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Green Update

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यूपी मे एक दिन मे लगे बाईस करोड़ पौधे
उत्तर प्रदेश मे एक दिन के भीतर बाईस करोड़ पौधे लगाए गए है। पौधरोपण महाकुभ अभियान की सुबह से ही शुरुआत हो गई और शाम पाच बजे से पहले ही प्रयागराज मे गिनीज बुक ने राज्य सरकार को इस सबध मे प्रमाण पत्र सौप दिया। पहले सरकार की योजना पद्रह अगस्त को स्वाधीनता दिवस के मौके पर इस कार्यकर्म को आयोजित करने की थी लेकिन बाद मे नौ अगस्त को भारत छोड़ो आदोलन के 77 साल पूरे होने पर इस वृक्षारोपण महाकुभ का आयोजन किया गया जिसके तहत सरकार की योजना बाईस करोड़ पौधे लगाने की थी और उसे महज कुछ घटो मे ही पा लिया गया।
योजना की शुरुआत मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने राजधानी लखनऊ से की और शाम को प्रयागराज मे पौधरोपण करके इसका समापन किया। योगी के अलावा राज्य के दूसरे मत्रियो को भी विभिन्न जिलो मे इसकी शुरुआत करने के लिए तैनात किया गया था। यहा तक कि राज्यपाल आनदीबेन पटेल ने भी कासगज मे पौधारोपण की शुरुआत की। उत्तर प्रदेश के वन मत्री दारा सिह चैहान ने बताया कि इसके लिए करीब डेढ़ हाजर नर्सरियो मे सत्ताईस करोड़ पौधे तैयार किए गए थे जिन्हे चैदह लाख जगहो पर लगाने का लक्ष्य रखा गया था। दारा सिह चैहान के मुताबिक, जहा पौधे लगाए गए है उन जगहो की जियोटैगिग भी कराई गई है ताकि अभियान की सही स्थिति आकी जा सके। उन्होने बताया कि पौधरोपण के लिए सबसे ज्यादा सागवान, सहजन, यूकिलिप्टस, आम, महुआ और कुछ औषधीय गुण वाले पौधे बाटे गए है। पौधरोपण महाकुभ के आयोजन मे स्कूली बच्चो से लेकर आम नागरिको तक को प्रोत्साहित किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा सख्या मे पौधे लगाए जा सके और रिकॉर्ड आसानी से बन सके। इस महाकुभ का आयोजन वन विभाग और जिला प्रशासन ने सयुक्त रूप से किया था।
हालांकि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश मे पौधे लगाने के रिकॉर्ड बनाए गए है। पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी तत्कालीन मुख्यमत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व मे पौधरोपण के दो गिनीज रिकॉर्ड बनाए। पहले एक करोड़ पौधे लगाए गए और उसके अगले साल यानी 2016 मे पाच करोड़ पौधे रोपे गए। यही नही, साल 2017 मे योगी सरकार ने भी छह करोड़ से ज्यादा पौधे लगाने का एक नया रिकॉर्ड कायम किया था। लेकिन सच्चाई ये है कि सरकारी तामझाम, प्रचार अभियान और भारी-भरकम धनराशि खर्च करने के बावजूद ये पौधे पेड़ नही बन सके और न ही बनने की प्रक्रिया मे है। यदि इन सारे रिकॉर्डधारी पौधो को ही गिन लिया जाए तो करीब बारह करोड़ पौधे इससे पहले लगाए जा चुके है लेकिन जमीन पर इनका दसवा हिस्सा भी दिखाई दे तो बड़ी बात होगी। यही नही, इन रिकॉर्डधारी अभियानो के अलावा वन विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग हर साल लाखो की सख्या मे लोगो को पौधे बाटते है और अपनी तरफ से पौधरोपण कराते है लेकिन ये सख्या उनसे भी कम रह जाती है जितने पेड़ हर साल काट दिए जाते है। राज्य सरकार के इस अभियान पर कई तरह के सवाल उठ चुके है। यहा तक कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक जवाहर लाल राजपूत ने विधानसभा मे इस पौधरोपण की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए थे और पूछा था कि पहले जो पौधे लगाए गए, उनके जीवित रहने या न रहने के सरकार के पास क्या आकड़े है? उनके जवाब मे वन मत्री दारा सिह चैहान ने भी स्वीकार किया कि पौधो को सरक्षित रख पाने मे तमाम तरह की खामिया रह गई है जिन्हे अब दूर किया जाएगा।
बंुदेलखड के सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर ने सूचना कानून के तहत मागी गई जानकारी के आधार पर बताया कि पिछले दस साल मे तीन सौ करोड़ पौधे अकेले बुन्देलखण्ड के सात जिलो मे लगाए गए है। आशीष बताते है, इस हिसाब से पूरा बुदेलखड ही अब तक घने जगल मे तब्दील हो जाना चाहिए था लेकिन हालात क्या है, यह देखने से ही पता चल जाएगा। वन विभाग के अधिकारी पौधरोपण पर खर्च की जानकारी देने मे तमाम तरह की आनाकानी करते है लेकिन एक पौधे को लगाने पर औसतन पैतीस रुपये का खर्च आता है। यदि ये पौधे सिर्फ रोप दिए गए और बाद मे मुरझा गए तो समझिए अरबो रुपये एक झटके मे ही स्वाहा हो गए। आशीष सागर कहते हंै, अखिलेश यादव सरकार के पाच करोड़ के रिकॉर्ड पर ही 135 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस हिसाब से इस बार करीब आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो गए होगे। सरकार रिकॉर्ड तोड़ने और बनाने पर इतना पैसा फूक तो रही है लेकिन ये पौधे कितने दिन जिदा रहेगे, इसकी कोई गारटी नही है। हालांकि सरकार का दावा है कि इस बार पौधरोपण अभियान और उसके बाद पौधो को बचाने के लिए भी योजनाबद्ध तरीके से काम किया गया है। पौधरोपण के लिए हर जिले मे टास्क फोर्स बनाई गई और और इसकी निगरानी के लिए अफसरो की तैनाती की गई। बताया जा रहा है कि पहली बार चुनावो की तर्ज पर सारा कार्य किया जा रहा है। ग्राम पचायतो मे पौधरोपण और उनकी निगरानी के लिए 479 पीठासीन अधिकारी लगाए गए है, जो सेक्टर मजिस्ट्रेट और एसडीएम जोनल मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट करेगे। पौधरोपण के दौरान हर एक घटे मे ये रिपोर्ट पीठासीन अधिकारी से सेक्टर मजिस्ट्रेट के पास होकर बीडीओ तक पहुचाई गई और फिर वहा से पेड़ो का सारा डाटा एकत्र करने के बाद इसे ऑनलाइन अपलोड किया गया।

 

वन मंत्री ने दिए लक्ष्य तय कर कार्य करने के निर्देश

हाल ही में वन विभाग मुख्यालय में वन एवं वन्यजीव विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए मंत्री, वन, जन्तु उद्यान, पर्यावरण एवं उद्यान उप्र श्री दारा सिंह चैहान ने वर्ष २०१८ में ९ करोड़ पौध रोपित करने का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु कार्य योजना तैयार करने, ग्राम समाज, नहर पटरी, रेलवे विभाग एवं वन भूमि सहित पौधरोपण हेतु उपलब्ध भूमि चिन्हित करने एवं कृषकों को खेतों में पौध रोपित करने के लिए प्रेरित करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया। मंत्री जी द्वारा वन विभाग, उद्यान विभाग, कृषि विभाग एवं ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से प्रत्येक जनपद में किसान मेला आयोजित कर सरकार के निर्णयों से अवगत कराने, किसानों का पंजीकरण करने, उनके द्वारा लगाने जाने वाले पौधों की प्रजाति व संख्या मौके पर ही अभिलिखित करने एवं रोपणों में फलदार पौधों की संख्या बढ़ाने का निर्देष दिया। उन्होंने ने वन भूमि से अतिक्रमण हटाने की समीक्षा कर अतिक्रमण हटाने में किए गए प्रयासों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अतिक्रमण हटाने का माहवार व वृत्तवार लक्ष्य निर्धारित करने, जिला प्रशासन का सहयोग प्राप्त करने, एंटी भू माफिया टास्क फोर्स के साथ समन्वय स्थापित करने, अतिक्रमण करने हेतु विस्तृत व प्रभावी रणनीति तैयार करने एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियोंध्कर्मचारियों को प्रोत्साहित व शिथिलता प्रदर्शित करने वाले कार्मिकों को और अधिक प्रयास कर वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करवाने का निर्देश दिया। मंत्री जी ने पीलीभीत वन क्षेत्र से भटककर वन क्षेत्र के बाहर आए बाघ की गतिविधियों की समीक्षा कर विस्तृत विवरण शासन को उपलब्ध करवाने, पीलीभीत व कुकरैल वन में बाघ सफारी स्थापित करने के लिए कार्यवाही प्रारम्भ करने, भारतीय वन अधिनियम १९२७ की धारा ४ व धारा २० के प्राविधानों के अन्तर्गत अधिसूचना निर्गत करवाने का माहवार लक्ष्य निर्धारित करने, वन (संरक्षण) अधिनियम १९८० के प्राविधानों के अंतर्गत लम्बित प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण करने, वन क्षेत्र में कार्यरत दैनिक पारिश्रमिक व संविदा पर कार्यरत श्रमिकों व उनके परिवारों का दुर्घटना व बीमारी से मृत्यु का बीमा करवाने, ऑनलाइन परफॉरमेंस अप्रैजल सिस्टम विकसित करने, ई टेण्डरिंग व्यवस्था प्रारम्भ करने, इको पर्यटन हेतु वन विभाग व पर्यटन विभाग की गतिविधियों को चिन्हित कर सम्बन्घित विभागों का दायित्व निर्धारित करने व इस हेतु एमओयू तैयार करने एवं इको पर्यटन के अंतर्गत पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों को ही अनुमति देने हेतु निर्देशित किया। प्रमुख सचिव वन एवं वन्यजीव उत्तर प्रदेश रेणुका कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष डाॅ रूपक डे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एसके उपाध्याय, प्रबन्ध निदेशक, वन निगम एसके शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण पवन कुमार, सचिव वन एवं वन्यजीव संजय सिंह, मुख्यालय स्थित वनाधिकारी एवं जोनलध्मण्डलीय के मुख्य वन संरक्षकों एवं वन संरक्षकों ने प्रतिभाग किया। कुकरैल में मोबीवाॅक, फोटोवाॅक आयोजित की गई कुकरैल वन लखनऊ में ईको पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दिनांक १० सितम्बर को प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष डाॅ रूपक डे ने मोबीवाॅक के प्रतिभागियों को कुकरैल वन में पाई जाने वाली वनस्पति व वन्य प्राणि प्रजातियों की जानकारी एवं वन क्षेत्र में भ्रमण करते समय रखी जाने वाली सावधानियों से प्रतिभागियों को अवगत कराते हुए कुकरैल वन क्षेत्र भ्रमण हेतु रवाना किया। प्रतिभागियों के दस समूहों का गठन किया गया। प्रत्येक समूह द्वारा लगभग २० हेक्टेयर वन क्षेत्र का भ्रमण किया गया। प्रतिभागियों ने कुकरैल वन भ्रमण में वन क्षेत्र में पाई जाने वाली पादप व प्राणि प्रजातियों को पहचानने व अभिलिखित करने के साथ ही मोबाइल से फोटोग्राफ्स लिए। भ्रमण के उपरान्त मोबीवाकर्स ने अपने अनुभव साझा करते हुए इसे अत्यन्त रोमांचक, ज्ञानवर्धक, अवस्मिरणीय एवं अपनी तरह का पहला अनुभव बताया। प्रतिभागियों के उत्साह को देखते हेतु पुरस्कार के रूप में दी जा रही धनराशि में वृद्धि कर मोबीवाॅक के विजेताओं का प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमशः रू ३००० रू २००० एवं रू१००० की धनराशि पुरस्कार के रूप में प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया। इसीप्रकार नेचुरल स्केप्स आॅफ कुकरैल फाॅरेस्ट विषय पर डीएसएलआर तथा डिजिटल कैमरों द्वारा छायांकन प्रतियोगिता फोटोवाॅक आयोजित की गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष डाॅ रूपक डे एवं प्रबन्ध निदेशक, उप्र वन निगम, एस के शर्मा ने प्रथम समूह का नेतृत्व करते हुए फोटोवाॅक का शुभारम्भ किया। यहाँ भी दस समूह बनाये गए। प्रत्येक समूह द्वारा लगभग २० हेक्टेयर वन क्षेत्र का भ्रमण कर कुकरैल वन क्षेत्र में पाई जाने वाली अमूल्य प्राकृतिक दृश्यों व वन सम्पदा का छायाकंन किया गया। फोटोवाॅक के विजेताओं को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमषः रू ५००० रू ३००० एवं २००० की धनराशि प्रदान की जाएगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा ईको पर्यटन को बढ़ावा देने एवं कुकरैल वन लखनऊ में ईको पर्यटन गतिविविधयों के विकास तथा ईको पर्यटन के रूप में विकसित किए जाने के संकल्प के क्रम में यह आयोजन हुए । प्रदेश में ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के निर्देश के क्रम में प्रदेश में नए ईको पर्यटन स्थलों को चिन्हित करने के साथ ही पूर्व में चयनित स्थलों में ईको पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु आधार भूत संरचनाओं का विकास किया जा रहा है। ईको पर्यटन नीति २०१४ के अनुसार प्रदेश में ईको पर्यटन हेतु वन निगम, नोडल एजेन्सी एवं वन विभाग, नोडल विभाग है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फेफड़ों के रूप में ५००० एकड़ क्षेत्र में फैले कुकरैल वन में शीशम, सागौन, पीपल, बरगद, पाकड़ सहित ८८ विभिन्न वृक्ष प्रजातियां प्राकृतिक रूप से पल व बढ़ रही हैं।

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