महिलाओं के लिठवरदान है सिंघाड़ा
यह बात तो हम सà¤à¥€ जानती हैं कि बदलते मौसम के कारण होने वाली बीमारियों से बचने के लिठमौसमी फल खाना बहà¥à¤¤ फायदेमंद होता है। उनà¥à¤¹à¥€ में से à¤à¤• सिंघाड़ा है। सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¥‚आत होने पर सिंघाड़ा बाजारों में मिलने लगता है। सिंघाड़ा ना केवल खाने में बेहद टेसà¥à¤Ÿà¥€ होता है बलà¥à¤•à¤¿ हेलà¥à¤¥ के लिठबहà¥à¤¤ फायदेमंद होता है, खासतौर पर यह महिलाओं की हेलà¥à¤¥ के लिठबहà¥à¤¤ फायदेमंद होता है। महिलाà¤à¤‚ पीरियडà¥à¤¸, पà¥à¤°à¥‡à¤—नेंसी, यूरिन जैसी कई पà¥à¤°à¥‰à¤¬à¥à¤²à¤® से परेशान रहती है à¤à¤¸à¥‡ में सिंघाड़े का सेवन करने से आराम मिलता है। इसमें à¤à¤°à¤ªà¥‚र मातà¥à¤°à¤¾ में विटामिन à¤, सिटà¥à¤°à¤¿à¤• à¤à¤¸à¤¿à¤¡, फासà¥à¤«à¥‹à¤°à¤¸, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨, निकोटीनिक à¤à¤¸à¤¿à¤¡, विटामिन सी, मैगà¥à¤¨à¥€à¤œ, कारà¥à¤¬à¥‹à¤¹à¤¾à¤‡à¤¡à¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¥à¤¸, à¤à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€, फाइबर, कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, जिंक, आयरन, पोटैशियम, सोडियम, आयोडीन, मैगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¤¿à¤¯à¤® जैसे पोषक ततà¥à¤µ मौजूद होते हैं जो हमारी बॉडी के लिठबेहद फायदेमंद माने जाते है।
जो महिलाà¤à¤‚ गरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ हैं उनके लिठसिंघाड़ा खाना बहà¥à¤¤ ही फायदेमंद होता है। अगर सिंघाड़ा खाया जाठतो इससे लà¥à¤¯à¥‚कोरिया नामक बीमारी à¤à¥€ ठीक हो जाती है। इसके अलावा जिन महिलाओं का गरà¥à¤, गरà¥à¤à¤•à¤¾à¤² पूरा होने से पहले ही गिर जाता है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ सिंघाड़े का सेवन करना चाहिà¤à¥¤ सिंघाड़े से गरà¥à¤à¤ªà¤¾à¤¤ नहीं होता है। इसके उपयोग से à¤à¥à¤°à¥‚ण को पोषण मिलता है और मां की सेहत à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ रहती है। सिंघाड़े में पॉलीफेनोलिक और फà¥à¤²à¥‡à¤µà¥‹à¤¨à¥‰à¤‡à¤¡ à¤à¤‚टीऑकà¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट पाठजाते हैं। इसके अलावा यह à¤à¤‚टीबैकà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤² और à¤à¤‚टीकैंसर के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र होता है। जो महिलाà¤à¤‚ सिंघाड़े खाती हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नींद ना आने की समसà¥à¤¯à¤¾ से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ मिलता है और वह रोजाना à¤à¤°à¤ªà¥‚र नींद लेती हैं। सिंघाड़े का सेवन गले की कई पà¥à¤°à¥‰à¤¬à¥à¤²à¤®à¥à¤¸ में राहत पहà¥à¤‚चाता है। इसमें à¤à¤‚टीऑकà¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट गà¥à¤£ पाठजाते हैं जो गले का बैठना, खराश, टॉनà¥à¤¸à¤¿à¤² आदि से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ दिलाने में हेलà¥à¤ª करता है। सिंघाड़ा हेलà¥à¤¥ के लिठही नहीं महिलाओं के की सà¥à¤‚दरता को बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में à¤à¥€ मददगार होता है। जी हां यह खास फल बà¥à¤²à¤¡ पà¥à¤¯à¥‚रीफायर के रूप में काम करता है। इसे खाने से बà¥à¤²à¤¡ साफ हो जाता है और सà¥à¤•à¤¿à¤¨ में गà¥à¤²à¥‹ आता है। इसके अलावा बालों के लिठसिंघाड़े खाना बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ होता है, इसमें मौजूद ततà¥à¤µ बालों को खराब होने से रोकते हैं। सिंघाड़े खाने से बालों में मजबूती आती है और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पोषक ततà¥à¤µ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते है। à¤à¤• उमà¥à¤° के बाद जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° महिलाओं की बॉडी में कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® की कमी पाई जाती है। लेकिन सिंघाड़ा खाने से इस कमी को दूर किया जा सकता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसमें कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® à¤à¤°à¤ªà¥‚र मातà¥à¤°à¤¾ में पाया जाता है। इसे खाने से हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व दांत मजबूत हो जाते हैं। कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® के कारण ये हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ साथ आंखों के लिठà¤à¥€ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ होता है। असà¥à¤¥à¤®à¤¾ के मरीजों के लिठà¤à¥€ सिंघाड़े का सेवन बहà¥à¤¤ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ होता है। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ इसे खाने से असà¥à¤¥à¤®à¤¾ की समसà¥à¤¯à¤¾ से आराम मिलता है। इसके अलावा अगर आपके बॉडी में किसी जगह पर दरà¥à¤¦ या सूजन की समसà¥à¤¯à¤¾ है तो सिंघाड़े का लेप बनाकर लगाà¤à¤‚। à¤à¤¸à¤¾ करने से सूजन की समसà¥à¤¯à¤¾ दूर हो जाà¤à¤—ी। सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के मौसम में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° महिलाà¤à¤‚ कम पानी पीती हैं। à¤à¤¸à¥‡ में बॉडी में डिहाइडà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ की समसà¥à¤¯à¤¾ हो जाती है। लेकिन अगर आप रेगà¥à¤²à¤° सिंघाड़ा खाती हैं तो आप डिहाइडà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ की समसà¥à¤¯à¤¾ से बची रह सकती हैं। इसके अलावा इसे खाने से दसà¥à¤¤ की समसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ दूर होती है।
पाचन पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ के लिहाज से सिंघाड़ा à¤à¤¾à¤°à¥€ होता है, इसलिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खाना नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨à¤¦à¤¾à¤¯à¤• à¤à¥€ हो सकता है। रोजाना 5-10 गà¥à¤°à¤¾à¤® ताजे सिंघाड़े खाने चाहिà¤à¥¤ पेट में à¤à¤¾à¤°à¥€à¤ªà¤¨ व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तà¥à¤°à¤‚त पानी न पिà¤à¤‚। इससे पेट में दरà¥à¤¦ हो सकता है। कबà¥à¤œ हो तो सिंघाड़े खाने से बचना चाहिà¤à¥¤
गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की खान है बथà¥à¤µà¤¾
साग और रायता बना कर बथà¥à¤µà¤¾ अनादि काल से खाया जाता रहा है लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ आपको पता है कि विशà¥à¤µ की सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ महल बनाने की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• शिलà¥à¤ª शासà¥à¤¤à¥à¤° में लिखा है कि ’हमारे बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— अपने घरों को हरा रंग करने के लिठपà¥à¤²à¤¸à¥à¤¤à¤° में बथà¥à¤µà¤¾ मिलाते थे’ और हमारी बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ ’सिर से ढेरे व फांस (डैंडà¥à¤°à¤«) साफ करने के लिठबथà¥à¤µà¥ˆ के पानी से बाल धोया करती थीं।’ बथà¥à¤µà¤¾ विटामिन ठ1ठठ2ठठ3ठठ5ठठ6ठठ9 और विटामिन बॠसे à¤à¤°à¤ªà¥‚र है तथा बथà¥à¤µà¥‡ में कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, लोहा, मैगà¥à¤¨à¥€à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, मैगनीज, फासà¥à¤«à¥‹à¤°à¤¸, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरलà¥à¤¸ हैं। 100 गà¥à¤°à¤¾à¤® कचà¥à¤šà¥‡ बथà¥à¤µà¥‡ यानि पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में 7.3 गà¥à¤°à¤¾à¤® कारà¥à¤¬à¥‹à¤¹à¤¾à¤‡à¤¡à¥à¤°à¥‡à¤Ÿ, 4.2 गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ व 4 गà¥à¤°à¤¾à¤® पोषक रेशे होते हैं। कà¥à¤² मिलाकर 43 जà¥à¤žà¤¬à¤‚स होती हंै। जब बथà¥à¤µà¤¾ शीत (मटà¥à¤ ा, लसà¥à¤¸à¥€) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी à¤à¥€ मांसाहार से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ वाला व किसी à¤à¥€ अनà¥à¤¯ खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सà¥à¤ªà¤¾à¤šà¥à¤¯ व पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• आहार बन जाता है’ और साथ में बाजरे या मकà¥à¤•à¥‡ की रोटी, मकà¥à¤–न व गà¥à¥œ हो तो इस खाने के लिठदेवता à¤à¥€ तरसते हैं। जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉकà¥à¤Ÿà¤° सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं। गरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे की गोली बताई जाती है और बथà¥à¤µà¥‡ में वो सबकà¥à¤› है ही, कहने का मतलब है कि ’बथà¥à¤µà¤¾ पहलवानो से लेकर गरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ महिलाओं तक, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से लेकर बूढों तक, सबके लिठअमृत समान है।’ यह साग पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ खाने से गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ में पथरी नहीं होती। बथà¥à¤† आमाशय को बलवान बनाता है, गरà¥à¤®à¥€ से बà¥à¥‡ हà¥à¤ यकृत को ठीक करता है। बथà¥à¤ के साग का सही मातà¥à¤°à¤¾ में सेवन किया जाठतो निरोग रहने के लिठसबसे उतà¥à¤¤à¤® औषधि है। बथà¥à¤ का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाà¤à¤ तो अचà¥à¤›à¤¾ है, यदि सà¥à¤µà¤¾à¤¦ के लिठमिलाना पड़े तो काला नमक मिलाà¤à¤ और देशी गाय के घी से छौंक लगाà¤à¤à¥¤ बथà¥à¤ का उबाला हà¥à¤† पानी अचà¥à¤›à¤¾ लगता है तथा दही में बनाया हà¥à¤† रायता सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होता है। किसी à¤à¥€ तरह बथà¥à¤† नितà¥à¤¯ सेवन करें। बथà¥à¤µà¥ˆ में जिंक होता है जो कि शà¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤£à¥à¤µà¤°à¥à¤§à¤• है मतलब किसी को पà¥à¤°à¥à¤·à¤¤à¥à¤µ की कमजोरी हो तो उसको à¤à¥€ दूर करता है बथà¥à¤µà¤¾à¥¤ बथà¥à¤µà¤¾ कबà¥à¤œ दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोइ à¤à¥€ बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं, ताकत और सà¥à¤«à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ बनी रहेगी। जब तक इस मौसम में बथà¥à¤ का साग मिलता रहे, नितà¥à¤¯ इसकी सबà¥à¤œà¥€ खाà¤à¤à¥¤ बथà¥à¤ का रस, उबाला हà¥à¤† पानी पीà¤à¤ और तो और यह खराब लीवर को à¤à¥€ ठीक कर देता है।
Nasturtiums are not just a pretty face
Nasturtium plants are best known for their intensely bright yellow, orange, and red flowers, but their lush, round leaves are also edible and incredibly delicious. The plant first arrived in Spain in 1569 thanks to Spanish botanist Nicolás Monardes, who wrote extensively about all of the plans and animals he discovered during his trip to South America. The name Tropaeolum majus was given to the plant by Swedish botanist Carl Linnaeus. Linnaeus named them as such because he vibrant petals reminded him of an ancient Roman customer, where they would set up trophy poles (tropaeum, which stems from he Greek word tropaion) on which the armor and weapons of those the Roman army defeated were hung. To Linnaeus, the leaves looked like shields, and the red flowers looked like blood-stained helmets. When it came to eating these plants, nasturtiums weren’t consumed until it was taken to the East, where they were eaten and used for tea. Nasturtium carries a mildly peppery flavor with an aroma reminiscent of mustard. For some time, it was also known as ‘Indian cresses’ due to the similar flavor profile between nasturtium and watercress, and because they were introduced from the Americas (then known as ‘The Indies’). Now, they are a great way to kick up your salads, adding a brilliant punch of color. As well, more chefs around the world are using it to create absolutely stunning plates of art. Many wedding cakes now are also decorated with nasturtiums, giving them some beautiful life. Both the leaves and petals of the nasturtium plant are packed with nutrition, containing high levels of vitamin C. It has the ability to improve the immune system, tackling sore throats, coughs, and colds, as well as bacterial and fungal infections. These plants also contain high amounts of manganese, iron, flavonoids, and beta carotene. Studies have shown that the leaves also have antibiotic properties, and suggest that they are the most effective prior to flowering. Nasturtium is used in traditional medicine, treating a wide range of illnesses and conditions, such as hair loss.
Leave a comment