤ तेल में सà¥à¤Ÿà¥‡à¤°à¥‰à¤¯à¤¡, फà¥à¤²à¥‡à¤µà¥‹à¤¨à¥‹à¤‡à¤¡à¥à¤¸, और à¤à¤²à¥à¤•à¤²à¥‰à¤‡à¤¡à¥à¤¸ बायोà¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ यौगिक पाठजाते हैं। à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• शोध में देखा गया है कि बायोà¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ यौगिक न केवल दांतों को सफेद करने का गà¥à¤£ रखते हैं, बलà¥à¤•à¤¿ यह मà¥à¤‚ह की दà¥à¤°à¥à¤—ंध व मसूड़ों की à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€ को à¤à¥€ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का काम कर सकते हैं। à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, अगर पीपल का पतà¥à¤¤à¤¾ रात à¤à¤° à¤à¥à¤¾à¤¿à¤—ोकर रखा जाठऔर अगले दिन अरà¥à¤• का सेवन तीन बार किया जाà¤, तो हृदय से जà¥à¥œà¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को कम किया जा सकता है। कà¥à¤› दवाओं के सेवन से कà¤à¥€-कà¤à¥€ लीवर को हानि पहà¥à¤‚च सकती है। à¤à¤¸à¥‡ में लीवर के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को बेहतरीन बनाठरखने के लिठपीपल पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ किया जा सकता है। à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह देखा गया कि पीपल में हेपोपà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ (लीवर को डैमेज होने से बचाने वाली à¤à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾) पाई जाती है। à¤à¤• अनà¥à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ में à¤à¥€ बताया गया है कि अरà¥à¤• का उपयोग करने से लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है। रकà¥à¤¤ शà¥à¤¦à¥à¤§à¥€à¤•à¤°à¤£ करने के लिठपीपल के लाठआपकी मदद कर सकते हैं। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में पीपल की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को रकà¥à¤¤ की अशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ को दूर करके, तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोग को ठीक करने के लिठलिठइसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है। पीपल की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤‚टी-बैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤² और à¤à¤‚टी-वायरल गà¥à¤£ पाठजाते हैं और à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• शोध के आधार पर यह à¤à¥€ बताया गया कि पीपल की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤• को पीने से रकà¥à¤¤ शà¥à¤¦à¥à¤§ हो सकता है। पीपल का औषधीय गà¥à¤£ पीलिया जैसी बीमारी को à¤à¥€ खतà¥à¤® कर सकता है। विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जारी किठगठà¤à¤• शोध के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, पीपल की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में फà¥à¤²à¥‡à¤µà¥‹à¤¨à¥‰à¤‡à¤¡, सà¥à¤Ÿà¥‡à¤°à¥‹à¤²à¥à¤¸ जैसे बायोà¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ यौगिक पाठजाते हैं। अगर पीपल की दो से तीन पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दिन में दो बार पानी और चीनी के साथ सेवन किया जाà¤, तो पीलिया की समसà¥à¤¯à¤¾ में लाठहो सकता है। अगर आप कफ की समसà¥à¤¯à¤¾ से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ पाना चाहते हैं, तो इस सà¥à¤¥à¥à¤¾à¤¿à¤¤à¤¿ से उबरने के लिठपीपल का पतà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ रूप से कारà¥à¤¯ कर सकता है। दरअसल, पीपल की पतà¥à¤¤à¥€ में थेरेपेटिक गà¥à¤£ पाठजाते हैं, जिसका उपयोग करने से कफ में आराम मिल सकता है। à¤à¤• अनà¥à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रिसरà¥à¤š में बताया गया है कि पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ को जूस के रूप में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करने से कफ की समसà¥à¤¯à¤¾ से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ मिल सकता है। घाव à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¥€ पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ के औषधीय गà¥à¤£ देखे जा सकते हैं। विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जारी किठगठà¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• शोध में देखा गया है कि पीपल में à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤£ पाठजाते हैं, जो बà¥à¤²à¤¡ गà¥à¤²à¥‚कोज के सà¥à¤¤à¤° को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
कà¥à¤‚दरू के हैं अनेक अनसà¥à¤¨à¥‡ फायदे
हरी सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में मौजूद पोषक ततà¥à¤µ और फाइबर अचà¥à¤›à¥€ सेहत के लिठबहà¥à¤¤ जरूरी हैं, इसीलिठडॉकà¥à¤Ÿà¤° रोजाना हरी सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सेवन की सलाह देते हैं। कà¥à¤‚दरू à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• हरी सबà¥à¤œà¥€ है जो कई औषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र है। कà¥à¤‚दरू का पौधा आमतौर पर खरपतवार या à¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के रूप में पाया जाता है। यह à¤à¤• मौसमी सबà¥à¤œà¥€ है जो दिखने में परवल के जैसी होती है। कà¥à¤‚दरू की सबà¥à¤œà¥€ खाने के कई फायदे हैं। इसमें कफ और पितà¥à¤¤ को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने वाले गà¥à¤£ होते हैं। तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोगों और डायबिटीज जैसी बीमारियों में इसके सेवन को फायदेमंद बताया गया है। वैसे तो आमतौर पर आप कà¥à¤‚दरू की सबà¥à¤œà¥€ खाकर इसके फायदों का लाठले सकते हैं लेकिन अगर आप किसी गंà¤à¥€à¤° बीमारी के घरेलू इलाज के लिठइसका उपयोग करना चाहते हैं तो आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤• की सलाह लें। सिरदरà¥à¤¦ से आराम पाने में आप कà¥à¤‚दरू का उपयोग कर सकते हैं। जब à¤à¥€ सिरदरà¥à¤¦ हो तो कà¥à¤‚दरू की जड़ को पीसकर माथे पर लगाà¤à¤‚। यह सिरदरà¥à¤¦ दूर करने में मदद करता है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤‚दरू में मौजूद औषधीय गà¥à¤£ कान के दरà¥à¤¦ से आराम दिलाने में सहायक है। विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का कहना है कि कान दरà¥à¤¦ होने पर कà¥à¤‚दरू के पौधे के रस में सरसों का तेल मिलाकर 1-2 बूà¤à¤¦ कान में डालें। इससे कान दरà¥à¤¦ से आराम मिलता है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में जीठपर छाले होने की समसà¥à¤¯à¤¾ को ठीक करने के लिठकई घरेलू उपाय बताठहैं उनमें से कà¥à¤‚दरू का उपयोग करना à¤à¥€ à¤à¤• है। अगर आपकी जीठपर छाले निकल आठहैं तो कà¥à¤‚दरू के हरे फलों को चूसें। इससे छाले जलà¥à¤¦à¥€ ठीक होते हैं। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो कà¥à¤‚दरू का उपयोग आपके लिठबहà¥à¤¤ फायदेमंद है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का कहना है कि तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोगों के इलाज के लिठआप कà¥à¤‚दरू का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिठआप निमà¥à¤¨ तरीको से कà¥à¤‚दरू का उपयोग कर सकते हैंः तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोग होने पर कà¥à¤‚दरू की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को तेल के साथ पकाà¤à¤‚ और इसे छानकर तà¥à¤µà¤šà¤¾ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हिसà¥à¤¸à¥‡ पर लगाà¤à¤‚। कà¥à¤‚दरू की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को घी के साथ पीसकर घाव पर लगाने से घाव जलà¥à¤¦à¥€ à¤à¤°à¤¤à¤¾ है। अगर घाव में पस à¤à¤° गया तो इसका उपयोग करने से पहले चिकितà¥à¤¸à¤• से सलाह लें।
सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ के फायदे
जो लोग पान खाते हैं या पूजा-पाठके लिठपान को पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाते हैं, वे सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ (ठमजमस दनज पद à¤à¥à¤ªà¤¦à¤•à¤ª) के बारे में à¤à¥€ जरूर जानते होंगे। पान के साथ-साथ सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— गà¥à¤Ÿà¤–ा-तंबाकू आदि के लिठà¤à¥€ किया जाता है। सच यह है कि अधà¥à¤¾à¤¿à¤•à¤¾à¤‚श लोग सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ को केवल इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ चीजों के उपयोग के लिठजानते होंगे, लेकिन असलियत सिरà¥à¤« इतना नहीं है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• किताबों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ à¤à¤• गà¥à¤£à¥€ औषधि है। सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठसà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ का नियमित इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करना हानिकारक होता है। यह केवल औषधीय उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ के लिठसिफारिश की मातà¥à¤°à¤¾ में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाना चाहिà¤à¥¤ अतà¥à¤¯à¤§à¥à¤¾à¤¿à¤• सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ चबाना दांतों के लिठहानिकारक होता है। सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ का उपयोग असà¥à¤¥à¤®à¤¾ (à¤à¤²à¥à¤•à¥‹à¤²à¥‹à¤‡à¤¡ हैसोलिन के बà¥à¤°à¥‹à¤¨à¥à¤•à¥‹à¤•à¥‹à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के कारण) और गरà¥à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ (à¤à¤°à¥à¤¬à¤¿à¤Ÿà¤«à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤°) में हानिकारक होता है। सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ चबाने से मौखà¥à¤¾à¤¿à¤• कैंसर की समसà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है। 8-10 गà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ घातक रूप से विषाकà¥à¤¤ होता है। सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ खाने के फायदे की बात करें तो इसका उपयोग सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• के खतरे को कम करने में सहायक साबित हो सकता है। विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• लाल सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ की पतà¥à¤¤à¥à¤¾à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में फà¥à¤²à¥‡à¤µà¥‹à¤¨à¥‹à¤‡à¤¡, à¤à¤²à¥à¤•à¤²à¥‰à¤‡à¤¡, टेरपीनोइड, टैनिन, सायनोजेनिक, गà¥à¤²à¥‚कोसाइड, आइसोपà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‰à¤‡à¤¡, à¤à¤®à¤¿à¤¨à¥‹ à¤à¤¸à¤¿à¤¡ और यूजेनॉल जैसे खास ततà¥à¤µ पाठजाते हैं। यह सà¤à¥€ ततà¥à¤µ संयà¥à¤•à¥à¤¤ रूप से सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• (मानसिक और हृदय से संबंधà¥à¤¾à¤¿à¤¤) के खतरे को कम करने में लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ सिदà¥à¤§ हो सकते है। हालांकि, अतà¥à¤¯à¤§à¥à¤¾à¤¿à¤• मातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ चाबने से दांतों और मà¥à¤‚ह से संबंधà¥à¤¾à¤¿à¤¤ कई नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ देखने को मिल सकते हैं, लेकिन सीमित मातà¥à¤°à¤¾ में इसका उपयोग किया जाठतो यह दांतों पर जमने वाली कैविटी को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है। विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• इसमें à¤à¤‚थेलà¥à¤®à¤¿à¤‚टिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ (परजीवी को नषà¥à¤Ÿ करने वाला) पाठजाते हैं, जो कैविटी की समसà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¥€ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ माने जा सकते हैं। हालांकि, इस पर अà¤à¥€ और शोध की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। à¤à¤• शोध में इस बात की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ की गई है कि सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ चबाने से मà¥à¤‚ह में अतà¥à¤¯à¤§à¥à¤¾à¤¿à¤• लार का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। à¤à¤¸à¥‡ में सूखे मà¥à¤‚ह की समसà¥à¤¯à¤¾ में सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ का उपयोग लार को बनाने में मदद कर सकता है।

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