बबूल पेड़ को कांटो के लिठनहीं, गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ के लिठपहचानें
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाठसे हों... यह कहावत जरूर यह दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥€ है कि बबूल का पेड़ कांटो वाला होता है पर इसकी गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ की ओर आपका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ले जाना à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है। बबूल जिसको कीकर à¤à¥€ कहते हैं यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ मे हर जगह बिना लगाये ही अपने आप खडा हो जाता है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ में इसका विशेष सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। कहते हैं अगर आपके घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚ में दरà¥à¤¦ है तो बबूल के पेड़ पर जो फली या फल होता है उसको तोडकर बीज सहित ही सà¥à¤–ाकर पाउडर बना लें। १ चमà¥à¤®à¤š या ३ गà¥à¤°à¤¾à¤® पाउडर को à¤à¤• कप पानी में २ मिनट उबालें और पी जाà¤à¤‚ । यह दिन में किसी à¤à¥€ समय पिया जा सकता है। à¤à¤• महीने तक लगातार सेवन करने से आरà¥à¤¥à¤°à¤¾à¤‡à¤Ÿà¤¿à¤¸ में फायदा होता है । बबूल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अलावा इसकी गोंद और छाल à¤à¥€ बहà¥à¤¤ फायदेमंद होती है। बबूल कफ और पितà¥à¤¤ का नाश करने वाला होता है और इसकी गोंद में à¤à¥€ कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, मैगà¥à¤¨à¥€à¤¶à¤¿à¤¯à¤® और पोटेशियम के अलावा अरबिक à¤à¤¸à¤¿à¤¡ होता है। बाबà¥à¤² के पेड़ की छाल और पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में टैनिन और गैलिक नामक à¤à¤¸à¤¿à¤¡ होता है जिसके कारण इसका सà¥à¤µà¤¾à¤¦ कड़वा हो जाता है। यह जलन को दूर करने वाला, घाव को à¤à¤°à¤¨à¥‡ वाला और रकà¥à¤¤à¤¶à¥‹à¤§à¤• होता है। बबूल की छाल को à¤à¤•à¥à¤œà¤¿à¤®à¤¾ के उपचार के लिठकारगर माना जाता है और इसकी गोंद तà¥à¤µà¤šà¤¾ की जलन को दूर करने में लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€à¥¤ इसके अलावा बबूल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से बना पेसà¥à¤Ÿ तà¥à¤µà¤šà¤¾ पर लगाने से संकà¥à¤°à¤®à¤£ और चकतà¥à¤¤à¥‡ की समसà¥à¤¯à¤¾ दूर करने में मदद मिलती है। बबूल के गोंद का छोटा सा टà¥à¤•à¥œà¤¾ मà¥à¤‚ह में रखकर चूसने से खांसी में आराम होता है। इसके साथ ही पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ खांसी होने पर या खांसने पर सीने में दरà¥à¤¦ होने पर बबूल के कोमल पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को पानी में खौला कर दिन में तीन बार पीने से सà¤à¥€ परेशानियों दूर हो जाती हैं। बबूल की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और छाल दोनों में ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• रूप से खून को बहने से रोकने और संकà¥à¤°à¤®à¤£ को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ होती है। इसलिठइसका घाव, कटने और चोटों पर इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जा सकता है। बबूल की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पीसकर पूरे शरीर पर मसलें और फिर थोड़ी देर बाद सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर लें। थोड़े दिन à¤à¤¸à¤¾ करने से बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसीना आना बनà¥à¤¦ हो जाता है। बबूल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को पानी के साथ पीसकर शरीर पर लगाने से मोटापे को आसानी से दूर किया जाता सकता है। कई महिलाओं और लड़कियों को पीरियडà¥à¤¸ के दौरान बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बà¥à¤²à¥€à¤¡à¤¿à¤— होती है। इस तरह की समसà¥à¤¯à¤¾ होने पर बबूल का गोंद घी में à¤à¥‚न कर पीस लें अब इसमें बराबर वजन में असली सोना गेरू पीसकर मिला कर तीन बार छान कर शीशी में à¤à¤° लें। पीरियडà¥à¤¸ के दिनों में सà¥à¤¬à¤¹ शाम 1-1 चमà¥à¤®à¤š चूरà¥à¤£ ताजे पानी के साथ लेने से अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤°à¤¾à¤µ होना बनà¥à¤¦ हो जाता है। बबूल के पौधे की पतà¥à¤¤à¥€ का आंखों से अतिरिकà¥à¤¤ पानी की समसà¥à¤¯à¤¾ का उपचार करने के लिठà¤à¥€ उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आंखों की लालिमा और कंजंकà¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¾à¤‡à¤Ÿà¤¿à¤¸ के कारण आंखों में सूजन को कम करने में à¤à¥€ इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है। बबूल की छाल मौखिक और दंत सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ के लिठà¤à¥€ बहà¥à¤¤ लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है। इसकी छाल के à¤à¤• टà¥à¤•à¥œà¥‡ को मà¥à¤‚ह में रखकर चबाने से मसूà¥à¥‡ व दांत मजबूत होते हैं । बबà¥à¤² के पेड़ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¾à¤—ों का उपयोग डायरिया के लिठà¤à¥€ किया जाता है। डायरिया की समसà¥à¤¯à¤¾ होने पर इसके पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का चूरà¥à¤£, सफेद और काले जीरे की बराबर मातà¥à¤°à¤¾ में मिलाकर दिन में तीन बार १२ गà¥à¤°à¤¾à¤® लेने से आराम मिलता है। बबूल के पेड़ की छाल से बने काà¥à¥‡ और गोंद के काà¥à¥‡ या सिरप का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² à¤à¥€ डायरिया के लिठकिया जाता है।
गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी के पà¥à¤·à¥à¤ª में हैं अनेक गà¥à¤£
गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी जिसे इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ में बालसम कहते हैं वरà¥à¤·à¤¾ कालीन पौधा है जिसे हम जून जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से लेकर अगसà¥à¤¤ के पà¥à¤°à¤¥à¤® सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ तक लगा सकते हैं । इसकी तीन मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ होती हैं जो हैं सिंगल पà¥à¤·à¥à¤ª दूसरी गà¥à¤šà¥à¤›à¥‹à¤‚ में पà¥à¤·à¥à¤ª और तीसरी वह जिसमें पà¥à¤·à¥à¤ª तने के नजदीक ही लगता है। गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी को बीजों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही रोपित किया जाता है। इसका फल जब पक जाता है तो इसे हलà¥à¤•à¤¾ सा छूने पर चटक कर बीज चारों तरफ बिखेर देता है । गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी का पौधा बहà¥à¤¤ ही कोमल होता है । कà¥à¤› सà¥à¤•à¥‚लों में इसके तने को लेकर गाà¥à¥€ सà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥€ में डालकर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जायलम की पà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤² कराते है । जब इसके तने को गाà¥à¥€ सà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥€ यà¥à¤•à¥à¤¤ पानी में डालते है तब कलर जायलम के माधà¥à¤¯à¤® से तने में चà¥à¤¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखाई देती है । गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी के पà¥à¤·à¥à¤ª कई रंगों में पाठजाते हैं जैसे लाल, सफेद, गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€, हलà¥à¤•à¥€ गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€, जामà¥à¤¨à¥€, सà¥à¤°à¥à¤– लाल इसके कà¥à¤› किसà¥à¤® मिकà¥à¤¸ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के à¤à¥€ होते हैं जिसमे सफेद और लाल पटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ बनी होती है। हम गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी के पौधे को कहीं à¤à¥€ लगा सकते है बस यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिठकि इसके पौधे के पास पानी जमा ना हो। हम इसे कà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ या गमलो में लगा सकते हैं। गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी के पौधे के लिठधà¥à¤ª आवशà¥à¤¯à¤• होती है इसलिठइसे à¤à¤¸à¥€ जगह पर लगाना चाहिठजहा धूप पूरी तरह पहà¥à¤šà¤¤à¥€ हो। à¤à¤• वजह और है इस पà¥à¤·à¥à¤ª को लगाने की। हाल ही में हà¥à¤ à¤à¤• शोध के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की सà¥à¤®à¤°à¤£ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी की सà¥à¤—ंध काफी असरदार है। बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ के नारà¥à¤¥à¤®à¥à¤¬à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के मारà¥à¤• मास के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° खराब कामकाजी याददाशà¥à¤¤ खराब शैकà¥à¤·à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ से जà¥à¥œà¥€ हà¥à¤ˆ होती है। लेकिन अब इस फूल की सà¥à¤—ंध से ही इसमें सà¥à¤§à¤¾à¤° किया जा सकता है। इस शोध में १० से ११ साल के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया गया। इसमें से कई बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी की सà¥à¤‚गध वाले कमरे में बिठाया गया। जबकि कई बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को बिना सà¥à¤‚गध वाले कमरे में १० मिनट के लिठरखा गया। इसके बाद दोनों तरह के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की उनकी ककà¥à¤·à¤¾ के आधार पर परीकà¥à¤·à¤¾ ली गई। साथ ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कई तरह के मानसिक कारà¥à¤¯ à¤à¥€ दिठगà¤à¥¤ गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी के इस शोध में पाया गया कि बिना सà¥à¤—ंध वाले कमरे की अपेकà¥à¤·à¤¾ में सà¥à¤—ंध वाले कमरे में रहने वाले बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने परीकà¥à¤·à¤¾ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अंक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किठहै। शà¥à¤¬à¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ साइकोलॉजिकल सोसाइटी à¤à¤¨à¥à¤…ल कांफà¥à¤°à¥‡à¤‚सशॠने इस शोध को किया है। गà¥à¤²à¤®à¥‡à¤¹à¤‚दी के तेल को लोग अकà¥à¤¸à¤° याददाशà¥à¤¤ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के साथ-साथ अपच, पेट फूलने, पेट में à¤à¤‚ठन, कबà¥à¤œ या सूजन में आराम पाने के लिठà¤à¥€ करते हैं। साथ ही यह अपच के लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ को दूर करने और à¤à¥‚ख बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में à¤à¥€ कारगर होता है।
आम का फल ही नहीं पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€
गरà¥à¤®à¥€ का मौसम आने के साथ ही फलों के राजा आम के बिना कोई नहीं रह पाता। यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही सबसे पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ फल होने के साथ साथ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤§à¤• à¤à¥€ है। न केवल इसके फल पर इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ अनेक गà¥à¤£ समोठहोती हैं । इनमें à¤à¤‚टीऑकà¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट और à¤à¤‚टीमाइकà¥à¤°à¥‹à¤¬à¤¿à¤¯à¤² गà¥à¤£ होने के कारण यह लगà¤à¤— हर बीमारी का तोड़ हो सकती है। इसके अलावा इसमें बहà¥à¤¤ अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में विटामिन बी, सी, और ठà¤à¥€ पाया जाता है। आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का कई तरीके से इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जा सकता है। जैसे हलà¥à¤•à¥‡ हरे रंग के छोटे आकार की आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को तोड़ लें, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अचà¥à¤›à¥‡ से धोà¤à¤‚ और छोटे-छोटे टà¥à¤•à¥œà¥‹à¤‚ में काटकर चबाइये। या आम के कà¥à¤› पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को तोड़िये और रात à¤à¤° के लिये हलà¥à¤•à¥‡ गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥‡ पानी में डालकर à¤à¤¿à¤—ो दें। अगली सà¥à¤¬à¤¹ इसका सेवन करें। साथ ही पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को धोकर धूप में सà¥à¤–ाà¤à¤‚ और पाउडर बना लें। इस पाउडर की à¤à¤• चमà¥à¤®à¤š लें और à¤à¤• गिलास पानी में मिलाकर पी लें। धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखें इसका सेवन खाली पेट ही करें। आम के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की मदद से आप बà¥à¤²à¤¡-शà¥à¤—र को à¤à¥€ कंटà¥à¤°à¥‹à¤² कर सकते हैं। à¤à¤¸à¤¾ आम के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में मौजूद टैनिन के कारण होता है। आम के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से निकला अरà¥à¤• इंसà¥à¤²à¤¿à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ और गà¥à¤²à¥‚कोज को बà¥à¤¨à¥‡ से रोक कर बà¥à¤²à¤¡ शà¥à¤—र का सà¥à¤¤à¤° घटाता है। इसके अलावा आम के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में मौजूद हाइपोगà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¸à¥‡à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से बà¥à¤²à¤¡ शà¥à¤—र का सà¥à¤¤à¤° कम हो जाता है। रोज सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤• चमà¥à¤®à¤š आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सेवन करने से बà¥à¤²à¤¡ शà¥à¤—र लेवल कंटà¥à¤°à¥‹à¤² में रहता है। आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से किडनी में पथरी की समसà¥à¤¯à¤¾ को हल करने और किडनी को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। इसी तरह यह आपको गॉल बà¥à¤²à¥ˆà¤¡à¤° की पथरी से निजात पाने और लिवर को सेहतमंद रखने में à¤à¥€ मदद करता है। रोजाना आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पाउडर से बना घोल पीने से किडनी के सà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ दूर करने में मदद मिलती है। कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤² का उचà¥à¤š सà¥à¤¤à¤° आपके दिल को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चा सकता है। यदि आप शà¥à¤—र की बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको बाकी चीजों का à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना होगा। चूंकि आम के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में फाइबर, पेकà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ और विटामिन सी पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में होता है इसलिठयह आपके कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤², खासतौर पर à¤à¤²à¤¡à¥€à¤à¤² या हानिकारक कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤² के सà¥à¤¤à¤° को घटाता है। इसके अलावा इससे आपकी धमनियां मजबूत और सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ बनती हैं। आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ असà¥à¤¥à¤®à¤¾ की बीमारी को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करती हैं। असà¥à¤¥à¤®à¤¾ से निजात पाने के लिठइसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का काà¥à¤¾ बनाकर थोड़ा सा शहद मिलाकर पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर सकते हैं। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ हमें कई बीमारियों का उपचार सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उपलबà¥à¤§ कराती है व आमतौर पर पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• उपचार के कोई साइड इफेकà¥à¤Ÿ à¤à¥€ नहीं होते हैं। पेट की बीमारी के लिये में आम के मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® पतà¥à¤¤à¥‡ आपके लिये संजीवनी का काम करते हैं। थोड़ी सी आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को गरà¥à¤® पानी में डालें, बरà¥à¤¤à¤¨ को ढंक दें और रातà¤à¤° के लिये इसे à¤à¤¸à¥‡ ही छोड़ दें। अगली सà¥à¤¬à¤¹ पानी को छान कर खाली पेट पी जाà¤à¤‚। इसे नियमित पीने से पेट की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है और पेट का कोई रोग नहीं होता। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ आम के फल का मौसम à¤à¤²à¥‡ ही चला जाय, इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का महतà¥à¤µ हर मौसम à¤à¤• सामान रहता है।
नीम के तेल के जादà¥à¤ˆ असर को समà¤à¥‡à¤‚
नीम के बीज से निकाले गठतेल में बहà¥à¤¤ सारे औषधीय गà¥à¤£ होते हैं। यह तेल बहà¥à¤¤ तेज गंध वाला होता है पर सेहत और सौंदरà¥à¤¯ के लिठरामबाण होता है। आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में काजल की तरह लगाà¤à¤‚, लाठहोगा। आंखों में सूजन हो जाने पर नीम के पतà¥à¤¤à¥‡ को पीस कर अगर दाई आंख में है तो बाà¤à¤‚ पैर के अंगूठे पर नीम की पतà¥à¤¤à¥€ को पीस कर लेप करें। आंखों की लाली व सूजन ठीक हो जाà¤à¤—ी। नीम के तेल से मचà¥à¤›à¤° और पैदा होने वाले लारà¥à¤µà¤¾ को खतà¥à¤® किया जा सकता है। मचà¥à¤›à¤°à¥‹à¤‚ पर यह बहà¥à¤¤ असरदार होता है। किसानों के लिठयह जैविक कीटनाशक का काम करता है। यह परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ नहीं पहà¥à¤‚चाता। यह जमीन या पानी की आपूरà¥à¤¤à¤¿ में कोई हानिकारक पदारà¥à¤¥ नहीं मिलाता और बायोडीगà¥à¤°à¥‡à¤¡à¥‡à¤¬à¤² है। यह मधà¥à¤®à¤•à¥à¤–ियों और केंचà¥à¤ आदि उपयोगी कीड़ों को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ नहीं पहà¥à¤‚चाता। à¤à¤•à¥à¤œà¤¿à¤®à¤¾ से तà¥à¤µà¤šà¤¾ पर सूजन और खà¥à¤œà¤²à¥€ होती है। इसमें नीम का तेल लगाà¤à¤‚। जलने के घाव à¤à¥€ नीम का तेल लगाने से जलà¥à¤¦ ठीक हो जाते हैं और इनà¥à¤«à¥‡à¤•à¥à¤¶à¤¨ नहीं होता। कील-मà¥à¤‚हासों और तà¥à¤µà¤šà¤¾ के दाग à¤à¥€ दूर हो जाते है। आधा चमà¥à¤®à¤š नीम का तेल दूध में मिलाकर सà¥à¤¬à¤¹-शाम को पीने से रकà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤° और सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¦à¤° बनà¥à¤¦ हो जाता है। à¤à¤¥à¤²à¥€à¤Ÿ फूट, नाखून कवक जैसे तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोग फंगल संकà¥à¤°à¤®à¤£ के कारण होते हैं। नीम में पाठजाने वाले दो योगिक ‘गेदà¥à¤¨à¤¿à¤¨â€™ और ‘निबिडोल’ तà¥à¤µà¤šà¤¾ में पाठजाने वाले फफूंद को समापà¥à¤¤ करते हैं और संकà¥à¤°à¤®à¤£ को कम करते हैं। नीम का तेल नियमित लगाने से सिर की खà¥à¤¶à¥à¤•à¥€ दूर हो जाती है। दो मà¥à¤‚हे बाल, गंजेपन, जूं की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में à¤à¥€ इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— शà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥à¤•à¤° है। दांतों और मसूड़ों की समसà¥à¤¯à¤¾ में नीम तेल की कà¥à¤› बूंद मंजन में मिला कर लगाà¤à¤‚। नीम के तेल में à¤à¤‚टी बैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤² ततà¥à¤µ पाठजाते हैं जो दांतों में होने वाली समसà¥à¤¯à¤“ं जैसे दांतों के दरà¥à¤¦, दांतों का कैंसर, दांतों में सड़न आदि में राहत देतें हैं। नीम में पाये जाने वाले ततà¥à¤µ ऑकà¥à¤¸à¥€à¤•à¤°à¤£ रोधक होते हैं जो चेहरे में होने वाले परिवरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ को रोक देते हैं। नीम तेल लगाने से चेहरे की à¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कम होती है।
Leave a comment