A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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Tidbits

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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माजूफल है प्रकृति की चमत्कारी देन ट्रीटेक संवादाता प्रकृति ने हमें अनेक ऐसी दुर्लभ जड़ीबूटियां दी हैं जो अमृत से कम नहीं मगर हम उनका महत्व नहीं समझते जैसे कि माजूफल। माजूफल दाँतो, मलद्वार, अंडकोष, गर्भ धारण, ल्यूकोरिया, टूटी हुई हड्डी, मुंह के छालो के लिए अचूक औषधि है। दाँतो के लिए यह वरदान है। दाँतो में कैसी भी परेशानी हो, पानी लगता हो, पायरिया हो, मसूढ़ों से खून आता हो या दर्द होता हो, दांत कमजोर हों या दाँतो से भी खून आता हो तो आप घर पर ही ये मंजन बना सकते हैं, इसके लिए चाहिए बस माजूफल और छोटी छोटी घरेलू चीजें। एक माजूफल को बारीक पीसकर सरसो के तेल में मिलाकर बस मसूढ़ों पर मालिश कीजिए इससे मसूढ़ों का दर्द और खून आना तो बंद होगा ही दांत भी मजबूत हो जाएंगे। दाँतो में बहुत तेज दर्द हो रहा है तो माजूफल का चूर्ण उस दांत के नीचे दबाएं १० मिनट में ही दर्द गायब हो जाएगा। एक भुनी हुई सुपारी और एक भुना हुआ माजूफल और एक कच्चा माजूफल इन तीनो को महीन पीसकर मंजन बनाकर तो हमेशा घर में रखना चाहिए और हो सके तो प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार इससे जरूर मंजन करना चाहिए ताकि दाँतो में कोई रोग लगे ही न। दांत बहुत तेज दर्द कर रहा हो तो भुनी हुई फिटकरी ,हल्दी और माजूफल २५ २५ ग्राम ले लीजिये और पीस कर चूर्ण बना लीजिये ,इससे दो बार मंजन करने से ही दर्द गायब हो जाएगा। एक अजीब सी बीमारी है मलद्वार का बाहर निकलना। यह कई कारणों से होता है। कब्ज हो तो मल त्यागते समय व्यक्ति जोर लगाता है। लगातार पेट साफ करने वाली दवाएं खाने से भी मलद्वार बाहर निकल जाता है। बवासीर और भगन्दर हो तो भी ऐसा हो जाता है। खैर किसी भी कारण से मलद्वार बाहर निकला हो तो आप माजूफल की शरण में जाइए। १ गिलास पानी में एक माजूफल पीस कर डालिये फिर इसे पकाइये। १० मिनट उबलने के बाद उतार कर ठंडा कीजिए और इसी पानी से मलद्वार की धुलाई कीजिए। बवासीर के मस्सों का दर्द ,भगन्दर का दर्द और मलद्वार का बाहर निकलना तीनो में आराम मिलेगा। यह क्रिया ५, ६ दिनों तक लगातार कीजिए। मलद्वार से ही सम्बंधित एक बीमारी है गुदाभ्रंश। यह बच्चों में ज्यादा होती है। इसके लिए आप आधा चम्मच फिटकरी लीजिये उसको भून कर चूर्ण बनाये फिर दो माजूफल पीस कर चूर्ण बनाएं। अब दोनों के चूर्ण को १०० ग्राम पानी में मिलाएं। दवा तैयार है। अब इस दवा में रूई का मोटा टुकड़ा भिगाए और गुदा पर बाँध लीजिये। एक क्रिया आपको १० से १५ दिन करनी पड़ सकती है। जितना पुराना रोग होगा उतना ही अधिक समय लेगा ठीक होने में ,किन्तु ठीक अवश्य हो जाएगा। यदि अंडकोष में पानी भर गया है या फिर चोट आदि लगने से सूजन आ गयी है तो फिर माजूफल आपका सच्चा साथी साबित होगा। पानी भरने की दशा में १० ग्राम माजूफल और ५ ग्राम फिटकरी पानी में महीन पीस कर पेस्ट बना लीजिये फिर अंडकोष पर लेप करके १ घंटे तक छोड़ दीजिये तत्पश्चात सादे पानी से धो लीजिये। कम से कम २१ दिन यह काम करने से पानी सूख जाएगा। अगर सूजन हो गयी है तो १०, १० ग्राम माजूफल और अश्वगंधा लीजिये ,पानी में पीस कर पेस्ट बनाइये, फिर थोड़ा गरम कीजिए और लेप करके कोई कपडा बाँध लीजिये ३ से १० दिन में सूजन उत्तर सकती है। माजूफल ल्यूकोरिया की भी दवा है। एक ग्राम चूर्ण सुबह शाम पानी से खाया जाता है २१ दिन तक। माजूफल का लेप लगाकर बांधने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है। माजूफल का छोटा सा टुकड़ा चूसते रहने से मुंह के छाले भी नष्ट हो जाते हैं। बालों की लंबाई बढ़ाते हैं अलसी के बीज अलसी के बीज यानी फ्लैक्सीड्स ओमेगा ३ फैटी एसिड का एक जबरदस्त स्रोत है। ये न सिर्फ आपका बैड कॉलेस्ट्रॉल कम करता है, दिल को दुरुस्त रखता है और वजन कम करने में मदद करता है, बल्कि आपके बालों को भी घना और चमकदार बनाता है। इससे बालों की लंबाई बढ़ाने में भी काफी सहायता मिलती है। बाल झड़ना, स्कैल्प में खुजली होना और डैमेज बाल, ये सभी समस्याएं ख़राब खान-पान, प्रदूषण और केमिकल युक्त उत्पादों के इस्तेमाल से जुड़ी हुई हैं। जब बालों की जड़ों को पर्याप्त पोषण नहं मिलता तो वो रूखे और बेजान दिखने लगते हैं। ऐसे में अलसी के बीज आपकी काफी मदद कर सकते हैं। ओमेगा ३ एसिड बालों का लचीनापन बढ़ाकर उसे टूटने से बचाते हैं। इससे बाल मजबूत और स्वस्थ होते हैं। वहीं इसमें मौजूद लिग्नैन में एंटी-इनफ्लेमटरी तत्व होते हैं और ये डैंड्रफ से बचाव करता है। अलसी के बीज में ढेर सारे मिनरल और विटामिन होते हैं, ख़ासतौर पर विटामिन ई। विटामिन ई बालों के लिए सुपरफूड माना जाता है। ये बालों को मजबूत बनाता है और उसकी ग्रोथ भी बढ़ाता है। इससे बालों को मॉइश्चर मिलता है और उनमें चमक आती है। अलसी के बीज भिगोकर पेस्ट बनाकर बालों में लगा, एक घंटे उपरांत बाल धो लेने चाहिए और बालों को घना, चमकदार और मुलायम बनाने के लिए रोज एक चम्मच अलसी के बीज खाने चाहिए। इसके अलावा आप इसे अपनी सलाद या अन्य डिश में भी मिला सकते हैं। अलसी के बीज के पाऊडर को आटे में मिलाकर उसकी रोटी बनाकर खाई जा सकती हैं। प्राकृतिक दातून से बनाये दांत वज्र समान कड़वे दातून की प्रशंसा महर्षि वाग्भट ने की है जैसे नीम का दातुन। उन्होंने अन्य दातुन के बारे में भी बताया है जिसमे मदार, बबूल, अर्जुन, आम, अमरुद, जामुन आदि प्रमुख हैं। उन्होंने चैत्र माह से शुरू कर के गर्मी भर नीम, मदार या बबूल का दातुन करने की सलाह दी है, सर्दियों में उन्होंने अमरुद या जामुन का दातुन करने को कहा है और बरसात के लिए उन्होंने आम या अर्जुन का दातुन श्रेष्ठ बताया है। आप चाहें तो साल भर नीम का दातुन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन ध्यान इस बात का रखे कि तीन महीने लगातार करने के बाद इस नीम के दातुन को कुछ दिन का विश्राम दे। इस अवधि में मंजन कर ले। दन्त मंजन बनाने की आसान विधि उन्होंने बताई है कि सरसों के तेल में नमक और हल्दी मिलाकर आप मंजन बनालें। दांतों की सफाई और चमक लाने के लिए भी आप कई तरह के मंजन बना सकते हैं। हल्दी नमक मिलाइये, अरु सरसों का तेल। नित्य मलें रीसन मिटे, छूट जाय सब मैल।। दांतों पर लगाये हेतु दो ग्राम नमक हथेली, चुटकी भर हल्दी को हथेली पर ले, उसमें १० से १५ बूंदे सरसों के तेल की मिलाकर, इस मिश्रण से मध्यमा अंगुली का सहयोग लेते हुए धीरे धीरे दांतों एंव मसूढों की मालिश करें । इस प्रयोग से दांत चमकने लगते हैं, दातों की जड़ें मजबूत बनती हैं, मसूढ़ों की सूजन दूर होती है, मसूढ़ों से खून निकलना बंद हो जाता है, दांतों में टार्टर नहीं जम पाता है, हिलते हुए दांत भी फिर से जम जाते हैं। इस साधारण से दिखने वाले प्रयोग से एक अन्य सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके नियमित अभ्यास से दांतों में गरम-ठंड़ा लगने जैसी शिकायतें दूर हो जाती हैं। त्रिफला, त्रिकूटा, तुतिया, पांचों नमक पतंग। दंत वज्र सम होत हैं, माजूफल के संग । हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, काली मिर्च, पीपल (त्रिकुटा), शुद्ध किया हुआ तूतिया (तुत्थ या नीला थोथा), काला नमक, सेंधा नमक, सांभर नमक, समुद्री नमक, विड् नमक (पांचों लवण), पतंग (पत्रांग नामक द्रव्य) तथा माजूफल इन सबको बारीक कूट-पीस तथा छानकर बनाए गए मिश्रण से मंजन करने से दांत वज्र के समान मजबूत हो जाते हैं। त्रिफला के अंतर्गत हरड़, बहेड़ा और आंवला का समावेश किया जाता है। त्रिकुटा के अंतर्गत सोंठ, काली मिर्च और पीपल आती हैं। नीले थोथे को शुद्ध किया जाना अनिवार्य है। इसको दोला-यंत्र में तीन प्रहर तक गाय, भैंस और बकरी के मूत्र के साथ स्वेदन करने से यह शुद्ध हो जाता है। इसके अलावा भी कई प्राकृतिक मंजन बनाये जा सकते हैं, जैसे आधी बड़ी-चम्मच खाने के सोडे में एक चाय-चम्मच सिरका और चुटकी भर नमक मिला कर दातों पर रगड़ने से दांत उजले और सफेद हो जाते हैं। एक बड़ी-चम्मच खाने के सोडे में हाइड्रोजन परऑक्साइड की कुछ बूँदें मिला कर दातों पर रगड़ने से दांत चमकीले और सफेद हो जाते हैं। तेज पत्ता और नारंगी के सूखे छिलके को पीस कर दांत चमकाने का बढ़िया चूर्ण तैयार कर सकते हैं। अनार के छिलके को सुखा और पीस कर दातों पर रगड़ने से दांत चमकीले और सफेद हो जाते हैं। एक चाय-चम्मच हाइड्रोजन परऑक्साइड और एक चाय-चम्मच सैंधा नमक एक कह पानी में मिला कर हर्बल माउथ वाश बनाया जा सकता है। एक बड़ी-चम्मच सिरका, दो बड़ी-चम्मच शहद, दो बड़ी-चम्मच वाइन में आधी चाय-चम्मच पिसा हुआ लौंग मिला कर अच्छा माउथ वाश तैयार किया जा सकता है।

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