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TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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तरबूज है गर्मियों का सबसे खास फल
तरबूज गर्मियों का सबसे खास फल है, जो न सिर्फ प्यास बुझाता है, बल्कि भूख को भी शांत करता है। तरबूज आकार में बड़ा होता है। यह अंदर से लाल और बाहर से हरा होता है। तरबूज में 90 प्रतिशत से ज्यादा पानी होता है। तरबूज मीठा, स्वादहीन और कड़वे तीनों रूपों में पाया जाता है। इसकी उत्पत्ति का स्थान दक्षिण अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल के आसपास बताया जाता है। कहा जाता है कि तरबूज की पहली फसल मिस्र में लगभग 5 हजार साल पहले उगाई गई थी। तरबूजों को अक्सर राजाओं की कब्रों में रखा जाता था, ताकि वो जिंदगी के बाद भी उन्हें पोषित कर सकें। यह फल कई जरूरी पोषक तत्वों से भरा है, इसलिए यह शरीर से जुड़ी कई परेशानियों को दूर करने का काम कर सकता है। तरबूज फाइबर, पोटैशियम, आयरन और विटामिन-ए, सी व बी से समृद्ध होता है, लेकिन इस फल को सबसे ज्यादा खास इसमें मौजूद लाइकोपीन नामक तत्व बनाता है। यह तत्व एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और इसी से फल को गहरा लाल रंग मिलता है। कई अध्ययनों ने लाइकोपीन के लाभकारी प्रभावों का समर्थन किया है। यह ऑक्सिडेंट स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के साथ-साथ रक्तचाप के स्तर को भी कम कर सकता है। विटामिन-सी से भरपूर होने के कारण तरबूज शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। इसके अलावा, तरबूज में फाइबर भी पाया जाता है, जो आंतों को स्वस्थ रखने का काम करता है। इस खास फल में विटामिन-बी6 भी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी का उत्पादन करने में मदद करता है। तरबूज में मौजूद विटामिन-ए प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है और संक्रमण से बचाता है। एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत रहना बहुत जरूरी है। इसलिए, आप अपने दैनिक आहार में तरबूज को स्थान दे सकते हैं।
हृदय स्वास्थ्य के लिए तरबूज के फायदे बहुत हैं। शोध के अनुसार रोजाना तरबूज खाने या इसका जूस पीने से खराब कोलेस्ट्रॉल के संचय को रोका जा सकता है। अध्ययन के अनुसार तरबूज के इन हृदय-स्वस्थ गुणों के पीछे तरबूज में पाया जाने वाला साइट्रलाइन नामक पदार्थ है। पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए तरबूज आपकी मदद कर सकता है। तरबूज में पानी की अधिकता होती है और पानी भोजन पचाने में सबसे अहम तत्व माना जाता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर भी पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के साथ-साथ कब्ज, डायरिया व गैस जैसी समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता है। वजन कम करना, तरबूज के सबसे अच्छे स्वास्थ्य लाभों में से एक है। तरबूज में कैलोरी की मात्रा कम होती है, जबकि फाइबर अधिक पाया जाता है। इसके अलावा, इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और वजन कम करने में मदद कर सकता है।तरबूज के एक बड़े टुकड़े में लगभग 86 कैलोरी, 1 ग्राम से कम वसा व 22 ग्राम कार्ब्स होता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है और यह दैनिक फाइबर की आवश्यकता का 5 प्रतिशत प्रदान करता है, जिससे फैट को जलाने और वजन घटाने में सहयोग मिलती है। तरबूज में पानी की अधिकता होती है, इसलिए यह शरीर को हाइड्रेट रखने का काम करता है। तरबूज में लाइकोपीन नामक तत्व पाया जाता है, जो कैंसर से बचाव कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, लाइकोपीन में कीमो प्रिवेंटिव गुण मौजूद होते हैं, जो खासकर प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। एक अन्य अध्ययन के अनुसार लाइकोपीन अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम या रोक सकता है। हीट स्ट्रोक को लू लगना भी कहते हैं। तरबूज में पानी की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह शरीर को निर्जलीकरण से बचाने का काम करता है। शरीर में तरल की मात्रा बनी रहने से हीट स्ट्रोक ज्याद प्रभाव नहीं डालता है। एनीमिया के लिए भी तरबूज खाने के फायदे देखे जा सकते हैं। एनीमिया होने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को कमी हो जाती है। तरबूज आयरन जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है, इसलिए यह लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा देने का काम कर सकता है। इसके अलावा, तरबूज में विटामिन-बी12 भी होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के विकास में मदद करता है।
रेफ्रिजरेटर में एक पूरा तरबूज दो सप्ताह तक स्टोर किया जा सकता है। फल को सावधानीपूर्वक रखें। इस बात का ध्यान रखें कि आपके रेफ्रिजरेटर का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे न हो। तरबूज को 50-60 फारेनहाइट रूम तापमान में रखा जा सकता है। अगर आप एक बार में तरबूज को पूरा नहीं खाने चाहते हैं, तो बाकी का कटा हुआ तरबूज किसी कंटेनर में रखकर तीन-चार दिन के लिए फ्रीज में स्टोर कर सकते हैं। कटे हुए तरबूज को जल्दी खाने की कोशिश करें। इसमें कोई दो राय नहीं कि तरबूज एक गुणकारी फल है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन कुछ शारीरिक समस्या भी खड़ी कर सकता है। जैसा कि हमने देखा है, तरबूज के अधिकांश लाभों को लाइकोपीन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, लेकिन यह यौगिक कई साइड इफेक्ट का कारण भी बन सकता है। अगर फल अधिक मात्रा में खाया गया, तो लाइकोपीन के ओवरडोज के चलते मतली, उल्टी, अपच और दस्त लग सकते हैं। तरबूज के अधिक सेवन से हाइपरकलेमिया हो सकता है, जिसमें पोटैशियम का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। इससे हृदय संबंधी समस्याएं, जैसे अनियमित दिल की धड़कन और कमजोर नाड़ी हो सकती है। कुछ व्यक्तियों को तरबूज से एलर्जी हो सकती है। इसमें हल्के से लेकर गंभीर चकत्ते और चेहरे पर सूजन शामिल हो सकते हैं।
 
सूरज का खूबसूरत, गुणवान प्रेमी सूरजमुखी
पीले सुनहरे फूल सदा सूर्य की दिशा में मुख घुमाए एक पीली चादर सी फैलाए अपने नाम सूरजमुखी (सूर्यमुखी) को सार्थक बनाते हैं। बड़ी ही सुगमता से उगने वाला यह सुनहरा पुष्प दो से चार इंच व्यास से लेकर हथेली के आकार में दस इंच व्यास में उपलब्ध होता है। सूर्यमुखी के फूल भरपूर संख्या में लगातार खिलते रहते हैं। पतली टहनी व पत्ते दोनों ही एकदम खुरदरे होते हैं, इतने कि फूल तोड़ते समय हाथ भी छिल जाते हैं। बड़ी किस्म के सूर्यमुखी के पौधे झाड़ीनुमा न होकर एक ही टहनी वाले होते हैं, जिनके ऊपरी भाग में एक ही बड़ा-सा फूल अत्यंत शान से खिला सीधा खड़ा रहता है। परन्तु उसके भी पत्तियां व टहनी एकदम खुरदरे होते हैं। बड़े फूल में फूलों की पंखुड़ी केवल इकहरी या दोहरी पंक्तियों में चारों ओर होती है, जबकि बीच का चन्द्रभाग एकदम काला व बीज से भरपूर होता है और पकने पर यही बीज बटोर कर तेल निकाला जाता है। सूर्यमुखी के बीज फरवरी के अंत में बो दिए जाते हैं। आजकल संकरण विधि द्वारा इसमें दुहरी गुंथी पंखुड़ी व थोड़ी लालिमा व सफेदी लिए फूल वाली किस्म भी आती है। अब ‘हैलीएन्थस एट्रोसबिएन्स’, ‘है. डीबेलिस’, ‘है. डीकैपटलिस’, ‘है. एनस फ्लोरप्लैनो’ आदि अनेक किस्में आ गई हैं। इनमें फूल छोटे गुंथी पंखुड़ी वाले से लेकर खूब गुंथी पंखुड़ी वाले बड़े-बड़े मिलते हैं। सूर्यमुखी के फूल की पंखुड़ियां रंग बनाने के काम भी आती हैं। इसकी एक किस्म ‘येरूशलम आर्टीचोक’ नाम से जानी जाती है, जो भोजन के रूप में बहुत लोकप्रिय है। इसके कंद को उबाल कर सूप, कच्च व सलाद के रूप में खाया जाता है। सूर्यमुखी के फूल लम्बी अवधि तक खिलते रहते हैं और उद्यान की शोभा बनते हैं। फूलदान में भी इसके फूल अच्छी रौनक देते हैं। फूल यद्यपि गंधरहित हैं परन्तु इनका रंग इतना चटक होता है कि फूलदान में लगी दो टहनियां भी कम आकर्षक नहीं लगतीं। फूल बहुत दृढ़ प्रकृति वाला होता है। देखभाल की अधिक आवश्यकता नहीं होती, गर्मी की ऋतु से सितम्बर-अक्तूबर तक इसके फूल लगातार खिलते रहते हैं।

कोचिया की हरियाली गर्मी में देगी सुकून
गर्मी में तेज धूप जहां आंखों को परेशान करती हैं। वहीं हरियाली आंखों के साथ-साथ दिल-ओ-दिमाग को भी सुकून पहुंचाती है। जाड़े मेन तो बगीचा रंग बिरंगे फूलों सी गुलजार रहता है लेकिन गर्मी में बगीचे को हरा-भरा बनाए रखना मुश्किल होता है। ऐसे में कोचिया के हरे झाड़ीदार पौधे गार्डेन की रौनक बढ़ाने के साथ-साथ आंखों को भी शीतलता प्रदान करते हैं। इन पौधों को किसी भी नर्सरी से खरीद कर लगाया जा सकता है। पौधे क्यारी के अलावा गमलों में भी लगाए जा सकते हैं। दरअसल कोचिया जिसका वानस्पतिक नाम बेसिया स्कोपारिया है में फूल नहीं आते हैं। इसकी महीन निडिलनुमा पत्तियां पौधे को खुबसूरत आकार देती हैं। हालांकि कई लोगों को कोचिया के पौधे के खूबसूरत आकार को देखकर ऐसा लगता है कि मानों उसे कटिंग कर विशेष आकार दिया गया हो। परंतु ऐसा नहीं है। दरअसल कोचिया की विशेषता ही उसका आकार है। कोचिया के पौधे आप किसी भी नर्सरी से ले सकते हैं। इन्हें मझोले आकार के गमले में मिट्टी, गोबर की खाद, नीम खली का मिश्रण भर कर लगा दें। आवश्यकतानुसार पानी दें। पौधे जून तक गार्डेन में हरियाली बिखेरते रहेंगे।

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