A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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Tidbits

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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बबूल पेड़ को कांटो के लिए नहीं, गुणवत्ता के लिए पहचानें बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से हों... यह कहावत जरूर यह दर्शाती है कि बबूल का पेड़ कांटो वाला होता है पर इसकी गुणवत्ता की ओर आपका ध्यान ले जाना भी आवश्यक है। बबूल जिसको कीकर भी कहते हैं यह भारत मे हर जगह बिना लगाये ही अपने आप खडा हो जाता है। आयुर्विज्ञान में इसका विशेष स्थान है। कहते हैं अगर आपके घुटनों में दर्द है तो बबूल के पेड़ पर जो फली या फल होता है उसको तोडकर बीज सहित ही सुखाकर पाउडर बना लें। १ चम्मच या ३ ग्राम पाउडर को एक कप पानी में २ मिनट उबालें और पी जाएं । यह दिन में किसी भी समय पिया जा सकता है। एक महीने तक लगातार सेवन करने से आर्थराइटिस में फायदा होता है । बबूल के पत्तों के अलावा इसकी गोंद और छाल भी बहुत फायदेमंद होती है। बबूल कफ और पित्त का नाश करने वाला होता है और इसकी गोंद में भी कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम के अलावा अरबिक एसिड होता है। बाबुल के पेड़ की छाल और पत्तियों में टैनिन और गैलिक नामक एसिड होता है जिसके कारण इसका स्वाद कड़वा हो जाता है। यह जलन को दूर करने वाला, घाव को भरने वाला और रक्तशोधक होता है। बबूल की छाल को एक्जिमा के उपचार के लिए कारगर माना जाता है और इसकी गोंद त्वचा की जलन को दूर करने में लाभकारी। इसके अलावा बबूल के पत्तों से बना पेस्ट त्वचा पर लगाने से संक्रमण और चकत्ते की समस्या दूर करने में मदद मिलती है। बबूल के गोंद का छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी में आराम होता है। इसके साथ ही पुरानी खांसी होने पर या खांसने पर सीने में दर्द होने पर बबूल के कोमल पत्तों को पानी में खौला कर दिन में तीन बार पीने से सभी परेशानियों दूर हो जाती हैं। बबूल की पत्तियां और छाल दोनों में ही व्यापक रूप से खून को बहने से रोकने और संक्रमण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। इसलिए इसका घाव, कटने और चोटों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। बबूल की पत्तियां पीसकर पूरे शरीर पर मसलें और फिर थोड़ी देर बाद स्नान कर लें। थोड़े दिन ऐसा करने से बहुत ज्यादा पसीना आना बन्द हो जाता है। बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर लगाने से मोटापे को आसानी से दूर किया जाता सकता है। कई महिलाओं और लड़कियों को पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिग होती है। इस तरह की समस्या होने पर बबूल का गोंद घी में भून कर पीस लें अब इसमें बराबर वजन में असली सोना गेरू पीसकर मिला कर तीन बार छान कर शीशी में भर लें। पीरियड्स के दिनों में सुबह शाम 1-1 चम्मच चूर्ण ताजे पानी के साथ लेने से अधिक मात्रा में स्राव होना बन्द हो जाता है। बबूल के पौधे की पत्ती का आंखों से अतिरिक्त पानी की समस्या का उपचार करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आंखों की लालिमा और कंजंक्टिवाइटिस के कारण आंखों में सूजन को कम करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। बबूल की छाल मौखिक और दंत स्वच्छता के लिए भी बहुत लोकप्रिय है। इसकी छाल के एक टुकड़े को मुंह में रखकर चबाने से मसूढ़े व दांत मजबूत होते हैं । बबुल के पेड़ के विभिन्न भागों का उपयोग डायरिया के लिए भी किया जाता है। डायरिया की समस्या होने पर इसके पत्तों का चूर्ण, सफेद और काले जीरे की बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार १२ ग्राम लेने से आराम मिलता है। बबूल के पेड़ की छाल से बने काढ़े और गोंद के काढ़े या सिरप का इस्तेमाल भी डायरिया के लिए किया जाता है। गुलमेहंदी के पुष्प में हैं अनेक गुण गुलमेहंदी जिसे इंग्लिश में बालसम कहते हैं वर्षा कालीन पौधा है जिसे हम जून जुलाई से लेकर अगस्त के प्रथम सप्ताह तक लगा सकते हैं । इसकी तीन मुख्य प्रजातियां होती हैं जो हैं सिंगल पुष्प दूसरी गुच्छों में पुष्प और तीसरी वह जिसमें पुष्प तने के नजदीक ही लगता है। गुलमेहंदी को बीजों द्वारा ही रोपित किया जाता है। इसका फल जब पक जाता है तो इसे हल्का सा छूने पर चटक कर बीज चारों तरफ बिखेर देता है । गुलमेहंदी का पौधा बहुत ही कोमल होता है । कुछ स्कूलों में इसके तने को लेकर गाढ़ी स्याही में डालकर बच्चों को जायलम की प्रेक्टिकल कराते है । जब इसके तने को गाढ़ी स्याही युक्त पानी में डालते है तब कलर जायलम के माध्यम से तने में चढ़ती स्पष्ट दिखाई देती है । गुलमेहंदी के पुष्प कई रंगों में पाए जाते हैं जैसे लाल, सफेद, गुलाबी, हल्की गुलाबी, जामुनी, सुर्ख लाल इसके कुछ किस्म मिक्स प्रजाति के भी होते हैं जिसमे सफेद और लाल पट्टिया बनी होती है। हम गुलमेहंदी के पौधे को कहीं भी लगा सकते है बस यह ध्यान रखना चाहिए कि इसके पौधे के पास पानी जमा ना हो। हम इसे क्यारी या गमलो में लगा सकते हैं। गुलमेहंदी के पौधे के लिए धुप आवश्यक होती है इसलिए इसे ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जहा धूप पूरी तरह पहुचती हो। एक वजह और है इस पुष्प को लगाने की। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार बच्चों की स्मरण क्षमता बढ़ाने में गुलमेहंदी की सुगंध काफी असरदार है। ब्रिटेन के नार्थम्बरिया विश्वविद्यालय के मार्क मास के अनुसार खराब कामकाजी याददाश्त खराब शैक्षिक प्रदर्शन से जुड़ी हुई होती है। लेकिन अब इस फूल की सुगंध से ही इसमें सुधार किया जा सकता है। इस शोध में १० से ११ साल के बच्चों पर अध्ययन किया गया। इसमें से कई बच्चों को गुलमेहंदी की सुंगध वाले कमरे में बिठाया गया। जबकि कई बच्चों को बिना सुंगध वाले कमरे में १० मिनट के लिए रखा गया। इसके बाद दोनों तरह के बच्चों की उनकी कक्षा के आधार पर परीक्षा ली गई। साथ ही उन्हें कई तरह के मानसिक कार्य भी दिए गए। गुलमेहंदी के इस शोध में पाया गया कि बिना सुगंध वाले कमरे की अपेक्षा में सुगंध वाले कमरे में रहने वाले बच्चों ने परीक्षा में ज्यादा अंक प्राप्त किए है। श्ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी एनुअल कांफ्रेंसश् ने इस शोध को किया है। गुलमेहंदी के तेल को लोग अक्सर याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ अपच, पेट फूलने, पेट में ऐंठन, कब्ज या सूजन में आराम पाने के लिए भी करते हैं। साथ ही यह अपच के लक्षणों को दूर करने और भूख बढ़ाने में भी कारगर होता है। आम का फल ही नहीं पत्तियां भी लाभकारी गर्मी का मौसम आने के साथ ही फलों के राजा आम के बिना कोई नहीं रह पाता। यह निश्चित ही सबसे प्रसिद्द फल होने के साथ साथ अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक भी है। न केवल इसके फल पर इसकी पत्तियां भी अनेक गुण समोए होती हैं । इनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होने के कारण यह लगभग हर बीमारी का तोड़ हो सकती है। इसके अलावा इसमें बहुत अधिक मात्रा में विटामिन बी, सी, और ए भी पाया जाता है। आम की पत्तियों का कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे हल्के हरे रंग के छोटे आकार की आम की पत्तियों को तोड़ लें, उन्हें अच्छे से धोएं और छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर चबाइये। या आम के कुछ पत्तों को तोड़िये और रात भर के लिये हल्के गुनगुने पानी में डालकर भिगो दें। अगली सुबह इसका सेवन करें। साथ ही पत्तियों को धोकर धूप में सुखाएं और पाउडर बना लें। इस पाउडर की एक चम्मच लें और एक गिलास पानी में मिलाकर पी लें। ध्यान रखें इसका सेवन खाली पेट ही करें। आम के पत्तों की मदद से आप ब्लड-शुगर को भी कंट्रोल कर सकते हैं। ऐसा आम के पत्तों में मौजूद टैनिन के कारण होता है। आम के पत्तों से निकला अर्क इंसुलिन उत्पादन और ग्लूकोज को बढ़ने से रोक कर ब्लड शुगर का स्तर घटाता है। इसके अलावा आम के पत्तों में मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव से ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। रोज सुबह एक चम्मच आम की पत्तियों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। आम की पत्तियों से किडनी में पथरी की समस्या को हल करने और किडनी को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। इसी तरह यह आपको गॉल ब्लैडर की पथरी से निजात पाने और लिवर को सेहतमंद रखने में भी मदद करता है। रोजाना आम की पत्तियों के पाउडर से बना घोल पीने से किडनी के स्टोन दूर करने में मदद मिलती है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आप शुगर की बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको बाकी चीजों का भी ध्यान रखना होगा। चूंकि आम के पत्तों में फाइबर, पेक्टिन और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है इसलिए यह आपके कोलेस्ट्रॉल, खासतौर पर एलडीएल या हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाता है। इसके अलावा इससे आपकी धमनियां मजबूत और स्वस्थ बनती हैं। आम की पत्तियां अस्थमा की बीमारी को नियंत्रित करती हैं। अस्थमा से निजात पाने के लिए इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर थोड़ा सा शहद मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं। प्रकृति हमें कई बीमारियों का उपचार स्वयं उपलब्ध कराती है व आमतौर पर प्राकृतिक उपचार के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। पेट की बीमारी के लिये में आम के मुलायम पत्ते आपके लिये संजीवनी का काम करते हैं। थोड़ी सी आम की पत्तियों को गर्म पानी में डालें, बर्तन को ढंक दें और रातभर के लिये इसे ऐसे ही छोड़ दें। अगली सुबह पानी को छान कर खाली पेट पी जाएं। इसे नियमित पीने से पेट की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है और पेट का कोई रोग नहीं होता। अर्थात आम के फल का मौसम भले ही चला जाय, इसकी पत्तियों का महत्व हर मौसम एक सामान रहता है। नीम के तेल के जादुई असर को समझें नीम के बीज से निकाले गए तेल में बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं। यह तेल बहुत तेज गंध वाला होता है पर सेहत और सौंदर्य के लिए रामबाण होता है। आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में काजल की तरह लगाएं, लाभ होगा। आंखों में सूजन हो जाने पर नीम के पत्ते को पीस कर अगर दाई आंख में है तो बाएं पैर के अंगूठे पर नीम की पत्ती को पीस कर लेप करें। आंखों की लाली व सूजन ठीक हो जाएगी। नीम के तेल से मच्छर और पैदा होने वाले लार्वा को खत्म किया जा सकता है। मच्छरों पर यह बहुत असरदार होता है। किसानों के लिए यह जैविक कीटनाशक का काम करता है। यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह जमीन या पानी की आपूर्ति में कोई हानिकारक पदार्थ नहीं मिलाता और बायोडीग्रेडेबल है। यह मधुमक्खियों और केंचुए आदि उपयोगी कीड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाता। एक्जिमा से त्वचा पर सूजन और खुजली होती है। इसमें नीम का तेल लगाएं। जलने के घाव भी नीम का तेल लगाने से जल्द ठीक हो जाते हैं और इन्फेक्शन नहीं होता। कील-मुंहासों और त्वचा के दाग भी दूर हो जाते है। आधा चम्मच नीम का तेल दूध में मिलाकर सुबह-शाम को पीने से रक्तप्रदर और सभी प्रकार के प्रदर बन्द हो जाता है। एथलीट फूट, नाखून कवक जैसे त्वचा रोग फंगल संक्रमण के कारण होते हैं। नीम में पाए जाने वाले दो योगिक ‘गेदुनिन’ और ‘निबिडोल’ त्वचा में पाए जाने वाले फफूंद को समाप्त करते हैं और संक्रमण को कम करते हैं। नीम का तेल नियमित लगाने से सिर की खुश्की दूर हो जाती है। दो मुंहे बाल, गंजेपन, जूं की समस्याओं में भी इसका प्रयोग श्रेयस्कर है। दांतों और मसूड़ों की समस्या में नीम तेल की कुछ बूंद मंजन में मिला कर लगाएं। नीम के तेल में एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं जो दांतों में होने वाली समस्यओं जैसे दांतों के दर्द, दांतों का कैंसर, दांतों में सड़न आदि में राहत देतें हैं। नीम में पाये जाने वाले तत्व ऑक्सीकरण रोधक होते हैं जो चेहरे में होने वाले परिवर्तनों को रोक देते हैं। नीम तेल लगाने से चेहरे की झुर्रियां कम होती है।

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