A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

Support Us
   
Magazine Subcription

सर्दियों में इंडोर गार्डनिंग करते समय इन टिप्स को करें फॉलो

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

सर्दियों में इंडोर गार्डनिंग करते समय इन टिप्स को करें फॉलो

सर्दियों के मौसम में कई पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं ऐसे में आपको मुरझाये हुए पत्तों को काटकर हटा देना चाहिए। आपको बता दें कि सूखी पत्तियां पौधे की बनाई हुई एनर्जी को खींचती हैं जिससे कि पौधे में नई पत्तियां या फूल नहीं लग पाते हैं...

सर्दियों में इंडोर गार्डनिंग करते समय इन टिप्स को करें फॉलो

TidBit
पौधों को सर्दी के समय केयर करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इस मौसम में पौधे मुरझाने लगते हैं। घर के अंदर रखें हुए पौधों का भी विशेष रूप से ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि घर के अंदर रखे हुए पौधों से कई बार उनके पत्ते भी टूटकर गिरने लगते हैं साथ ही कई अनेक समस्याएं पौधों में देखने को मिलती हैं। जब सर्दियों में आपके घर के अंदर रखें हुए पौधों की मिट्टी सूख जाए तब आप उन्हें पानी दें। हर मौसम में पौधों को पानी आवश्यकता अलग-अलग तरह से होती है। जैसे गर्मी के मौसम में पौधों को अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। सर्दियों में हवा में बहुत मॉइस्चर हो जाता है इस वजह से इसमें काफी नमी हो जाती है और अगर आप ज्यादा पानी पौधों में डाल देंगे तो पौधों में ओवरवॉटरिंग की वजह से वह धीरे-धीरे सड़ने लगेंगे। इस वजह से आपको सर्दियों में पानी डालने से पहले यह जरूर चेक कर लेना चाहिए कि पौधे की लगभग 2 इंच की मट्टी सही से सूख गई हो।सर्दियों के मौसम में कई पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं ऐसे में आपको मुरझाये हुए पत्तों को काटकर हटा देना चाहिए। आपको बता दें कि सूखी पत्तियां पौधे की बनाई हुई एनर्जी को खींचती हैं जिससे कि पौधे में नई पत्तियां या फूल नहीं लग पाते हैं। इस वजह से आपको समय≤ पर सूखी पत्तियों को छटाई अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके पौधों में सही से सूरज की रोशनी भी पहुंचती है। साथ ही आपको घर के अंदर रखे हुए धने पौधों को कीड़ों से बचाने के लिए भी मुरझाए हुए पत्तियों को हटाना चाहिए। अगर आप सर्दियों के मौसम में पौधों को सर्द हवाओं से बचाने का सोच रहे हैं तो इसके लिए आपको सही पॉट्स का भी चयन करना चाहिए। इसके लिए आपको मजबूत मटेरियल से बने हुए फाइबर ग्लास गमले या मोटे कपड़े के बने हुए ग्रो बैग्स का यूज करना चाहिए। अगर आप इंडोर गार्डनिंग में इन पॉट्स और ग्रो बैग्स का यूज करेंगे तो आपके घर को भी यह एक बहुत सुंदर और यूनिक लुक देंगे। साथ ही आपके पौधों को मोटी परत की वजह से सर्द हवाओं और अधिक तापमान से राहत भी मिलेगी।
शिरीष के फायदे एवं नुकसान 
शिरीष एक पेड़ है। इसके फूल, बीज, जड़, छाल और पत्तियों का इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता है। यह पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है। वैसे तो इसकी कई प्रजातियां है, लेकिन मुख्य रूप से तीन का प्रयोग दवाओं में होता है। लाल, काला और सफेद। शिरीष का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में भी इसके गुणों का वर्णन है। जोड़ों के दर्द के लिए इसे वरदान समान माना जाता है। इसका वानस्पातिक नाम एलबिझा लेबक है। यह फबासिए परिवार से ताल्लुक रखता है। इसे शुकप्रिया और शिरिषा के नाम से भी जाना जाता है। शिरीष में इसोक्यरसेटिन, क्यरसेटिन, पॉलीफेनॉल, सैपोनिन पदार्थ होते हैं जो शरीर में हॉर्मोनल और नर्वस सिस्टम पर मजबूत प्रभाव डालते हैं। माइल्ड सिडेटिव के रूप में यह दिमाग को शांत कर चिंता और तनाव की भावना को दूर करने में मदद करता है। यह क्रॉनिक स्ट्रेस हॉर्मोन वाले लोगों के लिए लाभदायक माना जाता है। इसका काढ़ा इंसोम्निया और नींद न आने की परेशानी से राहत प्रदान करता है। यह दिमाग के नर्व्स को शांत कर शरीर को राहत प्रदान करता है, जिससे अच्छी और गहरी नींद आती है। यह जड़ीबूटी साइनस और रेसपिरेटरी ट्रैक्ट से सूजन को दूर कर अस्थमा और पुरानी श्वसन स्थितियों से पीड़ित लोगों की मदद करता है। यह खांसी और घरघराहट के लिए इमपल्स को कम करता है। यह श्वसन स्वास्थ्य को जल्दी रिकवर करता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानियों से ग्रसित लोगों को इसका पाउडर लेने की सलाह दी जाती है। यह पाचन प्रक्रिया को तेज कर नियमित मल त्याग में मदद करता है। इसकी छाल और पत्तियों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं जो शरीर के बाहरी त्वचा पर काम करते हैं। इसका इस्तेमाल चकत्ते, सोरायसिस, मुंहासे और घाव को ठीक करने के लिए किया जाता है। शिरीष में कई ऐसे कंपाउंड होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं। कोलेस्ट्रोल लेवल कम होने से कार्डियोवस्कुलर सिस्टम एथेरोस्क्लेरोसिस स्ट्रोक और हार्ट अटैक से सुरक्षा प्रदान करता है। शिरीष का इस्तेमाल गाउट, गठिया और अन्य सूजन स्थितियों से जुड़े दर्द को खत्म करने के लिए किया जाता है। इसके पेस्ट को प्रभावित जोड़ों और क्षेत्रों पर लगाने से सूजन से राहत मिल सकती है। इसमें सिडेटिव गुण होते हैं जो दर्द को दूर करते हैं। डेंटल प्रॉब्लम्स में इसके काढ़े के गार्गल करने की सलाह दी जाती है। दांतों को मजबूत बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। पुरुषों में यह लिबिडो और सेक्सुअल स्टैमिना को बढ़ाता है। ब्लड डिसऑर्डर और इंफ्लामेटरी स्किन कंडिशन में इसकी बीजों के पाउडर को उपयोगी माना जाता है। इसकी पत्तियों के काढ़े को आई ड्रॉप के तौर पर नाइट-ब्लाइंडनेस के लिए यूज किया जाता है। कफ, कोल्ड, कंजेस्शन और अस्थमा के इलाज में इसका प्रयोग किया जाता है। त्वचा रोगों पर इसके बीजों का पाउडर लगाया जाता है। शिरीष में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनने से पहले हानिकारक बायोप्रोडक्ट्स की सफाई कर शरीर से फ्री रैडिकल्स को निकालने में मदद करते हैं। इसमें एंटी-फंगल, एंटी-प्रोटोजोल और एंटी-माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज होती हैं, जिस वजह से कई रोगों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसमें एस्ट्रिजेंट और एंटी-हिस्टामिनिक गुण होते हैं। यदि आपको कोई बीमारी, विकार या मेडिकल स्थिति है तो इस हर्ब का इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से कंसल्ट करें। यदि आप एंटी एलर्जी दवा ले रहे हैं तो उसके साथ इसका सेवन न करें। यदि आपकी कोई सर्जरी होने वाली है तो दो हफ्ते पहले से इसका इस्तेमाल बंद कर दें क्योंकि यह नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। सर्जरी के दौरान दिमाग के लिए दवाएं दी जाती हैं। ऐसे में इस हर्ब का सेवन न ही करना बेहतर होगा। प्रेग्नेंट महिलाएं इसका सेवन एवॉइड करें क्योंकि इस हर्ब का इस्तेमाल करने से बल्ड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जो प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। यदि आप ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं तो भी इस हर्ब का सेवन न करें। क्योंकि इसका सीधा प्रभाव बच्चे पर पड़ेगा। वैज्ञानिक अध्ययनों की कमी के कारण शिरीष को लेकर बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी कम है। इसलिए डॉक्टर या चिकित्सक की देखरेख में ही इसका सेवन करें। एक बात का खास ख्याल रखें कि हर्बल सप्लिमेंट का इस्तेमाल हमेशा सुरक्षित नहीं होता है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें। ज्यादातर लोगों के लिए सीमित मात्रा में इसका सेवन सुरक्षित होता है। इसको अधिक मात्रा में लेने से जी मिचलाना और उल्टी की शिकायत हो सकती है। जो पुरुष लो स्पर्म काउंट और पूअर मोटिलिटी ऑफ स्पर्म से ग्रसित हैं उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें।
गोखरू के फायदे एवं नुकसान 
गोखरू का इस्तेमाल औषधी के तौर पर किया जाता है जिसे छोटागोखरु भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल खासतौर पर वात, पित्त और कफ के उपचार में किया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस है जिसे अंग्रेजी में गोक्षुर भी कहा जाता है। यह जीगोफिलसी परिवार से संबधित है। मूल रूप से यह औषधी भारत में उत्पन्न हुई मानी जाती है। व्यापक रूप से भारत और अफ्रीका के साथ-साथ, एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के कुछ हिस्सों में भी इसे पाया जाता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ होम साइंस के अनुसार ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस के विभिन्न भागों में कई रासायनिक घटक होते हैं जिनमें क्यूरेटिव और पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों में कैल्शियम कार्बोनेट, आयरन, प्रोटीन आदि होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। गोक्षुरा पौधे के बीज में फैट और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है और इसके फल में ओलिक एसिड, स्टीयरिक एसिड और ग्लूकोज की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह पौधा कई शारीरिक बीमारियों के साथ ही स्किन और बालों की सेहत के लिए भी काफी लाभकारी माना जा सकता है। गोखरू का पौधा छोटा होता है। जिसमें पीले रंग के फूल लगते हैं। इसके फल हरे रंग के होते हैं। इस पौधे के फूल, फल, बीज, टहनियां, पत्तियों के साथ-साथ इसकी जड़ का भी इस्तेमाल औषधी बनाने के लिए किया जा सकता है। गोक्षुर एक संस्कृत नाम है और इसका अर्थ है “गाय का खुर’। इसके फल में ऊपर की सतह पर छोटे-छोटे कांटें होते हैं, जिसकी वजह से इसे यह नाम दिया गया होगा। यह पौधा शुष्क जलवायु में उगाया जा सकता है। इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल भारतीय आयुर्वेद के साथ-साथ पारंपरिक चीनी चिकित्सा में भी किया जाता है। इसके फल में मूत्रवर्धक, यौन प्रदर्शन सुधारने और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा इस औषधी के जड़ों का इस्तेमाल अस्थमा, खांसी, एनीमिया और आंतरिक सूजन के उपचार में किया जा सकता है। साथ ही, इस पौधे की राख का उपयोग गठिया के उपचार में भी लाभकारी पाया जा सकता है। अपने औषधिय गुणों के कारण यह स्टेरॉइड का प्राकृतिक विकल्प हो सकता है। जिसके गुण मांसपेशियों की ताकत को बढ़ा सकते हैं और शरीर की संरचना में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। गोक्षुरा में सैपोनिन की मात्रा होती है जिससे इसमें एंटी-डिप्रेसेंट और एंग्जियोलाइटिक गुण होते हैं। जो चिंता और अवसाद को दूर करने में लाभकारी हो सकते हैं। गोक्षुरा में एंटीऑक्सिडेंट की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो इसके कार्डियोप्रोटेक्टिव कार्यों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए लेवल को कम करके उसे कंट्रोल करने में मदद कर सकता है और एथेरोस्क्लेरोसिस और अन्य हृदय स्थितियों की रोकथाम में भी मदद कर सकता है। गोखरू के सेवन से किडनी स्टोन को खत्म किया जा सकता है। इस पौधो का इस्तेमाल यूरीन रिटेंशन और बुखार के उपचार के लिए भी किया जा सकता है। एक्जिमा की समस्या चेहरे की खूबसूरती में सबसे बड़ी बाधा बन सकती है। इसके कारण स्किन पर खुजली की भी समस्या हो सकती है। एक्जिमा एक इंफ्लेमेटरी स्किन प्राब्लम होती है। गोखरू के फल में जो एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होता है, वह एक्जिमा के उपचार में मदद कर सकता है। हर आठ में दश महिलाएं यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (मूत्र पथ के संक्रमण) की समस्या से गुजरती हैं। इसके अलावा रिसर्च के मुताबिक हर महिला अपने पूरे जीवन काल में एक बार यूटीआई का उपचार कराती है। गोखरू में मौजूद तत्व यूटीआई की समस्या को ठीक कर सकते हैं। महिलाओं में पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम) की समस्या भी काफी आम मानी जाती है। जिसका सबसे बड़ा कारण खराब लाइफस्टाइल हो सकती है। जो भविष्य में बांझपन का सबसे बड़ा कारण भी बन सकता है। इसकी समस्या होने पर गोखरू का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही, यह मासिक धर्म के दौरान होने वाले पेट में ऐंठन से भी राहत दिला सकता है और मेनोपॉज के लक्षणों को भी कम कर सकता है। इसकी मदद से यौन इच्छा में आ रही कमी को भी दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, इसके सेवन से पुरुषों में यौन हार्मोन का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। यह पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले हार्मोन का लेवल बढ़ाने में काफी कारगर पाया जाता है। गोखरू के सेवन से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है जो डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद करता है। गोखरू को एक देशी इलाज के तौर पर पहचाना जाता है। हालांकि, इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए। कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में चिकित्सक इसके साथ अन्य जड़ी-बूटियों, जैसे अश्वगंधा का भी मिश्रण कर सकते है, जो इसके गुण को बढ़ाने के साथ ही इसके स्वाद को भी बेहतर बना सकते हैं। हालांकि, इसके ओवरडोज की मात्रा से बचना चाहिए। हमेशा उतनी ही खुराक का सेवन करें, जितना आपके डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो। अधिकांश अध्ययनों से पता चला है कि गोक्षुर का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित हो सकता है। इससे किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव के मामले बहुत ही दुर्लभ हो सकते हैं। हालांकि, इसके अधिक सेवन से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैंः पेट खराब होना, पुरुषों में प्रोस्टेट का आकार बढ़ जाना, पेट में जलन की समस्या होना, त्वचा पर लाल चकत्ते जैसे एलर्जी की समस्या होना। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट हो रहा हे या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं, तो तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा ये जरूरी नहीं है कि हर किसी में एक जैसे ही साइफ इफेक्ट देखने को मिलें। हर किसी के शरीर के हिसाब से इसके रिएक्शन भी विभिन्न हो सकते हैं। यह गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है।


 

Leave a comment