A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

Support Us
   
Magazine Subcription

TidBit

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

TidBit

TidBit

TidBit

तितली है प्रकृति की शान
तितली कीट वर्ग का सामान्य रूप से हर जगह पाया जानेवाला प्राणी है। दिन के समय जब यह एक फूल से दूसरे फूल पर उड़ती है और मधुपान करती है तब इसके रंग-बिरंगे पंख बहुत सुन्दर तथा आकर्षक दिखाई पड़ते हैं। मादा तितली अपने अण्डे पत्ती की निचली सतह पर देती है। अण्डे से कुछ दिनों बाद एक छोटा-सा कीट निकलता है जिसे कैटरपिलर लार्वा कहा जाता है। यह पौधे की पत्तियों को खाकर बड़ा होता है। तितली का दिमाग बहुत तेज होता है। देखने, सूंघने, स्वाद चखने व उड़ने के अलावा जगह को पहचानने की इनमें अद्भुत क्षमता होती है। वयस्क होने पर आमतौर पर ये उस पौधे या पेड़ के तने पर वापस आती हैं, जहाँ इन्होंने अपना प्रारंभिक समय बिताया होता है। तितली का जीवनकाल बहुत छोटा होता है। ये ठोस भोजन नहीं खातीं, हालाँकि कुछ तितलियाँ फूलों का रस पीती हैं। दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली तितली मोनार्च है। यह एक घंटे में १७ मील की दूरी तय कर लेती है। दुनिया की सबसे बड़ी तितली जायंट बर्डविंग है, जो सोलमन आईलैंड्स पर पाई जाती है। इस मादा तितली के पंखों का फैलाव १२ इंच से ज्यादा होता है। पर्यावरण के लगातार ह्रास और तेजी से बदलते पारिस्थितिकी तंत्र के कारण आज तितली की कई प्रजातियां खतरे में हैं। तितलियों का महत्व कई प्राकृतिक गतिविधियों में जरूरी होता है। इनमें पौधों का परागण सबसे पहले आता है। तितलियां पौधों के परागण में मधुमक्खियों की अपेक्षा अधिक उपयोगी होती हैं। मधुमक्खियां कुछ ही पौधों पर परागण करती हैं जबकि तितलियां कई होस्ट प्लांट जैसे अक्मन, रेंड, अंगूर, नींबू, नेक्टर प्लांट जैसे मौसमी फल, पुंट्टूस, एक्जोरा, गेदा जैसे पौधों पर आकर्षित होते हैं। तितलियों की आहार श्रृंखला में भी अहम भूमिका होती है। श्रृंखला में यह एक इकाई का योगदान करती हैं। इसको मेढ़क खाता है फिर मेढ़क को सांप खाता है इस तरह फूड चेन चलती रहती है। अगर आप अपने गार्डेन में सुंदर तितलियों का आशियाना बसाना चाहते हैं तो उनकी आम जरूरतों का ख्याल रखना होगा। तितलियां कीट हैं इसलिए अपने गार्डेन में भूल कर भी कीटनाशक का प्रयोग न करें। इससे तितलियां मर जाएंगी। पौधे के पत्तों पर अगर कीड़े लगे हों तो घबराएं नहीं और ना ही इसे साफ करने का प्रयास करें। ये तितलियों का शुरुआती स्वरूप कैटरपिलर है। हाइब्रिड पौधों की अपेक्षा वाइल्ड प्लांट या फ्लाव¨à¤°à¤— प्लांट लगाएं इसपर तितलियां सर्वाधिक आकर्षित होती हैं। मेंटिनेंस के नाम पर बेवजह पौधों की छटाई नहीं करें। इस पर आंख से न दिखने वाली तितलियों के प्यूपा होते हैं। सूरज की किरणें तितलियों के लिए आवश्यक हैं इसलिए गार्डेन खुले में बनाएं जहां सूर्य की किरणें आती हों। कृत्रिम लाइट का अनावश्यक प्रयोग करने से बचें। अपने गार्डेन में अक्मन, रेंड, अंगूर, नीबू जैसे होस्ट प्लांट लगाने से तितलियां आकर्षित होती हैं। नेक्टर प्लांट जैसे मौसमी फलों, पुट्टूस, एक्जोरा, गेंदा पर भी तितलियां अपना विकास करती हैं। गमले में गीली मिंट्टी डालकर अपने गार्डेन में मडपडलिंग एरिया का निर्माण करें इसपर तितलियां अपना विकास करती हैं। एक प्लेट में काटकर रसीले फल काट कर रख्रें। तितलियां इनसे भी आकर्षित होती हैं। तितलियां स्वच्छता की ओर आकर्षित होती हैं इसलिए गार्डेन को साफ रखें।
जुगनू विलुप्त क्यों होते जा रहे है?
खेतों में रासायनिक खाद मनुष्य के जीवन पर प्रभाव तो डाल रहा है, मगर इसका नुकसान जीव-जंतुओं पर भी काफी गहरा पड़ रहा है। रात के अंधेरे में टिमटिमाने वाले जुगनू अब विलुप्तीकरण की और हैं। खेतों में लगातार हो रहे रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग इसका कारण है। बढ़ता प्रदूषण और घटते खेत जुगनू के जीवन को खत्म कर रहा है। कुदरत का रेडियम कहे जाने वाले जुगनू को शायद आने वाली पीढ़ी नाम से ही जान सकेगी। जुगनू का नाम तो हम सभी ने सुना होगा और बचपन में काफी संख्या में यह हमारे पास टिमटिमाते थे। शायद अब आने वाले समय में हम जुगनूओं को न देख पाए, खेतों में अंधाधुंध हो रहे रासायनिक खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग से जुगनू का आस्तिव खतरे में है। धीरे-धीरे इनकी संख्या काफी कम हो रही है। शोधकर्ताओं ने जुगनूओं के लिए विशिष्ठ खतरे और भौगोलिक क्षेत्रों में इनकी प्रजाति की संवेदनशीलता को रेखांकित किया तो चैकाने वाला सच सामने आया है। वन विभाग के अनुसार खेतों में जो रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का प्रयोग मौजूदा समय में हो रहा उससे जुगनू के जीवन को बेहद खतरा है। मोबाईल टावरों से जो किरण निकलती हैं वह जुगनू के लिए काफी नुकसानदायक हैं किरणे जुगनुओं के रेडियम को खत्म कर देती हैं और फिर यह मौत के काल में समा जाते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक निरंतर बढ़ता शहरीकरण, खेतों का खत्म होना और पेड़ों का काटना जुगनूओं के लिए ही नहीं अन्य जंतुओं के लिए खतरनाक है। जुगनू को शोधकर्ताओं ने कुदरत का उड़ता रेडियम नाम दिया है। रात्रि के समय जुगनू जब उड़ते हैं तो इनके रेडियम तेजी से चमकते हैं। इनके शरीर में फॉस्फोरस होता है जिसकी वजह से यह चकते हैं। इसके अलावा ल्यूसिफेरेस नामक प्रोटीन से भी जुगनू टिमटिमाते हैं। फॉस्फोरस और ल्युसिफेरस की रासायनिक क्रिया से जुगनूओं का रंग हरा, लाल और पीला होता है। दलदलीय इलाकों में पाए जाते हैं जुगनूजुगनू ज्यादातर दलदलीय इलाकों में पाए जाते हैं। जुगनू 12 वर्ष तक जिंदा रहते हैं। इनकी दो नस्ले होती हैं लैपरिड और क्लिक बीटल। इनकी न्यूनतम उम्र एक दिन और अधिकतम 12 वर्ष होती है। बरसात की शुरूआत में जुगनू पेड़ों की छाल के अंदर अंडे देते हैं अगस्त और सितंबर माह में अंडो से नए जुगनू पैदा होते हैं। प्रदूषण से घट गई प्रजनन क्षमताप्रदूषण से जुगनुओं की प्रजनन क्षमता कम हुई है। धीरे-धीरे अब इनकी संख्या कम हो रही है तो प्रजनन भी घट गया है। खेतों में जब यह पहुंचते हैं तो रासायनिक कीटों से इनकी मौत रही है। मादा जुगनू में पंख न होने के कारण यह ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहती हैं।
बालों को सुंदर बनाएं गुड़हल के फूल
गुड़हल का फूल काफी लाभप्रद और पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें कई पौष्टिक तत्व जैसे विटामिन सी, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते है। इसके साथ साथ इसमें कैल्शियम, वसा फाइवर आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो आपके स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी होते है। और साथ ही में बालों की समस्या से भी असानी से निजात पा सकते है। गुड़हल के फूल देखने में जितने सुंदर होते है उतने ही स्वास्थ्य के लिए रामबाण भी होते है। ये कई रंगों में मिलते है। जैसे सफेद,लाल, गुलाबी, बैगनी आदि। बालों में लगाने के लिए गुड़हल के फूल या पत्तियों को सरसों के तेल में या नारियल तेल में उबा लें। ठंडा होने के बाद इस तेल को सिर पर मालिश करें। इस प्रकार आप लगातार 1 महीने तक करें ऐसा करने से आपके बाल सुंदर घने होने के साथ साथ बालों को ग्रोथ मिलने लगेगी और आपके बाल तेजी से बढ़ने लगेंगे। मेंहदी या नींबू के रस के साथ गुड़हल की पत्तियों को मिलाकर भी आप लगा सकते है। इस प्रकार से उपयोग करने पर आपके बालों के लिए यह प्राकृतिक कंडीशनर का काम करेगा। लगातार इसका उपयोग करने से बालों की रूसी तो खत्म होगी ही साथ में बालों की सफेदी भी दूर करने में काफी लाभदायक होगा गुड़हल की पत्तियों से बना कारगारी लेप। बालों को सुंदर और काले करने के लिए आप गुड़हल के फूल के साथ अंडे का भी उपयोग कर सकते है। इसके लिए पहले गुड़हल के फूल या पत्तियों को पीस लें फिर इसमें एक अंडा मिलाएं। इस मिश्रण को बालों की जड़ों तक लगाएं। बालों में लगाने के लिए उंगलियों का इस्तेमाल करें। इस मिश्रण का नियमित उपयोग करने से आपके बालों की खोई हुई चमक वापस आ जाएगी। बालों को काले घने और लंबा करने के लिए गुड़हल के फूल या उसकी पत्तियों को साथ आंवले को पीस ले और उसका लेप तैयार कर अपने बालों की जड़ों पर लगाएं। इससे आपके बाल गिरने बंद हो जाएगें साथ ही आपके बाल घने और चमकदार दिखने लगेगें। बालों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए तेल का सबसे बड़ा महत्व होता है। क्योंकि तेल ही बालों की मजबूती को बनाये रख सकते है। इसके लिए जैतून, नारियल या सरसों के तेल में आप ताजे गुड़हल के फूल या पत्तियों के रस को मिला कर लगाएं।

Leave a comment