A First-Of-Its-Kind Magazine On Environment Which Is For Nature, Of Nature, By Us (RNI No.: UPBIL/2016/66220)

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Green Update

TreeTake is a monthly bilingual colour magazine on environment that is fully committed to serving Mother Nature with well researched, interactive and engaging articles and lots of interesting info.

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वृक्षावरण को ९ प्रतिशत से बढ़ाकर १५ प्रतिशत करेंः वन मंत्री दिनांक १० अगस्त वन एवं वन्य जीव मुख्यालय उत्तर प्रदेश में वन विभाग एवं उत्तर प्रदेश वन निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में माननीय मंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं उद्यान, उत्तर प्रदेश, दारा सिंह चैहान ने कहा कि प्रदेश में वनावरण व वृक्षावरण को ९ प्रतिशत से बढ़ाकर १५ प्रतिशत तक करना हमारे समक्ष एक चुनौती है। माननीय मंत्री जी ने कहा कि विभाग के मुख्य कार्य वनों व वृक्षों की सुरक्षा तथा पौध रोपण का उत्तरदायित्व प्रत्येक वन अधिकारीध्कर्मचारी का है। माननीय मंत्री जी ने अवैध कटान व अतिक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण रखने, अतिक्रमित वन भूमि को खाली करवाने एवं जनपद स्तर पर विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों के निस्तारण हेतु जिलाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर कार्यवाही करने का निर्देश दिया। मंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं उद्यान, उत्तर प्रदेश, दारा सिंह चैहान ने वृक्षारोपण वर्ष २०१७ -१८, उप्र सहभागी वन प्रबन्ध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना, गोरखपुर प्राणि उद्यान, कुकरैल वन क्षेत्र में इको पर्यटन, रेस्क्यू सेण्टर एवं मनोरंजन केन्द्र विकसित करने, अवैध पातन, अतिक्रमण, उत्तर प्रदेश क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबन्धन एवं नियोजन प्राधिकरण (उप्र कैम्पा), मानव वन्य जीव संघर्ष निवारण, अनुसंधान व कार्य योजना, बीज व वर्मी कम्पोस्ट प्रमाणीकरण एवं वन निगम के कार्य कलापों की विस्तृत समीक्षा की। वर्ष २०१७ -१८ में विभाग को आवंटित ४.३० करोड़ पौध रोपण लक्ष्य के सापेक्ष ४.४० करोड़ पौध रोपित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए माननीय मंत्री जी ने विद्यालय परिसर में पौध रोपण हेतु शिक्षा विभाग को पौध उपलब्ध करवाने में गति लाने, रोपित पौधों का वरिष्ठ अधिकारियों से स्थलीय सत्यापन करवाने, पौध रोपण में सराहनीय कार्य करने वाले ५ वन प्रभागों को चिन्हित कर प्रोत्साहित करने एवं खराब कार्य करने वाले ५ वन प्रभागों को चिन्हित कर कार्यों में सुधार लाने का निर्देश दिया। उन्होंने पीलीभीत वन क्षेत्र से बाहर आबादी क्षेत्र में आने वाले बाघों के कारण उत्पन्न मानव वन्य जीव संघर्ष निवारण हेतु प्रभावी रणनीति तैयार करने के लिए वरिष्ठ व उक्त क्षेत्र में पूर्व में नियुक्त अधिकारियों की समिति बनाकर स्थाई समाधान प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मा मंत्री ने दूरगामी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कुकरैल वन एवं गोरखपुर प्राणि उद्यान का विकास करने एवं न्यूनतम कंक्रीट संरचना निर्मित करने का निर्देश दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश वन निगम के लिए वैकल्पिक आय के स्रोत सृजित करने हेतु उप्र वन निगम के दायित्व विस्तार एवं प्रदेष में इको पर्यटन की दृश्टि से महत्वपूर्ण स्थलों को चिन्हित कर उनका विकास करने के निर्देष दिए गए।उन्होंने वन क्षेत्र व उनके निकटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले व वनों पर निर्भर आदिवासियों एवं निर्धन व्यक्तियों को आजीविका के संसाधन उपलब्ध करवाने एवं उनका जीवन स्तर उन्नत करने हेतु विशिष्ट कल्याण योजनाएं एवं कार्यक्रम चलाने हेतु निर्देशित किया। मंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं उद्यान, उत्तर प्रदेश, दारा सिंह चैहान एवं प्रमुख सचिव, वन एवं वन्य जीव विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, रेणुका कुमार की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित समीक्षा बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, डा रूपक डे, प्रबन्ध निदेशक, उप्र वन निगम, एसके शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव, एसके उपाध्याय, प्रमुख वन संरक्षक, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण , श्री पवन कुमार, सचिव, वन एवं वन्य जीव विभाग, उप्र शासन, संजय सिंह सहित लखनऊ में कार्यरत वन एवं वन्य जीव विभाग एवं उप्र वन निगम के वरिष्ठ वनाधिकारियों ने प्रतिभाग किया। समुचित ज्ञान का अभाव वन्यजीव अपराध नियंत्रण में बाधक दिनांक २४ अगस्त को वन विभाग मुख्यालय, अरण्य भवन के पारिजात कक्ष में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (उत्तरी क्षेत्र) नई दिल्ली एवं वन विभाग द्वारा पुलिस एवं वन अधिकारियों हेतु आयोजित द्वि दिवसीय प्रशिक्षण-क्षमता निर्माण कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उप्र, डाॅ रूपक डे द्वारा किया गया। डाॅ रूपक डे ने प्रशिक्षार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की सीमा, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़ी होने के कारण प्रदेश, वन्यजीवों के अंगो की तस्करी की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील है। डाॅ डे ने कहा कि पुलिस अधिकारी अपराध नियंत्रण में प्रशिक्षित होते हैं किन्तु वन्यजीव (संरक्षण) अधिनिमयम, १९७२ की पर्याप्त जानकारी न होने तथा वन कर्मियों को अपराध नियंत्रण व न्यायालय में वाद दायर करने के सम्बन्ध में समुचित ज्ञान न होने के कारण वन्यजीव अपराध नियंत्रण में अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है। डाॅ रूपक डे ने विश्वास व्यक्त किया कि यह प्रशिक्षण इन कमियों को दूर कर पुलिस व वन अधिकारियों की क्षमता में वृद्धि कर प्रदेश में वन्यजीव अपराध नियन्त्रण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उप्र ने वन्य प्राणियों के जीन्स, तितलियों के अण्डे, कछुए, कैरकल आदि की तस्करी का उल्लेख करते हुए संरक्षित क्षेत्रों के बाहर अन्य क्षेत्रों में कार्यरत वन अधिकारियों को इस प्रशिक्षण में शामिल करने, प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अधिकारियों की सेवाएँ प्रशिक्षक के रूप में प्राप्त करने तथा प्रदेश के अलग-अलग भागों में नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने का निर्देश दिया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव एसके उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश में वन्य प्राणियों व उनके वास स्थल के विशिष्ट उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए एक राष्ट्रीय उद्यान एवं २६ वन्य जीव विहारों का प्रबन्धन किया जा रहा है। वन कर्मी, वन्य प्राणि प्रबन्धन हेतु तकनीकी रूप से दक्ष हैं किन्तु वन्य प्राणियों के प्रति हो रहे अपराधों की विवेचना, साक्ष्य एकत्र करने, प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने एवं न्यायालयों में आरोप पत्र दायर करने हेतु उन्हें समुचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उपाध्याय ने कहा कि संगठित रूप से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते वन्य जीव अपराधों को देखते हुए पुलिस अधिकारियों व वनाधिकारियों को विधिक जानकारी दे कर इस अपराध को रोकने में सक्षम बनाने की दृष्टि से यह प्रशिक्षण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वन्य जीव अपराध नियन्त्रण ब्यूरो, उत्तरी क्षेत्र के उप निदेशक, डा एस राजेश ने कहा कि वन्य जीवों के अंगों के व्यापार से अर्जित धनराशि का उपयोग माफियाओं द्वारा गैर कानूनी गतिविधियों में किया जाता है। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों के अंगों का व्यापार, मनी लॉन्डरिंग, शिकार, मादक पदार्थों व मानव तस्करी एवं अन्य संगीन अपराध एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। डा राजेश ने द्वि-द्विवसीय प्रशिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए वन अपराध रोकने के लिए वन अपराध नियंत्रण केन्द्रित प्रशिक्षण दिए जाने पर बल दिया। प्रशिक्षण के प्रथम दिवस तकनीकी सत्रों में डा एस राजेश, उप निदेशक, वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, उत्तरी क्षेत्र ने भारत में वन्य जीव अपराध का परिदृश्य व वन्य जीव अपराध प्रवर्तन का वैधानिक ढांचा तथा इसका मुकाबला करने हेतु वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की भूमिका, डा अरविन्द चतुर्वेदी, अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, उत्तर प्रदेश ने वन्य जीव अपराधों की रोकथाम, अनुसंधान, प्रथम सूचना रिपोर्ट का पंजीकरण, केस का अभिलेखीकरण, हिस्ट्रीशीट, महत्वपूर्ण वन्य जीव अपराधों का अध्ययन, अपराध स्थल को सुरक्षित रखने, साक्ष्य एकत्रित करने एवं फाॅरेन्सिक उपकरणों का प्रयोग एवं सीपी शर्मा, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, वन्य जीव फाॅरेन्सिक सेल, भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून ने नमूनों का एकत्रीकरण, संरक्षण एवं फाॅरेन्सिक विश्लेषण पर विस्तार से प्रकाश डाला। संजय श्रीवास्तव, मुख्य वन संरक्षक, इको विकास ने कार्यक्रम का संचालन, समन्वय एवं अभ्यागतों को धन्यवाद ज्ञापित किया। वन विभाग मुख्यालय, अरण्य भवन के पारिजात कक्ष में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (उत्तरी क्षेत्र) नई दिल्ली एवं वन विभाग द्वारा पुलिस एवं वन अधिकारियों हेतु आयोजित द्वि दिवसीय प्रशिक्षण-क्षमता निर्माण कार्यक्रम के द्वितीय दिवस में वक्ताओं द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया गया। कुणाल रावत, वरिष्ठ स्थायी शासकीय अधिवक्ता, नई दिल्ली ने वन्य जीव अपराध सम्बन्धी विधिक प्राविधान, क्रिमिनल प्रोसिजर कोड की सम्बन्धित धाराएं एवं न्यायालयों के महत्वपूर्ण निर्णय, संजय सिंह, अपर प्रमुख वन संरक्षक, वन्य जीव ने अपराध रोकने की दृष्टि से मानव वन्य जीव संघर्ष का प्रबन्धन एवं सीपी शर्मा, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, वन्य जीव फाॅरेन्सिक सेल, वन्य जीव संस्थान, देहरादून तथा श्री कौशिक मण्डल, वन्य जीव निरीक्षक, वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने काल्पनिक अपराध परिदृष्य सृजित कर व्यावहारिक पक्षों पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षण के अन्तिम तकनीकी सत्रों में प्रशिक्षणार्थियों के साथ विचार-विमर्श, अनुभवों की साझेदारी, पैनल डिस्कशन तथा वन्य जीव अपराध व मानव वन्य जीव संघर्ष प्रबन्धन पर लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, उत्तरी क्षेत्र द्वारा आयोजित इस द्वि-द्विवसीय प्रशिक्षण में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत पुलिस अधिकारियों व वनाधिकारियों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण समाप्ति पर संजय सिंह, अपर प्रमुख वन संरक्षक, द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की बैठक दिनांक २२ अगस्त को वन विभाग मुख्यालय में प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, डा रूपक डे की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की बैठक सम्पन्न हुई। राज्य स्तरीय तकनीकी समिति में कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कौशाम्बी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, फतेहपुर, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, सम्भल, बिजनौर, मऊ, आजमगढ़, अमेठी, बाराबंकी, फैजाबाद, सुल्तानपुर, अम्बेडकर नगर, बरेली, बदायूॅं, शाहजहांपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, देवरिया, कुशीनगर, झांसी, जालौन, ललितपुर, बहराइच एवं श्रावस्ती वन प्रभागों की प्रारम्भिक प्रबन्ध योजना प्रतिवेदन पर विचार-विमर्श हुआ। उल्लेखनीय है कि वन प्रभागों की १० वर्षीय प्रबन्ध योजना नेशनल वर्किंग प्लान कोड २०१४ के अनुसार तैयार की जाती है तथा इस १० वर्षीय प्रबन्ध योजना में दिए गए प्राविधानों के अनुरूप वन प्रभागों में वानिकी कार्य सम्पादित किए जाते हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में आयोजित राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुश्रवण एवं कार्ययोजना,एसके शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव, उप्र, एसके उपाध्याय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, उप्र, पवन कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक, केन्द्रीय, भारत सरकार, लखनऊ, विभिन्न विषय विशेषज्ञों एवं सम्बन्धित कार्य योजना अधिकारियों एवं प्रभागीय वनाधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

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