A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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बारिश में इन सब्जियों का सेवन है सेहत के लिए नुकसानदायक
बारिश के मौसम में गर्मी से राहत तो मिलती ही है साथ ही साथ कई तरह की बीमारियों की आमद भी बढ़ जाती है। ऐसे में हमें अपने खाने-पीने की चीजों को लेकर थोड़ा संभल जाने की जरूरत है। मानसून के मौसम में हमें तली-भुनी चीजों को खाने की बड़ी इच्छा होती है। बारिश के दिनों में अक्सर लोग घरों में पालक के पकौड़े खाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बरसात में पालक का सेवन करने से आपको पेट संबंधी बीमारी से जूझना पड़ सकता है। फलों, पकवानों के साथ साथ सब्जियों के सेवन में भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। मानसून में किसी भी प्रकार की कच्ची सब्जी को खाना स्वास्थ्यप्रद नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मौसम में इनमें कीड़ों के होने की संभावना रहती है। जो गंभीर पेट संबंधी समस्या का कारक हो सकते हैं। इन सबके अलावा भी खाद्य पदार्थों को लेकर काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। जैसे सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही बनाने के लिए ले जाएं तथा सब्जियों को देर तक काटकर न रखें। इससे उसमें रोगजनक बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं। सब्जियों को खूब पकाएं ताकि उसमें यदि किसी तरह के बैक्टीरिया उपस्थित हों तो वह नष्ट हो जाएं। हम आपको मानसून में न खाने लायक सब्जियों के बारे में बता रहे हैं। इस मौसम में इनका सेवन सेहत के लिहाज से काफी नुकासनदेह साबित हो सकता है। दरअसल बरसात के मौसम में पालक और अन्य पत्तेदार सब्जियों में छोटे-छोटे कीड़े पड़ जाते हैं। इस वजह से पालक का सेवन करने पर पेट दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा पत्ता गोभी की सब्जी भी रोगजनक कीड़ों से प्रभावित होने के कारण सेवन के योग्य नहीं होती। बरसात के दिनों में हमारी पाचन शक्ति थोड़ी कमजोर हो जाती है। ऐसे में हमें कठिनाई से पचने वाले खाद्य-पदार्थों से दूर रहना चाहिए। आलू, अरवी, भिंडी, फूलगोभी और मटर जैसी सब्जियां पचने में काफी समय लेती हैं। मानसून में मशरूम का सेवन इंफेक्शन को बढ़ावा देता है। गर्मी के मौसम में खीरा, मूली और गाजर को बतौर सलाद खूब इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन बरसात में इनका सेवन हानिकारक हो सकता है। भोजन में दाल, सब्जियां, कम वसा वाली चीजें शामिल करें। प्रोटीन के अलावा बीटा कैरोटीन, बी काम्प्लेक्स विटामिन, विटामिन सी, ई, सेलेनियम, जिंक, फॉलिक एसिड, आयरन, कापर, मैग्नीशियम, प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक आहार भी शरीर के लिए अच्छे होते हैं। भोजन में रेशेदार फलों को शामिल करना फायदेमंद हो सकता है। नींबू में विटामिन सी मिलता है, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वहीं पुदीना पाचन तंत्र को मजबूत करता है, इसलिए इसे खाने में शामिल करना चाहिए।


नारियल की गिरी ही नहीं इसका पानी भी है फायदेमंद!
भारतीय घरों में कई पीढ़ियों से नारियल का इस्तेमाल कई रूपों में किया जाता है। नारियल का हर हिस्सा किसी न किसी तरह से फायदेमंद ही होता है। नारियल का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है जैसे फल के रूप में, तेल के रूप में, नारियल दूध के रूप में और कई प्रकार के व्यंजन बनाने के रूप में किया जाता है। नारियल में संतृप्त वसा की एक उच्च मात्रा होती है, लेकिन ये शरीर के लिए हानिरहित हैं। इनमें फैटी एसिड होते हैं। ये फैटी एसिड शरीर द्वारा अलग तरह से अवशोषित होते हैं। वे सीधे पाचन तंत्र से जिगर तक जाते हैं और आगे कीटोन निकायों में बदल जाते हैं। नारियल में फाइबर उच्च मात्रा में होता है और ये ग्लूकोज रिलीज को धीमा कर देता है और इसे सेल में ट्रांसफॉर्म किया जाता है जिससे यह ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।
नारियल पानी के फायदः नारियल पानी में कई स्वास्थवर्धक गुण भी छुपे हैं। नारियल पानी में मौजूद पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छे माने जाते है। इसके अलावा इसका सेवन डिहाइड्रेशन, ब्लड प्रैशर, डायबिटीज और मोटापा घटाने में बेहद मददगार होता है। नारियल पानी का सेवन गर्मियों में अधिक किया जाता है। यह इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के साथ शरीर में पीएच स्तर को भी बनाए रखता है। नारियल पानी की तासीर ठंडी होती। एक औसत हरे नारियल में 0.5-1 कप नारियल पानी मिलता है, जिसमें 46 कैलोरी होती है। एक नारियल पानी में कार्बोस- 9 ग्राम, फाइबर- 3 ग्राम और प्रोटीन- 2 ग्राम होता है। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन सी, मैग्नेशियम, मैग्नीज, पोटेशियम, सोडियम, मिनरल्स, एंजाइम, एमिनो एसिड, साइटोकाइन, फाइबर और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। फैट फ्री नारियल पानी में मैक्रो-न्यूट्रिएंट्स भी बहुत कम होते हैं। इसलिए रोजाना इसका सेवन आपका वजन नहीं बढ़ने देता। हफ्ते में 2-3 बार नारियल पानी की नियमित रूप से सेवन किडनी स्टोन बाहर निकालने में मदद करता है। नारियल पानी का सेवन बॉडी में मौजूद विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने के साथ शरीर में सभी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करती है। बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए रोजाना 1 नारियल पानी का सेवन जरूर करें।
कच्चे नारियल के लाभः कच्चा नारियल खाने से तेजी से भोजन को पचाने में मदद मिलती है और पाचन से संबंधित लक्षणों व आंतों से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए फायदेमंद होता है। यह शरीर को फाइबर देकर पोषण और खनिज को अवशोषित करने में भी मदद करता है। इससे उल्टी और मतली की समस्या भी दूर होती है।  इम्यून सिस्टम के लिए नारियल बेहद ही फायदेमंद होता है। इसमें एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-पैरासाइटिक गुण होते हैं। नारियल के तेल के इस्तेमाल करने से शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से बचाव में मदद मिलती है। कच्चे नारियल को खाने से गंभीर बीमारियों का इलाज होता है, जैसे गले में संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, यूरिनरी इन्फेक्शन, फीता कृमि और अन्य बीमारियां जो सूक्ष्म जीवों से होती हैं। कच्चा नारियल फैट को बर्न करके ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है। नारियल के तेल में पाए जाने वाले ट्राइग्लिसराइड्स 24 घंटे में की जाने वाली ऊर्जा की कुल खपत को 5ः तक बढ़ा देते हैं, जिससे लंबे समय तक वजन घटने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है। कच्चा नारियल खाने से थायराइड भी स्वस्थ होता है। कच्चे नारियल के प्राकृतिक ड्यूरेटिक गुण यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) का इलाज करते हैं। इसको खाने से संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए यूरिन का प्रवाह प्राकृतिक तरीके से सुधारने में मदद मिलती है। रोजाना नारियल खाने से हड्डियां और दांत स्वस्थ होते हैं। कच्चा नारियल कैल्शियम और मैगनीस को अवशोषित करने के लिए शरीर की क्षमता में सुधार करता है, जिससे हड्डियों का इलाज होता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस को भी सुधारने में मदद करता है, एक ऐसी स्थिति जो हड्डियों को पतला व नाजुक बनाती है और हड्डियों के घनत्व को कम करती है। जिन्हें लैक्टोज असहिष्णुता है, उनके लिए ये विकल्प बहुत ही स्वस्थ है। नारियल में मौजूद सायटोकिनिंस, कीनेटिन और ट्रांस-जीटिन में एंटी थ्रोम्बोटिक, एंटी कार्सिनोजेनिक और एंटी-एजिंग गुण होते हैं। कच्चा नारियल खाने से त्वचा में नमी बानी रहती है और उसे जवान व मुलायम बनाने में मदद मिलती है। एक चम्मच कच्चा, बिना पका नारियल का तेल लें और त्वचा पर लगाने के बाद मसाज करें। जब आप नारियल का सेवन करते हैं तो इससे त्वचा संबंधी समस्याएं, रैशेस, खुजली और जलन को कम करने में मदद मिलती है। रोजाना नारियल खाने से त्वचा में ऑक्सीजन बढ़ता है और रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में मदद मिलती है। आपकी कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जो कि शरीर में पर्याप्त परिसंचरण से संभव है। इससे त्वचा जवान, स्वस्थ और निखरने लगती है। नारियल के एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण सिर की त्वचा को डैंड्रफ, लीखें और खुजली वाली त्वचा से बचाते हैं, इन समस्याओं से बालों का बढ़ना रुक जाता है। नारियल बालों को चमकदार और मुलायम बनाने में भी मदद करता है।
सूखे नारियल (गोले) के फायदेः सूखा नारियल फाइबर से समृद्ध होता है और स्वस्थ ह्रदय बनाये रखने में मदद करता है। पुरुषों को 38 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है, जबकि महिलाओं के शरीर को 25 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। सूखा नारियल खाने से, आपको पर्याप्त फाइबर की मात्रा प्राप्त होगी, जिससे ह्रदय संबंधित समस्याएं नहीं होंगी। शोध में पता चला है कि सूखा नारियल मस्तिष्क के कार्यों को सुधारता है और स्वस्थ दिमाग को बढ़ावा देने में मदद करता है। सूखे नारियल में 5.2 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है जो प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में मदद करता है। सूखे नारियल में खनिज होते हैं जो पुरुषों में बांझपन को रोकने में लाभकारी है। चिकित्सा विज्ञान ने कई परीक्षण किये हैं और उन्होंने इससे जुड़े प्रमाण भी दिए हैं। सूखा नारियल खाने से, शरीर सेलेनियम का उत्पादन करता है और पुरुषों में बांझपन को रोकता है। खासकर महिलाओं में एक उम्र के बाद खून की कमी होने लगती है। सूखा नारियल आयरन से समृद्ध होता है जो एनीमिया को दूर रखता है। सूखे नारियल में कई पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में मदद करते हैं। सूखे नारियल की मदद से कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर जैसे कुछ प्रकार के कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। सूखा नारियल कई पाचन संबंधी समस्याओं से बचाने में मदद करता है, जैसे कब्ज, अल्सर और बवासीर। समस्याएं जैसे अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस आदि को रोजाना सूखे नारियल के सेवन से कम किया जा सकता है।

 

औषधीय गुणों से भरपूर है कदम्ब का वृक्ष और फूल

कदम्ब एक प्रसिद्ध फूलदार वृक्ष है जिसके पत्ते बड़े और मोटे होते हैं और उनमे से गोंद भी निकलता है। कदम्ब के पेड़ के पत्ते महुए के पत्तों के समान और फल नींबू की भांति गोल होते है। साथ ही फूल फलों के ऊपर ही होते है। कदम्ब का फूल छोटे और खुशबुदार होते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं। वैसे तो देश के कई स्थानों पर पाए जाते हैं लेकिन उत्तर भारत में इनकी कई प्रजातियां देखने को मिलती है। कदम्ब के वृक्ष की खास बात यह है कि इसमें अल्फाडीहाइड्रो कदम्बीन, ग्लैकोसीड्स एल्केलायड, आइसो- डीहाइड्रो कदम्बीन, बीटासिटोस्तीराल, क्लीनोविक एसिड, पेंतासायक्लीक, ट्रायटार्पेनिक एसिड, कदम्बाजेनिक एसिड, सेपोनिन, उत्पत्त तेल, क्वीनारिक एसिड आदि रासायनिक तत्वों की भरमार होती है, जिनकी वजह से कदम्ब देव वृक्ष की श्रेणी में आता है । यह विषरोधक वृक्ष की श्रेणी में भी आता है । इसके अलावा यह अपने औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है। यह मनुष्यों और यहां तक कि पशुओं को भी तमाम तरह के गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाता है। पुराणों में प्रचलित है की भगवान श्री कृष्ण कदम्ब के पेड़ के नीचे ही रहकर अपनी बांसुरी बजाया करते थे। कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा होने के कारण कदम्ब का उल्लेख ब्रजभाषा के अनेक कवियों ने किया है। इसके अनेक फायदे हैं जैसे यदि बदहजमी हो गयी हो तो कदम्ब की कच्ची ४-५ कोंपलें चबा लीजिये। दिल की तकलीफों या नाडी डूबने की हालत में इसका रस २ चम्मच पिला दीजिये। इसकी पत्तियों के रस को अल्सर तथा घाव ठीक करने के काम में भी लिया जाता है। आयुर्वेद में कदंब की सूखी लकड़ी से ज्वर दूर करने की दवा तथा मुँह के रोगों में पत्तियों के रस से कुल्ला करने का उल्लेख मिलता है। यदि पशुओं को कोई रोग हो जाए तो इसके फूलों और पत्तियों को पशुओं को बाड़े में रखे, रोग नहीं फैलेगा। चार सौ ग्राम पानी में कदम्ब के फल और पत्तियों के साथ उसकी छाल को १०-१० ग्राम मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन सुबह शाम करें। इससे एजर्जी ठीक हो जाएगी। इसकी छाल को घिस कर बाहर से लगाने पर कनजक्टीवाइटिस ठीक हो जाता है। इसके फलों का रस माँ के दूध को बढाता है। चोट या घाव या सूजन पर इसके पत्तों को हल्का गर्म कर बाँधने से आराम मिलता है। बुखार न जा रहा हो तो कदम्ब की छाल का काढा दिन में दो- तीन बार पी लीजिये। सांप के काटने पर इसके फल फूल पत्ते जो भी मिल जाएँ पहले तो पीस कर लेप कीजिए फिर काढा बनाकर पिलाइए। बदन पर लाल चकत्ते पड़ गये हों तो कदम्ब की ५ कोंपले सुबह-शाम चबाएं। दस्त हो रहे हों तो कदम्ब की छाल का काढा पी लीजिए या छाल का रस २ चम्मच, लेकिन बच्चों को देते समय इस रस में जीरे का चूर्ण एक चुटकी और मिश्री भी मिला लीजिये। फोड़े-फुंसी और गले के दर्द में कदम्ब के फूल और पत्तों का काढा बनाकर पीजिये। खून में कोई कमी आ जाए तो कदम्ब के फल और पत्तों का ४ ग्राम चूर्ण लगातार एक महीना खा लीजिये। मुलेठी है मीठी और असरदार मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जिसमें गुलाबी और जामुनी रंग के फूल होते है। इसके फल लम्बे चपटे तथा इसमें कांटे होते हैं। इसकी पत्तियॉं संयुक्त होती है। मूल जड़ों से छोटी-छोटी जडे निकलती है। इसका पौधा १ से ६ फुट तक होता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है। इसकी खेती पूरे भारतवर्ष में होती है।मुलेठी खासी, गले की खराश, उदरशूल क्षयरोग, श्वासनली की सूजन तथा मिरगी आदि के इलाज में उपयोगी है। इसमें एंटीबायोटिक एवं बैक्टिरिय से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्दरूनी चोटो में भी लाभदायक होता है। भारत में इसे पान आदि में डालकर प्रयोग किया जाता है। मुलेठी के प्रयोग से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर और छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी लाभ होता है। मुलेठी का चूर्ण अमृत की तरह काम करता है, बस सुबह शाम २ ग्राम पानी से निगल जाइए यही नहीं इस मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है बस सुबह ३ ग्राम खाना चाहिये। मुलेठी में पचास प्रतिशत पानी होने के कारण ये पेट के लिए ठंडी होती है। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। मुलेठी घाव को भरने में भी मददगार होती है। मुलेठी खांसी, जुकाम, उल्टी व दस्त को रोकने में मदद करती है।यह पेट की जलन व दर्द, अलसर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है। मुलेठी वातपित्तशामक है। खांसी के लिए मुलेठी पाउडर और आंवला चूर्ण २ -२ ग्राम की मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है। गले के लिए दस ग्राम मुलेठी में दस ग्राम काली मिर्च, दस ग्राम लौंग, पांच ग्राम हरड़, पांच ग्राम मिश्री सारी चीजों को मिला कर पीस लें। इस चूर्ण की एक चम्मच सुबह शहद के साथ चाटने से गले में दर्द की शिकायत दूर हो जाती है और आवाज भी साफ होती है। पेशाब की जलन के लिए एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।छाले ठीक करने के लिए मुलेठी को मुहं में रखकर चूंसने से मुह के छाले ठीक हो जाते हैं। पेट दर्द के लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार लेनें सेे पेट और आंतों का दर्द ठीक हो जाता है। फोड़े-फुसिंयो को ठीक करने के लिए फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं। मुलेठी को कालीमिर्च के साथ खाने सà¥

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