अधिक चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से हो सकती हैं सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚   Â
चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने की आदत बहà¥à¤¤ ही आम होती है। जब आप चà¥à¤‡à¤‚गम चबाते हैं तो हिपà¥à¤ªà¥‹à¤•ैमà¥à¤ªà¤¸ अधिक सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ हो जाता है जो कि मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• का वह हिसà¥à¤¸à¤¾ होता है जो यादà¥à¤¦à¤¾à¤¶à¥à¤¤ में गहरी à¤à¥‚मिका अदा करता है। सà¥à¤®à¤°à¤£-शकà¥à¤¤à¤¿ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के साथ ही चà¥à¤‡à¤‚गम मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• मे रकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में मदद करता है। इससे दिल की धड़कन बॠजाती है और मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• को अधिक ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ मिलती है। चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥ मंडल यानी नरà¥à¤µà¤¸ सिसà¥à¤Ÿà¤® का तनाव कम हो जाता है और आप शांत महसूस करते हैं। इसे तनाव व चिड़चिड़ेपन को कम करने में à¤à¥€ मदद मिलती है। जिनà¥à¤¹à¥‡ मूंह की दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ से छà¥à¤Ÿà¤•ारा पाना होता है वे à¤à¥€ चà¥à¤‡à¤‚गम का सहारा लेते हैं। à¤à¤¸à¤¾ इसलिठहोता हैं कि मà¥à¤‚ह में अधिक लार बनने लगती है। à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¾ जाता है कि जो लोग चà¥à¤‡à¤‚गम चबाते हैं उनके दांतों में कैविटी होने की आशंका à¤à¥€ कम होती है। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ १५ मिनट तक इसे चबाने से चेहरे पर रकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ बॠजाता है और गाल और जबड़े मजबूत होते है। परनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤¯à¤¾ चà¥à¤‡à¤‚गम सचमà¥à¤š लाà¤à¤•ारी होती है। हर à¤à¤• के लिठनहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसके à¤à¥€ दà¥à¤·à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® होते हैं जैसे कि लिवर की खराबी , सीने की जलन , अपच और à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€à¥¤ अमेरिका में à¤à¤• शोध दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यह पता चला है कि चà¥à¤‡à¤‚गम में पाठजाने वाले ततà¥à¤¤à¥à¤µ खून में मिल कर शरीर को कई पà¥à¤°à¤•ार से हानि पहà¥à¤‚चाते हैं । इसमें à¤à¤¸à¤ªà¤¾à¤°à¤Ÿà¥‡à¤® नामक ततà¥à¤¤à¥à¤µ होता हैं को सà¥à¤µà¤¾à¤¦ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठडाला जाता है लेकिन यह बहà¥à¤¤ खतरनाक होता है बलà¥à¤•ि लगà¤à¤— जहरीला होता है। वहाठइसपर बैन लगा दिया गया था जो बाद में हटा दिया गया। यह रकà¥à¤¤ में मिल कर मसà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤· तक पहà¥à¤à¤š कर कोशिकाओं को उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ करता है जिससे वे नषà¥à¥‡à¤Ÿ होने लगती हैं।                                                                                                                                                           à¤à¤• अनà¥à¤¯ रिसरà¥à¤š से पता चला है कि विशेषतया मिंट वाली चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से आप फल और सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ जैसी सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦ चीजों से उचाट हो जाते हैं। आपको जंक फूड खाने की à¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾ करती है। मà¥à¤‚ह की मांसपेशियों का अधिक इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² à¤à¥€ हानिकारक है। लगातार चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से à¤à¤• डिसऑरà¥à¤¡à¤° होता है जिसे मेडिकल à¤à¤¾à¤·à¤¾ में टेंपोरोमंडीबà¥à¤²à¤° डिसऑरà¥à¤¡à¤° कहते हैं। इसमें जबड़े और खोपड़ी को जोडने वाली मांसपेशियों में तेज दरà¥à¤¦ होता है। गैसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤‡à¤‚टेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤¨à¤² की समसà¥à¤¯à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है। चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से मà¥à¤‚ह में हवा पैदा होती है जो पेट में जाकर सूजन और दरà¥à¤¦ कर सकती हैं। यह अपच और सीने में जलन का कारण à¤à¥€ बन सकता है कà¥à¤¯à¥‚ंकि इसमें दूध से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¤• पà¥à¤°à¤•ार का पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® कैसीन पेपà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® फॉसà¥à¤«à¥‡à¤Ÿ मिलाया जाता है जिससे इसको सफेदी मिलती है पर यह बहà¥à¤¤ हानिकारक होता है । टाइटेनियम नामक ततà¥à¤¤à¥à¤µ की कोटिंग से दामे व कà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¨ डिजीज हो सकती हैं । मैंथोल और सोरà¥à¤¬à¤¿à¤Ÿà¥‹à¤² जैसे आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤¶à¤¿à¤¯à¤² सà¥à¤µà¥€à¤Ÿà¤¨à¤°à¥à¤¸ आंतों में जलन पैदा करते हैं। इससे जहरीला पारा सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होता है और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से सिरदरà¥à¤¦ और à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€ à¤à¥€ हो सकती है। इसका यह कारण है कि चà¥à¤‡à¤‚गम में बहà¥à¤¤ से पà¥à¤°à¤¿à¤œà¤°à¥à¤µà¥‡à¤Ÿà¤¿à¤µà¥à¤¸, आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤¶à¤¿à¤¯à¤² फà¥à¤²à¥‡à¤µà¤°à¥à¤¸ और आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤¶à¤¿à¤¯à¤² शà¥à¤—र मौजूद होती है जो कि विषाकà¥à¤¤à¤¤à¤¾, à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€ और सिर दरà¥à¤¦ पैदा करती हैं। यह सच है कि कà¤à¥€-कà¤à¤¾à¤° चà¥à¤‡à¤‚गम चबाना मसूड़ों और दातों के लिठठीक है फिर à¤à¥€ इसका जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² आपके दांतों को नà¥à¤•सान पहà¥à¤‚चा सकता है। इसका कारण है कि चà¥à¤‡à¤‚गम में मौजूद शà¥à¤—र कोट दांतों में बैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है। कà¥à¤› लोगों के दांतों के बीच कà¥à¤› à¤à¤°à¤¾à¤µà¤Ÿ होती है जो कि पारे सिलà¥à¤µà¤° और टिन की होती है। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से यह पारा दांतों के बीच से निकलकर शरीर में चला जाता है। यह पारा मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठजहर समान है। à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से पता चला है कि जो बचà¥à¤šà¥‡ और टीनà¤à¤œà¤°à¥à¤¸ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चà¥à¤‡à¤‚गम चबाते हैं उनके चेहरे का सही विकास नहीं होता है। उनका चेहरा सामानà¥à¤¯ से बड़ा होता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने से जबड़े और चेहरे की मांसपेशियां उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ होती हैं। इसलिठजरूरी है कि आप चà¥à¤‡à¤‚गम चबाने का नफा नà¥à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤¨ दोनों समà¤à¥‡à¤‚।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               Â
कà¥à¤¯à¤¾ आप मिटà¥à¤Ÿà¥€ के महतà¥à¤µ को समà¤à¤¤à¥‡ हैं?
मिटà¥à¤Ÿà¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का सारा मल कूड़ा या हर तरह की गनà¥à¤¦à¤—ी को अपने अंदर समा लेती है और खà¥à¤¦ अपने आप में शà¥à¤¦à¥à¤§ हो जाती है। जमीन के अंदर जो कà¥à¤› à¤à¥€ दबा दिया जाता है वह मिटà¥à¤Ÿà¥€ बन जाता है। दीमक के टीले की मिटà¥à¤Ÿà¥€ बहà¥à¤¤ ही गà¥à¤£à¤•ारी होती है। नहाने और सिर को धोने के लिठमà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ मिटà¥à¤Ÿà¥€ बड़ी लाà¤à¤•ारी होती है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ कई पà¥à¤°à¤•ार की होती है और हर पà¥à¤°à¤•ार की मिटà¥à¤Ÿà¥€ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• अलग-अलग होता है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ के अंदर जहर को खींच लेने की बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ होती है। ये शरीर के अंदर के पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ से पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मल को घà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥€ है और बाहर निकालती है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ शरीर के जहरीले पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को बाहर खींच लेती है । तà¥à¤µà¤šà¤¾ के रोग जैसे फोड़े-फà¥à¤‚सी सूजन, दरà¥à¤¦ आदि होने पर मिटà¥à¤Ÿà¥€ काफी लाà¤à¤•ारी साबित होती है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ जलन, सà¥à¤°à¤¾à¤µ और तनाव आदि को समापà¥à¤¤ करती है। शरीर की फालतू गरà¥à¤®à¥€ को मिटà¥à¤Ÿà¥€ खींचती है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ शरीर में जरूरी ठंडक पहà¥à¤‚चाती है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ बदबू और दरà¥à¤¦ को दूर करने वाली है। ये शरीर में चà¥à¤®à¥à¤¬à¤•ीय ताकत देती है जिससे चà¥à¤¸à¥à¤¤à¥€-फà¥à¤°à¥à¤¤à¥€ पैदा होती है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ को शरीर पर अचà¥à¤›à¥€ तरह से मलने से और शरीर पर लगाने से जहरीले ततà¥à¤µ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। साबà¥à¤¨ की जगह शरीर पर मिटà¥à¤Ÿà¥€ लगाकर नहाने से हर तरह के रोगों में लाठहोता है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ पर नंगे पैर घूमने से गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡ के रोगों में आराम आता है, आंखों की रोशनी तेज होती है और शरीर को चà¥à¤®à¥à¤¬à¤•ीय ताकत मिलती है।
मिटà¥à¤Ÿà¥€ की पटà¥à¤Ÿà¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक चिकितà¥à¤¸à¤¾ में बहà¥à¤¤ ही महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है तथा बहà¥à¤¤ से रोगों में इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होता है। पेट के हर तरह के रोग में इसका बहà¥à¤¤ ही खास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² पेड़ू, पेट, छाती, माथे, आंख, सिर, रीॠकी हडà¥à¤¡à¥€, गला, पांव, गà¥à¤¦à¤¾ आदि जहाठपर à¤à¥€ जरूरत पड़े कर सकते हैं।मिटà¥à¤Ÿà¥€ की पटà¥à¤Ÿà¥€ बनाने की विधि - मिटà¥à¤Ÿà¥€ को बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ तरह से बारीक पीसकर और छानकर इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² से १२ घंटे पहले à¤à¤¿à¤—ों दें। इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² के समय जरूरत के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• à¤à¤• बारीक सूती कपड़ा बिछाकर आधा इंच मोटी परत की मिटà¥à¤Ÿà¥€ की पटà¥à¤Ÿà¥€ को फैला दें। शरीर के जिस à¤à¤¾à¤— पर मिटà¥à¤Ÿà¥€ की पटà¥à¤Ÿà¥€ लगानी हो इसे उलटकर लगा दें और ऊपर से किसी गरà¥à¤® कपड़े से ढक दें। इस पटà¥à¤Ÿà¥€ के लगाने का समय जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ २० से ३० मिनट तक होना चाहिठनहीं तो मिटà¥à¤Ÿà¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खींचा गया जहर शरीर में दोबारा चला जाता है। जो मिटà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤• बार इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर ली गई हो उसे दोबारा इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² नहीं करना चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ उपचार का मतलब ये है कि कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के बनाठहà¥à¤ नियमों का पालन करना और कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ - पृथà¥à¤µà¥€ (मिटà¥à¤Ÿà¥€), जल, सूरà¥à¤¯ और वायॠका à¤à¤¸à¥‡ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करना जिससे शरीर में जमा हà¥à¤† कूड़ा-करकट बाहर निकल जाà¤, शरीर शà¥à¤¦à¥à¤§ बना रहे और शरीर के अंदर की चेतना शकà¥à¤¤à¤¿ ताकतवर बनी रहे, शरीर के सà¤à¥€ रोग दूर हो और शरीर सही तरह से काम करता रहे। मिटà¥à¤Ÿà¥€ में बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मातà¥à¤°à¤¾ में जंतॠमौजूद होते हैं। इसलिठगीली मिटà¥à¤Ÿà¥€ को पेट या शरीर के दूसरे हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ पर रखने को कम ही कहा जाता है।
बालू à¤à¥€ मिटà¥à¤Ÿà¥€ को ही बोला जाता है जो किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठउसी तरह जरूरी है जिस तरह à¤à¥‹à¤œà¤¨ और पानी। लेकिन बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को केवल पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक चिकितà¥à¤¸à¤• ही अचà¥à¤›à¥€ तरह जानते हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक दशा में खाई जाने वाली खाने की चीजें जैसे साग-सबà¥à¤œà¥€, खीरा, ककड़ी आदि के साथ हमेशा बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ का कà¥à¤› à¤à¤¾à¤— जरूर होता है, जिसे हम जानकारी ना होने के कारण गंवा देते है। ये बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कण हमारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ पचाने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को ठीक रखने मे मदद करते हैं। कà¥à¤¯à¤¾ किसी ने सोचा है कि पहाड़ी à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ के पानी को सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठअचà¥à¤›à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बताया जाता है? इस पानी को पीने से à¤à¥‚ख जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लगती है और पाचन कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ठीक होती है? ये सब इसलिठहोता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस पानी में बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कà¥à¤› अंश मिले हà¥à¤ होते हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡ पानी के साथ पिया जाता है। ये à¤à¤°à¤¨à¥‡ जो पहाड़ों से बहकर आते हैं और अपने साथ बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ का ढेर लाते हैं, और ये पानी à¤à¥‹à¤œà¤¨ को पचाने वाले साबित होता है। बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ के अंदर छà¥à¤¤à¥ˆà¤² जहर को समापà¥à¤¤ करने की ताकत होती है। बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ पà¥à¤°à¤•ृति की ओर से मानो संकà¥à¤°à¤®à¤£ को दूर करने वाली दवा का काम करती है। पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ये साबित हो चà¥à¤•ा है कि बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठबहà¥à¤¤ ही लाà¤à¤•ारी है। जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पेट के रोग जैसे - कबà¥à¤œ, शौच खà¥à¤²à¤•र ना आना हो वो अगर खाना खाने के बाद ही à¤à¤• चà¥à¤Ÿà¤•ी समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ बारीक बालू मिटà¥à¤Ÿà¥€ दिन में 2-3 बार निगल लें तो दूसरे दिन ही पेट की आंतें ढीली पड़ जाà¤à¤—ी और मल आसानी से निकलने लगेगा तथा आखिर में कबà¥à¤œ à¤à¥€ दूर हो जाà¤à¤—ी।
दूब घास अमृत है
दूब वरà¥à¤· à¤à¤° पाई जाने वाली घास है जो जमीन पर पसरते हà¥à¤ या फैलते हà¥à¤ बढती है। हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में इस घास को बहà¥à¤¤ ही महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•ारों à¤à¤µà¤‚ करà¥à¤®à¤•ाणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में इसका उपयोग बहà¥à¤¤ किया जाता है। इसके नठपौधे बीजों तथा à¤à¥‚मीगत तनों से पैदा होते हैं। वरà¥à¤·à¤¾ काल में दूब घास अधिक वृदà¥à¤§à¤¿ करती है तथा वरà¥à¤· में दो बार सितमà¥à¤¬à¤°-अकà¥à¤Ÿà¥‚बर और फरवरी-मारà¥à¤š में इसमें फूल आते है। दूब समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पाई जाती है। यह घास औषधि के रूप में विशेष तौर पर पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की जाती है। दूब की जड़ों में हवा तथा à¤à¥‚मि से नमी खींचने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ अधिक होती है यही कारण है कि चाहे जितनी सरà¥à¤¦à¥€ पड़ती रहे या जेठकी तपती दà¥à¤ªà¤¹à¤°à¥€ हो, इन सबका दूब पर असर नहीं होता और यह अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ बनी रहती है। पशà¥à¤“ं के लिठही नहीं अपितॠमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¥€ पूरà¥à¤£ पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• आहार है दूब। महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª ने वनों में à¤à¤Ÿà¤•ते हà¥à¤ जिस घास की रोटियाठखाई थीं, वह à¤à¥€ दूब से ही निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ थी । अरà¥à¤µà¤¾à¤šà¥€à¤¨ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤•ों ने à¤à¥€ परीकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ के उपरांत यह सिदà¥à¤§ किया है कि दूब में पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨, कारà¥à¤¬à¥‹à¤¹à¤¾à¤‡à¤¡à¥à¤°à¥‡à¤Ÿ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में मिलते हैं। दूब के पौधे की जड़ें, तना, पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ इन सà¤à¥€ का चिकितà¥à¤¸à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ अपना विशिषà¥à¤Ÿ महतà¥à¤µ है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में दूब को महौषधि कहा गया है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दूब का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ कसैला-मीठा होता है। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पैतà¥à¤¤à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ कफज विकारों के शमन में दूब का निरापद पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता है। संथाल जाति के लोग दूब को पीसकर फटी हà¥à¤ˆ बिवाइयों पर इसका लेप करके लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। इस पर सà¥à¤¬à¤¹ के समय नंगे पैर चलने से नेतà¥à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बढती है और अनेक विकार शांत हो जाते है। दूब घास शीतल और पितà¥à¤¤ को शांत करने वाली है। दूब घास के रस को हरा रकà¥à¤¤ कहा जाता है, इसे पीने से à¤à¤¨à¥€à¤®à¤¿à¤¯à¤¾ ठीक हो जाता है। नकसीर में इसका रस नाक में डालने से लाठहोता है। इस घास के काà¥à¥‡ से कà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ करने से मà¥à¤à¤¹ के छाले मिट जाते है। दूब का रस पीने से पितà¥à¤¤ जनà¥à¤¯ वमन ठीक हो जाता है। इस घास से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ रस दसà¥à¤¤ में लाà¤à¤•ारी है। यह रकà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤µ, गरà¥à¤à¤ªà¤¾à¤¤ को रोकती है और गरà¥à¤à¤¾à¤¶à¤¯ और गरà¥à¤ को शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है। दूब को पीस कर दही में मिलाकर लेने से बवासीर में लाठहोता है। इसके रस को तेल में पका कर लगाने से दाद, खà¥à¤œà¤²à¥€ मिट जाती है।
May 2017
शमी का वृकà¥à¤· है शà¥à¤ व लाà¤à¤•ारी
शमी à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ वृकà¥à¤· है जिसे कलà¥à¤ª तरॠके नाम से à¤à¥€ जाना जाता है। इसके अनेक पौराणिक विवरण मिलते हैं जैसे कहते हैं अगà¥à¤¨à¤¿ देव इसके कोटर में छिपे थे à¤à¥ƒà¤—ॠमहरà¥à¤·à¤¿ के कà¥à¤°à¥‹à¤§ से बचने के लिठऔर पांडवों ने अजà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¤¾à¤¸ के समय इसमें अपने शसà¥à¤¤à¥à¤° छिपाये थे व à¤à¤• वरà¥à¤· पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ निकालने पर उनमें देवी माता का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ हो गया था और इसीलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जीत मिली तथा शà¥à¤°à¥€ राम को à¤à¥€ शमी के पेड़ ने जीत का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिया था और यही नहीं शमी के पतà¥à¤¤à¥‡ शà¥à¤°à¥€ गणेश को à¤à¥€ चढाये जाते हैं। परनà¥à¤¤à¥ इससे अधिक इस वृकà¥à¤· की औषधीय महतà¥à¤¤à¤µà¤¤à¤¾ है। मंà¤à¤²à¥‡ कद का यह बारहमासी पेड़ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•ूल जलवायॠमें à¤à¥€ पनप सकता है। इसके फूल बहà¥à¤¤ सूंदर होते हैं और बरसात में खिलते हैं। इसकी छाल से कोॠअसà¥à¤¥à¤®à¤¾ पेट के रोग व गहरे घाव की दवा बनती हैं। इसकी छाल या टहनी को महीन पीस कर बà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾ बना कर खराब दà¥à¤–ते गले व दांत में लगाने से आराम मिलता है और ऊपरी अलसर में à¤à¥€ लगाया जा सकता हैं। इसको निगलना नहीं होता। इसकी जड़ à¤à¤µà¤‚ पॉड कीटनाशक होते हैं। इसके बीज के सेवन से बà¥à¤²à¤¡ शà¥à¤—र लेवल कम होता है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में शमी से मानसिक बीमारी जैसे शिजोफà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ और साà¤à¤¸ की नली का विकार व शरीर के बढे हà¥à¤ ताप à¤à¤²à¥‡à¤°à¥à¤œà¥€ घाव दरà¥à¤¦ और अनà¥à¤¯ जटिल रोग जैसे हरà¥à¤ªà¥€à¤¸ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ की दवाà¤à¤‚ बनायीं जाती हैं। इसकी छाल को उबाल कर उनके पानी से अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• तनाव जà¥à¤µà¤° पितà¥à¤¤ व वतà¥à¤¤ के विकार का उपचार किया जाता है। इसकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उबालकर पेट के कीड़ो डायरिया डिसेंटà¥à¤°à¥€ पेशाब दोष और कोॠतक का इलाज होता है। इसके कà¥à¤› पà¥à¤·à¥à¤ª यदि शकà¥à¤•र में मिलाकर गरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ खाà¤à¤‚ तो उनका गरà¥à¤à¤ªà¤¾à¤¤ नहीं होता। छाल का पानी पतà¥à¤¤à¥€ का पानी या पà¥à¤·à¥à¤ª बहà¥à¤¤ थोड़ी मिकदार में लेना होता है। यह पेड़ ठंडक पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है और इसे लगाने से वातावरण शà¥à¤¦à¥à¤§ रहता है। शमी लगाने से à¤à¥‚मि की उरà¥à¤µà¤°à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह मिटà¥à¤Ÿà¥€ में नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ का सà¥à¤¤à¤° बà¥à¤¾à¤¤à¤¾ है। यह पेड़ à¤à¥‚मि को बंजर होने से बचाता है और इसलिठजगह जगह लगाया जाना चाहिà¤à¥¤ यदि किसी कारणवश जैसे जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ या मानविक हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª से शà¥à¤·à¥à¤• उपजाऊ à¤à¥‚मि अपनी उरà¥à¤µà¤°à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ खोती जा रही है तो उसको रोकने के लिठशमी लगाया जा सकता है। यह वृकà¥à¤· रेत के टीलों को यथावत रखने के लिठà¤à¤µà¤‚ वायॠके वेग को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ रखने के लिठà¤à¥€ लगाया जाता है।यह शà¥à¤ होने के साथ लाà¤à¤•ारी à¤à¥€ है।
à¤à¤µà¥‹à¤•ैडो और खीरे का जूस है बीमारियों का काल
à¤à¤µà¥‹à¤•ैडो जूस और खीरे के जूस को à¤à¤• साथ मिलाकर पीने से कई तरह के सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठहोते हैं। इसे बनाने के लिठआप à¤à¤• à¤à¤µà¥‹à¤•ैडो को लें और à¤à¤• खीरे को लें, इसे सही से छील लें और थोड़े पानी के साथ मिलाकर पीस लें। इस जूस को हर सà¥à¤¬à¤¹ पीने से बहà¥à¤¤ फायदा मिलता है। आइठजानते हैं कि इस जूस को पीने के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– फायदों के बारे में।
à¤à¤¸à¤¿à¤¡à¤¿à¤Ÿà¥€ à¤à¤—ाà¤, पाचन सही करे’ः इस जूस को पीने से à¤à¤¸à¤¿à¤¡à¤¿à¤Ÿà¥€ खतà¥à¤® हो जाती है। अगर आपको जलन और à¤à¤¸à¤¿à¤¡à¤¿à¤Ÿà¥€ बनने की दिकà¥à¤•त है तो यह जूस आपके लिठफायदेमंद साबित हो सकती है। इस पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक डà¥à¤°à¤¿à¤‚क में ओमेगा-3 फैटà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤¸à¤¿à¤¡ होता है जो शरीर की पाचन कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को दà¥à¤°à¥‚सà¥à¤¤ बना देता है।
दिल का सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤ƒ इस जूस को पेय को पीने से शरीर में कोलेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤² नहीं बà¥à¤¤à¤¾ है और ओमेगा-3 होने की वजह से रकà¥à¤¤ का संचार à¤à¥€ सही से होता रहता है। à¤à¤¸à¥‡ में दिल के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठके लिठयह सबसे अचछा पेय पदारà¥à¤¥ है।
हाइपरटेंशन दूर करनाः उचà¥à¤š रकà¥à¤¤à¤šà¤¾à¤ª और हाइपरटेंशन की समसà¥à¤¯à¤¾ से जो लोग परेशान रहते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसके सेवन से फायदा होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसमें पौटेशियम की à¤à¤°à¤ªà¥‚र मातà¥à¤°à¤¾ होती है और इसके सेवन से रकà¥à¤¤à¤šà¤¾à¤ª सही हो जाता है।
कबà¥à¤œ दूर à¤à¤—ाà¤à¤‚ः कबà¥à¤œ की समसà¥à¤¯à¤¾ को यह पेय कà¥à¤› ही समय में दूर कर देता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इà
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