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पुष्कर झील पारिस्थितिकी

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पुष्कर झील पारिस्थितिकी

झील की पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रिया में बदलाव किया गया है और इसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में जैव विविधता, सुपोषण और विषाक्त प्रदूषण का नुकसान हुआ है...

पुष्कर झील पारिस्थितिकी

Thinking Point
डॉ. मोनिका रघुवंशी 
(राष्ट्रीय मुख्य सचिव, एन.वाई.पी.आई, जिला अध्यक्ष, आई.बी.सी.एस., पी.एच.डी., एम.बी.ए., 2 अंतर्राष्ट्रीय आई.एस.बी.एन. पुस्तकें, 40 शोध पत्र (प्रगतिशील), 200 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यक्रम (प्रगतिशील), 10 राष्ट्रीय पुरस्कार, प्रमाणितः आई.टी., प्रशिक्षण, उपभोक्ता संरक्षण, फ्रेंच, कंप्यूटर व ओरेकल)
पुष्कर राजस्थान का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। प्राचीन काल में इस झील का पानी 71 बीघे में फैला हुआ था। हाल ही में, पुष्कर झील कई कारणों से लुप्त हो रही है। यह झील प्रतिदिन औसतन 5000 तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है। पूरे देश से लोग यहां अपने पाप धोने और मृतकों की राख विसर्जित करने के लिए आते हैं। 
झील की पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रिया में बदलाव किया गया है और इसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में जैव विविधता, सुपोषण और विषाक्त प्रदूषण का नुकसान हुआ है।  झीलें बंद पारिस्थितिकी तंत्र हैं और इसलिए झील के अन्दर प्रदूषण जमा हो जाता है। झील का उच्च प्रदूषण गंभीर चिंता का कारण है।  झील के चारों ओर झील में प्राकृतिक जल निकासी को प्रतिबंधित कर दिया है। मुख्य रूप से सीवेज और अपशिष्ट जल के अनियंत्रित प्रवाह और जलग्रहण नालियों में ठोस अपशिष्ट के निपटान के कारण झील में पानी की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। नियमित रूप से फूल और हड्डी की राख चढ़ाने से पानी की गुणवत्ता और भी खराब हो गई है। पिछले दो दशकों से जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। 
जल स्तर को बनाए रखने के लिए और झील के बंदरगाह को चैड़ा करने के लिए परिधि के पास ट्यूबवेल स्थापित किए जाते हैं। वनस्पतियों और जीवों की विविधता और इस प्रकार उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। भौतिक-रासायनिक पैरामीटर जल निकायों के जीवों को सीधे प्रभावित कर रहे हैं। मानव जनित दबाव, पवित्र अनुष्ठान और पर्यटन का पवित्र झीलों की जल गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
गाद की सफाई की जाती है और बरसात के मौसम में इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के अनुसार गाद निकालने का कार्य किया जाना चाहिए लेकिन गाद निकालने की अनुचित प्रक्रिया के कारण स्थिति प्रतिकूल हो जाती है। परत-दर-परत हटाने के बजाय, भारी मशीनरी के उपयोग और क्षेत्र की खुदाई से पर्यावरण, जीवों व पारिस्थितिकी को विशेष नुकसान होता है।
पर्यटन केंद्र के रूप में पुष्कर की लोकप्रियता हर साल बढ़ रही है इसलिए यहां बेहतर पर्यटक सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है। शहर और इसकी धार्मिक पवित्रता में सुधार किया जाना चाहिए। स्थानीय स्तर पर भी समन्वित प्रयासों के साथ साथ पर्यावरण के प्रबंधन के लिए सरकारी स्तर पर भी पुष्कर पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। -फोटोः स्वाति माखीजा 

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